विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र कुमार जैन ने कहा है कि पंजाब में हिंदू सिखों की सांझी विरासत की गौरवशाली परंपरा हमेशा से रही है। अंग्रेजों के समय से लेकर अब तक कई बार इस परंपरा को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई परंतु इस सांझी विरासत की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि कोई इस को नुकसान पहुंचाने में सफल नहीं हो सका। विश्व हिंदू परिषद का विश्वास है कि 29 अप्रैल को हुई दुर्भाग्य जनक घटनाओं से भी इस परंपरा का कोई नुकसान नहीं होगा। पंजाब पहले की तरह इस गौरवशाली परंपरा को और मजबूती से साथ लेकर आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास साक्षी है कि पंजाब भारत का रक्षक बनकर एक सफल प्रहरी की भूमिका का हमेशा निर्वाह करता रहा है। इसीलिए विदेशों में स्थित कुछ भारत विरोधी शक्तियां इस सांझी विरासत और आपसी सौहार्द को समाप्त करने के लिए समय-समय पर षड्यंत्र करते रहे हैं। संकीर्ण और स्वार्थी राजनीति करने वाले कुछ लोग अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए इन राष्ट्रद्रोही षडयंत्रों को प्रोत्साहन देते रहे हैं परंतु उन्हें कभी सफलता हासिल नहीं हो पाई है। वर्तमान घटनाक्रम भी हिंदू सिखो की सांझी सांस्कृतिक विरासत और परस्पर सौहार्द को नष्ट करने का षड्यंत्र है जिनको पंजाब के हिंदू सिख समाज किसी भी हालत में सफल नहीं होने देंगे।
विश्व हिंदू परिषद का यह विश्वास है कि पंजाब का समाज एक दूसरे की भावनाओं का न केवल सम्मान करता है अपितु उनकी रक्षा के लिए बलिदान देने में भी पीछे नहीं हटता। देश की इस गौरवशाली परंपरा के ध्वजवाहक हिंद की चादर पूज्य गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाशोत्सव को पूरा देश हर्ष और उल्लास के साथ मना रहा है। जहां गुरु तेग बहादुर धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान देते हैं वहीं उनके शिष्य भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला के बलिदान पर भी पूरे देश को गर्व है। गुरु जी के बलिदान के बाद उनका पावन शीश भाई जैता किरतपुर लेकर आए तो गुरु जी के ही अन्य शिष्य लखिशाह बंजारा ने उनके धड़ को सत्कार के साथ अंतिम संस्कार के लिए अपने घर को ही आग लगा दी। गुरु दशमेश और गुरु पुत्रों का संघर्ष और बलिदान इतिहास में अद्वितीय है। साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए दीवार में चुनवाना मंजूर किया तो राजा टोडरमल ने सर्वस्व देकर भी उनका सम्मान पूर्ण अंतिम संस्कार करवाया। राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह के संघर्ष का इतिहास गौरवशाली है। इसके लिए निहंगों का संघर्ष इतिहास का गौरवशाली अध्याय है। एक दूसरे की भावनाओं पर चोट करने वाले कुछ तत्व पंजाब की सांझी विरासत की इस परंपरा पर आघात कर रहे हैं जिसको पंजाब का समाज किसी हालत में स्वीकार नहीं करेगा ।
डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद पंजाब के सभी सामाजिक धार्मिक संगठनों से अपील करती है कि परस्पर सौहार्द व सम्मान की परंपरा की रक्षा करने के लिए वे आगे आएं और समाज को तोड़ने वाले इन तत्वों का पर्दाफाश करें। पटियाला तथा कुछ अन्य जगह होने वाली इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद भी जिस तरह हिंदू सिख समाज साथ खड़ा रहा वही पंजाब का असली चरित्र है। संकट की इस घड़ी में संपूर्ण देश पवित्र अकाल तख्त की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। इस संकट को दूर करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। विश्व हिंदू परिषद उनके साथ मिलकर इस संकट से पंजाब को बाहर निकालने के लिए संकल्पबद्ध है।
विश्व हिंदू परिषद का मानना है कि यह हमारे धैर्य की परीक्षा लेने का समय भी है। किसी एक व्यक्ति के अनर्गल प्रलाप पर दूसरे पक्ष की त्वरित प्रतिक्रिया विभाजन कारी तत्वों के इरादों को ही पूरा करती है। विहिप सभी राजनीतिक दलों से अपील करती है कि वे अपने किसी स्वार्थ के कारण इन तत्वों को भड़काने की जगह दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने में सहयोग करें और पंजाब में भाईचारे की जड़ों को मजबूत करने में सहयोग प्रदान करें। राष्ट्र विरोधी तत्वों को छूट देना तत्कालिक लाभ दे सकता है परंतु अंततोगत्वा यह देश, समाज और उनके लिए भी घातक सिद्ध होता है।