बलविंदर सिंह : हिमाचल प्रदेश में हो रहे लैंडस्लाइड के कारणों का अध्ययन करने के लिए सरकार ने कई शीर्ष संस्थानों को जुटाया है। इस अध्ययन के माध्यम से प्रदेश में हो रहे लैंडस्लाइड और जमीन के धंसने के कारणों की जानकारी प्राप्त की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई विपदाओं ने एक बार फिर लैंडस्लाइड की खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि यह नई बात नहीं है, लेकिन इस बार बड़ी मात्रा में हुई घटनाओं ने सरकार को कार्रवाई की जरूरत होने का संकेत दिया है।
इस अध्ययन के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CBRI) रुड़की, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी (IIT) मंडी, और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) हमीरपुर जैसी प्रमुख संस्थानों को शामिल किया गया है। ये संस्थान लैंडस्लाइड और जमीन के धंसने के कारणों का पता लगाने के साथ-साथ भविष्य में ऐसी आपदा की संभावना को कम करने के उपाय भी सुझाएंगे। गुरुग्राम आधारित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हो रही लैंडस्लाइड और जमीन के धंसने के कारणों की जांच करने का काम लेने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, कुल्लू के आनी में हाल ही में हुए बड़े लैंडस्लाइड के कारणों की जांच के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मंडी की टीम काम करेगी। इसके साथ ही, अन्य शहरों और गांवों में हो रही लैंडस्लाइड और जमीन के धंसने के कारणों की जांच के लिए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसी संस्थान जिम्मेदार होंगी।
हिमाचल प्रदेश के शिमला में हाल ही में हुई भीषण लैंडस्लाइड की घटना का परिणामस्वरूप वहाँ की ज़मीन में बड़ा नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस अध्ययन से हम पिछली लैंडस्लाइड घटनाओं से सीख कर आगे की सुरक्षा को बढ़ावा देने के उपाय निकाल सकते हैं। इन विपदाओं के कारणों की समझ और इस पर विचार करने के लिए संस्थानों की टीमें भू-भौतिकीय सर्वेक्षण और मिट्टी परीक्षण जैसे अध्ययन करेंगी। इसके अलावा, इन संस्थानों की टीमें भविष्य में होने वाली विपदाओं की संभावना को कम करने के उपायों को भी सुझाएगी।
हाल के डेटा के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में इस मानसून में लैंडस्लाइड की 161 घटनाएं प्रतिबंधित हुई हैं, जिनमें से 110 घातक रही हैं। इससे ज़्यादातर नुकसान शिमला जिले में हुआ है, जहाँ पर 51 लोगों की मौत हो गई है। इस बार की तबाही के कारणों की समझ और इससे बचाव के उपायों की जानकारी को डॉक्यूमेंट करने का प्रयास किया जा रहा है। यह डॉक्यूमेंट भविष्य में होने वाली विपदाओं के खिलाफ तैयारियों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जिससे हम सुरक्षित और सुरक्षित रह सकें।”
हमारे प्रदेश में ऐसे विपदाएं होना चिंताजनक है और इसके कारणों का पता लगाना महत्वपूर्ण है। इस अध्ययन से हम न केवल वर्तमान में हो रही आपदाओं के कारणों को समझेंगे, बल्कि भविष्य में भी इस तरह की घटनाओं को कम करने के उपायों को ढूंढ सकेंगे।
“हिमाचल में लैंडस्लाइड के कारण आएंगे सामने: GSI-CBRI और NIT संस्थान करेंगे अध्ययन; इस बार 161 घटनाओं में 110 लोगों की मौत”
यहाँ कुछ मुख्य बिंदुगत विचार दिए गए हैं:
- हाल की विपदाएं हिमाचल प्रदेश में लैंडस्लाइड के बढ़ते प्रकोप को प्रकट करती हैं।
- विपदाओं के कारणों की समझ के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) को शोध के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
- यह बताता है कि कुछ घटनाएं जैविक तत्वों की गतिविधियों और जमीन की स्थितियों से संबंधित हैं।
- गुरुग्राम आधारित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अन्य संस्थानों की टीमें घटनाओं के पीछे के कारणों की समझने और भविष्य में विपदाओं की संभावना को कम करने के उपायों का अध्ययन करेंगी।
- यह उभरती विपदाएं न केवल मानव जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि मालवाहन को भी प्रभावित करती हैं, जिससे समाज और आर्थिक दृष्टिकोण से भी उनका महत्व होता है।
- विपदाओं की समझ और भविष्य में होने वाली विपदाओं की संभावना को कम करने के उपायों की जानकारी को डॉक्यूमेंट करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि हम सुरक्षित और सुरक्षित रह सकें।
- .इस अध्ययन का उद्देश्य विपदाओं के पीछे के कारणों की समझना है और उनके प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ ही भविष्य में होने वाली विपदाओं से बचाव के उपाय सुझाना है।
- आपदा प्रबंधन:इसके साथ ही, विपदाओं के प्रबंधन में संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, जिनसे विपदाओं की संभावना को कम करने के उपाय सुझाए जा सकते हैं।
- **साझा जागरूकता:** इस डॉक्यूमेंट को साझा करके लोगों को विपदाओं के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है और उन्हें सुरक्षित रहने के उपायों की जानकारी प्रदान की जा सकती है।