अजित कोठारी ; काफी दिनों से दीदी, अरे ओ दीदी, दीदी
यह मधुर और कर्णप्रिय आवाज सुनने को नहीं मिली
जाहिर है कि कोरोना महामारी की अचानक तेज गति से वृद्धि के कारण प्रधान मंत्री श्री मोदी को बंगाल में अपनी कुछ चुनावी रैलियां रद्द करनी पड़ी
खैर already दीदी, ओ दीदी देश का स्लोगन बन गया है
मुझे यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि प्रधान मंत्री मोदी यह ममता को चिढ़ाने के लिए कर रहे थे
लेकिन शुरुआत किसने की
ममता खातून ने प्रधान मंत्री के लिए क्या क्या अपशब्दों का प्रयोग नहीं किया
मोदी ने तो केवल दीदी ओ दीदी बोलकर पूरा momentum अपनी ओर कर लिया तो ये उनकी वाकपटुता और विश्वसनीयता के कारण संभव हो पाया है
और वैसे भी दीदी, ओ दीदी बोलना कोई असभ्यता की श्रेणी में तो नहीं आता है
पूरा देश उन्हें दीदी बोलता है हालांकि वो दीदी के नाम पर कलंक है, जिहादी है
खैर हम तो स्वतंत्र है उसको किसी भी नाम से बुलाने के लिए, लेकिन प्रधान मंत्री तो पद की गरिमा के कारण ऐसा कुछ भी नहीं बोल सकते हैं
और केवल दीदी, अरे ओ दीदी ने बंगाल में ममता बनर्जी की विदाई तय कर दी है
दरअसल वाम गिद्धों के हर narrative को प्रधान मंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रवादी खेमा बड़ी नफासत से ध्वस्त कर रहा है और ममता खातून और उनके वामपंथी गिद्ध कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं
पिछले तीन दशको से मैं भारतीय राजनीति का विद्यार्थी रहा हूं, जितना वामपंथी गिद्धों को नुकसान मोदी और उसकी टीम ने पंहुचाया है उतना किसी ने कभी नहीं पंहुचाया
अब वामपंथी गिद्ध reactive हो गए हैं, proactive नहीं, भला इससे अच्छी शुभ घटना देश के लिए क्या हो सकती है
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