चंडीगढ। चंडीगढ डाॅयलाॅग द्वारा वीरवार को नई शिक्षा नीति-2020 के तहत पंजाब विश्वविद्यालय में गर्वंनेस रिफाॅर्म को लेकर एक वेबिनार का आयोजन किया गया । इस वेबिनार में पंजाब विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के 70 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया। वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरूण कुमार ग्रोवर व प्रो. के. एन पाठक शामिल हुए। प्रो. अरूण कुमार ग्रोवर ने पंजाब विश्वविद्यालय के स्थापना काल से लेकर वर्तमान समय तक की कार्यशैली और इसके प्रशासनिक ढांचे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रो. ग्रोवर ने कहा कि सीनेट व सिंडीकेट में इस समय सुधारों की बहुत ज्यादा आवश्यकता महशूस की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिस समय सीनेट व सिंडीकेट को लागू किया गया तो इसे विश्वविद्यालय के हितों के लिए बनाया गया था लेकिन पिछले कुछ वर्षो से यह व्यवस्था पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हो चुकी ळे व विश्वविद्यालय में गुटबाजी पूरी तरह से हावी है। एक विशेष गुट के लोग जो चुनकर कर आते है वो विश्वविद्यालय के हित में काम करने की बजाय अपने व्यक्तिगत हित साधने में लगें है। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी सीनेट व सिंडीकेट में सामने मूक दर्शक बनने का मजबूर हो जाते है। सीनेट व सिंडीकेट के सदस्यों ने विश्वविद्यालय को अपनी राजनीति का अखाडा बना लिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय के समक्ष कई ऐसे महत्वपूर्ण मौके आए जब इस व्यवस्था में सुधार किया जा सकता था लेकिन यह अपने व्यक्गित हितों के कारण यह संभव नहीं हो सका। सीनेट और सिंडीकेट की यह मौजूदा व्यवस्था विश्वविद्यालय की शैक्षणिक व प्रशासनिक गुणवता में बाधक बन रही है। उन्होंने यह भी कहा कि लंबे समय से चली आ रही इस व्यवस्था में नई राष्टीय शिक्षा नीति के माध्यम से व्यापक सुधारों के लिए यह सबसे उचित समय है।
वहीं पूर्व कुलपति प्रो. के. एन. पाठक ने कहा कि सीनेट व सिंडीकेट की व्यवस्था विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधारों के लिए बनाई गई थी किंतु समय के साथ इसकी प्रसांगिकता में गिरावट आ गई है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इसमें सुधारों की आवश्कता है व इसमें केवल शिक्षा के क्षेत्र से जुडें हुए लोगों को लाने की आवश्यकता है। अलग- अलग संकायों में संबधित विषय के विद्वान ही उसके डीन बनाए जाने चाहिए।
इसके अलावा वेबिनार में काॅलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डाॅ.विनय सोफत ने कहा कि सीनेट और सिंडीकेट की यह मौजूदा व्यवस्था भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। इस व्यवस्था में शामिल लोगों को ना तो विश्वविद्यालय के हितों की चिंता है और ना ही शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधारों की। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह से खोखली हो चुकी है। इस व्यवस्था में बडे बदलावों की आवश्यकता है।
इसके साथ-साथ डाॅ, सुमन मोर, डाॅ. प्रियतोश और विक्रांत खंडेलवाल ने सीनेट की इस मौजूदा व्यवस्था में आई कमियों पर अपने विचार रखें। सभी ने इस वेबिनार में माध्यम से एक आवाज में इस व्यवस्था में जल्द से जल्द से व्यापकों सुधारों की मांग उठाई। सभी ने कहा कि इन सुधारों के लिए हम सबको विभिन्न माध्यमों से अपनी आवाज को बुलंद करना होगा ताकि इस व्यवस्था में हम सुधारों में सहभागी बन सकें ।