नियमित आध्यात्मिक साधना करने तथा स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन के लिए निरंतर प्रयत्न करने से हम अपनी समस्याओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं एवं हमें शाश्वत सुख अर्थात आनंद की अनुभूति होती है,ऐसा ‘महर्षी अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की कु.मिल्की अग्रवाल ने कहा ।मॉरिशस में कुछ समय पूर्व ही इमोशनल वेल बिइंग इन्स्टिट्यूट’ ने(इ.डब्ल्यू.बी.आय.)मॉरिशस मुक्त विश्वविद्यालय,रॅदुइ एवं मिडलसेक्स यूनिवर्सिटी,मॉरिशस के संयुक्त तत्त्वाधान में आयोजित ‘फर्स्ट इमोशनल वेल बिइंग इंटरनेशनल कॉन्फरेन्स’ में(इ.डब्ल्यू.बी.आय.सी.)वे बोल रही थी । उन्होंने‘संघर्षमय संसार में शाश्वत आनंद प्राप्त करना:आध्यात्मिक शोध से अंतर्दृष्टि’इस विषय पर ऑनलाइन शोधनिबंध प्रस्तुत किया ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ.जयंत आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक तथा श्री.शॉन क्लार्क सहलेखक हैं । अंतरराष्ट्रीय परिषद में यह89वां प्रस्तुतीकरण था । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने अभी तक107परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं एवं13अंतरराष्ट्रीय परिषदों में सर्वाेत्कृष्ट शोधनिबंध पुरस्कार प्राप्त किए हैं ।
कु.मिल्की अग्रवाल ने कहा कि,शाश्वत आनंदप्राप्ति के लिए हम श्रद्धापूर्वक तीनस्तरीय उपाय अपना सकते हैं । इसमें पहला है ईश्वर का नामजप करना ।‘जीडीवी बायोवेल’ नाम के वैज्ञानिक उपकरण का उपयोग कर प्रयोग किए गए । इस प्रयोग में ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ नामजप केवल40मिनट तक करने के उपरांत कुंडलिनी चक्र एक रेखा में आकर प्रयोग करनेवाले की ओर प्रचुर मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती दिखाई दी । दूसरी बात यह कि परात्पर गुरु डॉ.आठवलेजी द्वारा बनाई गई स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया अपनाने से व्यक्ति के मन के नकारात्मक विचार दूर होते हैं । तीसरी बात यह कि प्रतिदिन खडे नमक के पानी में15मिनट पैर डुबोकर रखने के उपाय करने से शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलने में सहायता मिलती है ।
कु.मिल्की अग्रवाल ने शोध का निष्कर्ष बताते हुए कहा कि,यदि कोई अध्यात्मशास्त्रानुसार प्रामाणिकतासे साधना करे,तो कालांतर से उसके जीवन के दुःख एवं तनाव घटता है एवं उस व्यक्ति को शांति तथा आंतरिक आनंद मिलने में सहायता होती है ।