संवाद थियेटर ग्रुप चंडीगढ़ ने उतर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सहयोग से हिंदी नाटक ” केसर-नारी का स्वाभिमान ” का टैगोर थियटर के मिनी ऑडिटरियम में किया मंचन I नाटक में मुख्य अथिति के रूप में श्री अमित तलवार, IAS, Director Sports and Youth Service, Punjab और बीबी हरजिंदर् कौर, chairperson, Chandigarh Commission for Protection of Child Rights (CCPCR) आये। इन्हें के साथ साथ श्री नवीन शर्मा, उतर क्षेत्र प्रमुख, संस्कार भारती भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
नाटक केसर, कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के साथ शुरू होता है और अंत महिला सशक्तिकरण के साथ होता है। नाटक का लेखन श्री राजेश आत्रेय ने किया तथा मुकेश शर्मा के मार्ग दर्शन में रजनी बजाज ने निर्देशित किया है I “नारी को कमजोर समझने वाले.. धरा क्या, आसमान तक को भी छू सकती है वह.. एक बार घर की दहलीज लांघने की इजाजत तो दो.. ”
कहानी में दिखाया कि सुखप्रीत गांव में रहने वाली जागरूक महिला है जबकि उसका पति बलवंत एक संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति है। उसे लड़कियों से सख्त नफरत है। जब सुखप्रीत एक लड़की को जन्म देती है तो उसका पति बलवंत उस लड़की को मारने या कहीं छोड़ आने के लिए कहता है। सुखप्रीत न चाहते हुए भी उस लड़की को बाहर छोड़ देती है। इसे परमजीत संभालती है। परमजीत की पहले भी एक लड़की है ,जिसका नाम केसर है और परमजीत का पति दलबीर भी लड़कियों के खिलाफ है। परमजीत के पति को उसका यह काम पसंद नहीं आता, लेकिन परमजीत की जिद के कारण वह कुछ कर नहीं पाता। परमजीत इस लड़की को बहुत ही प्यार दुलार से पालती है और उसका नाम छोटी रखती है।छोटी बड़ी हो जाती है तो दलवीर उसे उसके असली बाप बलवंत को ही बेच देता है। बलवंत छोटी का शोषण करने की कोशिश करता है, उसी समय सुखप्रीत वहां पहुंच जाती है। वह बलवंत को एक थप्पड़ मारती है और उसे बताती है कि जिससे वह दुष्कर्म करने की कोशिश कर रहा था वह उसकी अपनी ही बेटी है। यह सुनकर बलवंत सुखप्रीत से माफी मांगता है, लेकिन सुखप्रीत उसे कहती है, तूने एक औरत को धोखा दिया माफ किया, बीवी को धोखा दिया माफ किया, लेकिन आज तूने अपनी बेटी के साथ ऐसा दुष्कर्म करने की कोशिश की तुझे कभी माफ नहीं करूंगी। जब परमजीत छोटी को लेकर अपने घर लौटती है और केसर को इस बात की जानकारी होती है तो केसर अपने बाप दलवीर का कत्ल कर देती है। अंत में परमजीत संदेश देते हुए कहती है कि जहां इस समाज में सती, सावित्री और सीता हैं। वहीं इस समाज में चंडी, दुर्गा और काली भी हैं। जहां औरत अपना घर संभाल सकती हैं, वह इन दरिंदों का सामना भी कर सकती हैं और केसर ने वही किया। मेरी केसर गुनहगार नहीं है, वह आज दुर्गा बनी है। आज की दुर्गा, मेरी दुर्गा, कलयुग की दुर्गा और यह केसर आप सब में भी हैं।
इस नाटक में कलाकारों की कुल संख्या 20 है I नाटक की अवधि 90 मिनट है I नाटक में निम्नलिखित कलाकारों ने अभिनय किया:-
रजनी बजाज, महक गुस्साईं, काव्य सप्रा, सौरभ आचार्य, हिमांशी राजपूत, निशांत, वैदेही, काव्य, तमना गुस्साई, व्याख्या, सोनू, आशीष, सुशांत, कृष्णा भट्ट, राजन अरोड़ा, सुमित गुस्साइं, नीरज, अरविंद शर्मा, तुषार