तुलसी की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बनती जा रही है। बलुई दोमट मिट्टी को तुलसी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, हालांकि इसे कम उपजाऊ जमीन पर भी उगाया जा सकता है।
तुलसी की खेती की शुरुआत नर्सरी तैयार करके की जाती है, जो बीजों के माध्यम से विकसित की जाती है। जब मानसून की पहली बारिश होती है, तब तुलसी के पौधों की रोपाई कर देना फायदेमंद रहता है। रोपाई के दौरान कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करना आवश्यक होता है, जिससे पौधे जल्दी जड़ पकड़ सकें। रोपाई के एक महीने बाद निराई-गुड़ाई करना चाहिए ताकि खरपतवार ना बढ़े और पौधों को सही पोषण मिले।
पहली कटाई रोपाई के 90 दिनों बाद की जाती है, इसके बाद हर 75 दिनों में कटाई कर सकते हैं। तुलसी की खेती से किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती है, क्योंकि इसका उपयोग दवाइयों, चाय, और अन्य औषधीय उत्पादों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
– कृषि विशेषज्ञों की राय में, तुलसी की खेती से किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिलने की संभावना रहती है।
तुलसी के लाभ और उपयोग
🔹 स्वस्थ हृदय को बढ़ावा देता है
- तुलसी में विटामिन C और यूजेनॉल होते हैं, जो हृदय को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
- यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होता है।
🔹 बुढ़ापा विरोधी
- तुलसी में मौजूद विटामिन C, A और फाइटोन्यूट्रिएंट्स त्वचा को मुक्त कणों से होने वाली क्षति से बचाते हैं।
🔹 गुर्दे की पथरी का इलाज
- तुलसी शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करती है।
- इसमें मौजूद एसिटिक एसिड गुर्दे की पथरी को तोड़ने में सहायक होता है।
🔹 सिरदर्द से राहत
- तुलसी एक प्राकृतिक सिरदर्द निवारक है और माइग्रेन के दर्द से राहत दिला सकती है।
🔹 मुँहासे से लड़ता है
- तुलसी बैक्टीरिया और संक्रमण को खत्म करती है।
- इसमें मौजूद यूजेनॉल त्वचा संबंधी विकारों से लड़ने में मदद करता है।
🔹 बुखार से राहत
- तुलसी पारंपरिक रूप से बुखार के इलाज में उपयोग की जाती है।
- यह विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं का एक प्रमुख घटक है।
🔹 नेत्र स्वास्थ्य में सुधार
- तुलसी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंखों की सूजन और संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं।
🔹 मौखिक स्वास्थ्य में लाभकारी
- तुलसी एक प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर है और मुंह के छालों को ठीक करती है।
- यह दांतों की सड़न, प्लाक और सांसों की बदबू को कम करने में मदद करती है।
🔹 श्वसन संबंधी विकारों का इलाज
- तुलसी में मौजूद कैम्फीन, यूजेनॉल और सिनेओल श्वसन संक्रमण को ठीक करने में मदद करते हैं।
- यह ब्रोंकाइटिस और तपेदिक जैसी बीमारियों में भी उपयोगी होती है।
🔹 विटामिन K का समृद्ध स्रोत
- तुलसी में विटामिन K प्रचुर मात्रा में होता है, जो हड्डियों और हृदय के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।