DAV कॉलेज लाहौर 1947 तक लाहौर भारत का हिन्दु बहुल सम्पन्न -वैभवशाली और अग्रणी शिक्षित नगर था । सन 1886 में लाहौर के हिंदुओं ने चंदे से महर्षि दयानंद की स्मृति में बनाया गया जिसने सैकड़ों क्रांतिकारी दिए जो सम्पूर्ण पंजाब में आधुनिक शिक्षा का वेटिकन बनकर उभरा।
पर “गजवा ए हिन्द” के जेहादी युद्ध में 1947 में लाखों हिंदुओं का नरसंहार- पलायन, छीनी हिन्दु स्त्रियोँ को नंगा बाजार में बेचा गया , हिंदुओं की हवेलियां-बाग-बगीचे-मकान दुकानों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया , लुटे पिटे लाखों हिंदुओं ने भारत की ओर पलायन किया जिनमें से अनेकों को मार्गों में काट दिया गया इस तरह हिंदुओं का वैभवशाली नगर लाहौर हिंदुओं से छिन गया।
हिन्दु मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया गया, भवनों को इस्लामिक रंग दिया गया , कुरान की आयतें उकेरी गईं।
आज इसी DAV का नाम “गवर्नमेंट इस्लामिया कॉलेज सिविल लाइंस, लाहौर” है। यज्ञशाला के स्थान पर आज विशाल मस्जिद बन गई है ओ३म् की जगह 786 ने ले ली है। झूठे हैं वे लोग जो कहते हैं कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
अरे मूर्खों !! नींद से जागकर देखो.. कभी ईरान से मलेशिया तक थी बस्ती तुम्हारी..
जरा आंखें खोलकर देखो हस्ती मिटी सिंध,तक्षशिला, कश्मीर से।
हस्ती मिटी ढांका और गांधार से….
इस्लाम का सीधा सिद्धांत है कि “जब तक मैं तुमसे कमजोर रहूँगा, मैं तुम्हारे सिद्धांत के अनुसार अपने लिए हर आजादी की माँग करूँगा। जब मैं तुमसे मजबूत हो जाऊँगा तो अपने सिद्धांत के अनुसार तुम्हारी हर आजादी खत्म कर दूँगा।”
यही पिछले १४०० साल से हो रहा है! इसी लाहौर में कैसे हिंदुओं का नरसंहार हुआ उसे यहाँ पढ़े
सौजन्य से-मेघार्यः सनातनी