सौरभ कपूर : स्वतंत्र भारत के बाद “भारतीय शिक्षा नीति” का सहृदय स्वागत है। नई शिक्षा नीति मे भारतीय मूल ज्ञान को प्राथमिकता सराहनीय है। ऐसी नीतियां छात्रों को और सशक्त करने में योगदान देंगी। बदलाव प्रकृति का नियम है। बदलते समय के साथ बदलाव होना भी जरूरी है। करीब 34 वर्ष बाद जारी की गई देश की नई शिक्षा नीति लागू हो जाने पर भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जहां शिक्षा के साथ-साथ वोकेशनल ट्रेनिंग को ज्यादा अहमियत दी जाती है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के क्षेत्र में कई नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं, केवल उच्च शिक्षा ही नहीं स्कूली शिक्षा से जुड़े स्टूडेंट्स की बेहतरी के लिए इस पॉलिसी में अहम फैसले लिए गए हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि स्कूलों में होने वाली एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को भी मेन करिकुलम में शामिल किया जा रहा है। 34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति मे स्कूल कॉलेज की पढ़ाई में बड़े अहम बदलाव किए हैं जो कि स्वागत योग्य और प्रशंसा योग्य हैं। भारत का प्रबुद्ध नागरिक, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में बड़े परिवर्तनों की अपेक्षा लंबे समय से कर ही रहा था। नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है। कुल मिलाकर ‘शिक्षा में संस्कार और रोजगार का अधिकार’ सब निहित है इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में। आइए जाने:
शिक्षा मंत्रालय – इस नई शिक्षा नीति में रमेश पोखरियाल और प्रकाश जावेडकर द्वारा कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला किया कि अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम अब शिक्षा मंत्रालय रहेगा। क्योंकि यह मंत्रालय शिक्षित करने और शिक्षा देने का ही है इसलिए नाम भी क्यों ना हो शिक्षा मंत्रालय। मनुष्य को संसाधन कहना शुद्ध मूर्खता थी। मोदी सरकार का धन्यवाद उन्होंने खोया नाम वापस लौटा दिया।
मातृभाषा में पढ़ाई – नई शिक्षा नीति में पाँचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी। बाकी विषय चाहे वह अंग्रेजी में ही क्यों ना हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर ही पढ़ाया जाएगा। इससे विद्यार्थियों को सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जोड़े रखा जाएगा। नई शिक्षा नीति स्वामी विवेकानंद, रविंद्र नाथ टैगोर के शिक्षा दर्शन पर आधारित है। जिससे विद्यार्थियों को जहां तक संभव हो प्रत्यक्ष स्त्रोत से ज्ञान प्राप्ति का मौका मिलेगा।
(5+3+3+4) एक नई व्यवस्था – इस नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। अब इसे 5+3+3+4 फार्मेट मे ढाला गया है। इसका मतलब है अब स्कूल के पहले 5 साल मे प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा 1 और 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले 3 साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद मे 3 साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के 4 वर्ष (कक्षा 9 से 12)। इसमें छठी कक्षा से छात्रों का हुनर निखारेगी वोकेशनल ट्रेनिंग।
उच्च शिक्षा में परिवर्तन –
1.नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट व्यवस्था लागू हुई है। आज अगर 4 साल तक इंजीनियरिंग या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद भी किसी कारणवश आप आगे नहीं पढ़ पाते तो कोई उपाय नहीं होता लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी।
2. जो छात्र रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा, लेकिन जो नौकरी में भी जाना चाहते हैं वह 3 साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे।
3. एम.ए व डिग्री प्रोग्राम के बाद एम. फिल करने से छूट की व्यवस्था की गई।
4. लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर (एकल नियामक) रहेगा।
5. उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचाने का लक्ष्य।
6. नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम बनेगा।
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एन.आर.एफ) – नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) का प्रावधान है। इसमें न केवल साइंस बल्कि सोशल साइंस भी शामिल होगा। ये बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा।
रुचि के मुताबिक विषयों का चयन – नई शिक्षा नीति में विज्ञान के छात्र भी संगीत का विषय ले सकेंगे। कुल मिलाकर शिक्षा नीति मे अब विद्यार्थियों के समक्ष विज्ञान कॉमर्स और आर्ट्स के रूप में समीक्षाएं नहीं होंगी। विज्ञान या इंजीनियरिंग के छात्र अपनी रुचि के मुताबिक, कला या संगीत जैसे विषयों का चयन कर सकते हैं। इससे ड्रॉपआउट रेट कम होगा। फिजिक्स और बिजनेस स्टडीज पढ़ने वाले विद्यार्थी को आर्ट्स का विकल्प देना अच्छा कदम है।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) – युनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम्स के लिए एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक हाई क्वालिटी कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट आयोजित करेगी, जिसके माध्यम से स्टूडेंट्स का चयन होगा. कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट के साथ ही स्पेशलाइज्ड कॉमन सब्जेक्ट एग्जाम्स जैसे साइंस, ह्यूमैनिटीज़, आर्ट्स, वोकेशनल सब्जेक्ट्स आदि भी एनटीए ही आयोजित करेगी।
शिक्षकों की भर्ती पर फोकस – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भर्ती पर फोकस किया गया है। सबसे पहले उन क्षेत्रों में शिक्षकों की भर्ती की जाएगी जहां छात्र- शिक्षक अनुपात कम हैं, जो इलाके शिक्षा से वंचित है, जहां अशिक्षा की दर कम है। इसके अलावा इस नीति में छात्र – शिक्षक अनुपात पर बल दिया गया है। हर स्कूल में छात्र – शिक्षक अनुपात 30:1 और उन स्कूलों में जो सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में है, वहां छात्र-शिक्षक अनुपात 25:1 तय किया गया है।
6% शिक्षा बजट पर खर्च – भारत के बजट का 10% या भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 6% तक शिक्षा को आवंटन बढ़ाने के लिए पिछले कई वर्षों से विश्व के सबसे बड़े विद्यार्थी संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यह लगातार मांग रही है। 34 वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति भारत के सर्वांगीण विकास और उन्नति का मेरूदंड बनेगी। सकल घरेलू उत्पाद का 6% शिक्षा बजट पर खर्च करने की घोषणा से देश में सहज – सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उत्कृष्ट वातावरण बनेगा।
स्किल बेस्ड – मौजूदा समय को देखते हुए यह एक स्किल् बेसड पॉलिसी है। स्कूली शिक्षा में बदलाव के लिए फिर से फॉर्मेटिव असेसमेंट वापिस आएगी। जिससे स्टूडेंट्स को निश्चित फायदा मिलेगा। विद्यार्थियों में लर्निंग के गैप कम होंगे और उनको कंसेप्ट क्लियर करने का मौका मिलेगा।
शिक्षा नीति ने 2030 तक 100% वयस्क युवाओं और वयस्क साक्षरता का लक्ष्य रखा है और केंद्र और राज्य दोनों अगले 10 वर्षों में शिक्षा पर सार्वजनिक निवेश को 20% तक बढ़ाएंगे। नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है।अभी हमारे यहां डीम्ड यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, नीजी विश्वविद्यालय और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे। आत्मनिर्भर भारत को गढ़ने में यह शिक्षा नीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। किसी राष्ट्र को वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में शिक्षा की अहम भूमिका है।स्वतंत्रता के बाद पहली बार यह शिक्षा क्षेत्र में नए युग का प्रारम्भ है। मुझे विश्वास है कि नई शिक्षा नीति नए भारत का निर्माण सुनिश्चित करेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत,केंद्र सरकार को धन्यवाद। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति “शिक्षा जीवन के लिए- जीवन वतन के लिए” जैसे विचार को परिलक्षित करने में कारगार सिद्ध होगी।
लेखक – सौरभ कपूर
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पंजाब के पूर्व प्रदेश मंत्री व वर्तमान में संगठन मंत्री (पटियाला – बठिंडा) विभाग के हैं।