अठारह जनवरी 1948 को गांधी का अनशन खत्म हुआ ! गांधी ने पाक को कश्मीर युद्ध जारी रहते… 55 करोड़ देने के लिए भारत को विवश किया !… गांधी की अन्य मांगे थी–भारत मे मुसलमानों को रहने के लिए आदर्श परिस्थितियां बनाई जाएं…. दिल्ली की 117 मस्जिदों को हिन्दू शरणार्थियों से खाली कराया जाए… हिन्दू-सिख शरणार्थियों के टेंट दिल्ली के बाहर लगवाए जाए…. ताकि मुसलमान ‘डरें’ नहीं ! भारत सरकार ने गांधी की भूंख हड़ताल से घबरा कर गांधी की हर माँग के सामने आत्मसमर्पण कर दिया !
गांधी की भूंख हड़ताल की सफलता से खुश होकर जिन्ना ने पाकिस्तान से गांधी को बधाई का तार भेजते हुए पाक की मुस्लिम जनता का #हीरो बताया… सभी बड़े मुस्लिम देशों के नेताओं के बधाई के तार पाकर गांधी को अत्यधिक प्रसन्नता हुई ! जवाब में गांधी ने जिन्ना से पाकिस्तान यात्रा का इंतज़ाम करने को कहा ! जिन्ना ने गांधी को पाक आने का विधिवत निमंत्रण दिया और गांधी के पाक दौरे की तारीख तय हुई…3 फरवरी 1948 !
गांधी ने दौरे की तैयारियों के लिए अपनी सखी डा सुशीला नैय्यर को हवाई जहाज़ से पाकिस्तान रवाना कर दिया … संभवतः 16 km चौड़े गलियारे और कश्मीर पर कुछ प्रस्तावों को लेकर डा सुशीला नैयर को पाकिस्तानी नेताओं से बात करनी थी ! चूंकि आसानी से भारत सरकार इन मांगों को मानने वाली नहीं थी… ऐसा माना जाता है कि गांधी को 7 फरवरी से लाहौर, पाकिस्तान में भारत सरकार के खिलाफ पहले धरना… फिर अनशन पर बैठना चाहते थे !
इधर इस बीच गांधी ने अपने हज़ारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को शहर-शहर, गांव- गांव घूम कर मुसलमानों को पाकिस्तान जाने से रोकने हेतु मनाने के लिए आदेश दिया ! खुद गांधी ने जनवरी के प्रथम सप्ताह में पानीपत और मेवात में हज़ारों मुस्लिमों को पाकिस्तान जाने से रोकने हेतु सफलतापूर्वक सहमत कर लिया था !
दिल्ली से पाकिस्तान गए हज़ारों मुसलमान… वापस दिल्ली लौटकर गांधी को शुक्रिया कहने… उनकी शाम की प्रार्थना सभा मे आते थे और गांधी उनसे कुरान की आयतें सुनाने का इसरार करते और खुद हिंदुओं को कुरान की उच्चता का पाठ भी पढ़ाते थे ! शाम की प्रार्थना सभा की शुरुआत इस वाक्य से होती थी कि ” जो भारत मे मुस्लिमों का दुश्मन है…. वह देश का दुश्मन है” ! जिन्ना के पाकिस्तान जाने के बाद भारत में मुसलमानों के सबसे बड़े नेता ‘गांधी’ हो गए थे !
उधर नाथूराम गोडसे, पाहवा और आप्टे… 20 जनवरी के आक्रमण के विफल होने से हताश थे…. 16 km गलियारे वाला नया पाकिस्तान… 55 करोड़, गांधी की पाक यात्रा और कश्मीर जाता देख कर कुछ करने के लिए उनके पास सिर्फ सिर्फ एक सप्ताह बचा था ! पूना से लाई देसी पिस्तौल बेकार निकली थी !हथियार की जुगाड़ में नारायण आप्टे दिल्ली से 194 मील दूर ग्वालियर के डाक्टर परचुरे से मिले ! डा परचुरे राष्ट्रप्रेमी हिन्दू थे ! उन्होंने आप्टे को बेरेटा पिस्तौल और 20 कारतूस उपलब्ध कराए… यह जानते हुए भी कि गोड्से के पकड़े जाने पर उन्हें फांसी होगी ! आज डा परचुरे को कौन जानता है….
#30_जनवरी_1948
शाम के साढ़े तीन बजे चुके थे ! नाथूराम गोडसे,आप्टे और पाहवा… बिरला मंदिर में इस अभियान की सफलता हेतु ईश्वर से आशीर्वाद लेने आये हुए थे ! आप्टे और पाहवा ने भगवान के दर्शन किये ! नाथूराम गोडसे अंदर नहीं गए… उन्होंने बाहर बाग में लगी छत्रपति शिवाजी के आगे प्रणाम किया और सफलता की कामना की और बिरला हाउस रवाना हुए !
वक्त के पाबंद गांधी उस दिन 10 मिनट लेट थे क्योकि अंदर सरदार पटेल आये हुए थे… जिन्होंने नेहरू की तानाशाही की खिलाफ मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने का मन बना लिया था… गांधी ने उन्हें ऐसा करने से रोका और अपनी पाकिस्तान यात्रा की योजना और भावी परिणामों पर भी बात की ! अंततः पटेल इस्तीफा न देने पर तैयार हो गए और प्रस्थान किया ! गांधी ने प्रवचन के लिए बाहर की ओर प्रस्थान किया !
अमूमन डा सुशीला नैय्यर गांधी के आगे रास्ता बनाते हुए चलती थीं… मगर आज वह गांधी के काम से पाकिस्तान गई हुईं थीं ! सिर्फ आभा और मनु के कंधे पर गांधी हाथ रखकर चल रहे थे ! सच्चाई यह थी कि गांधी को सहारे की ज़रूरत नहीं थी…. मगर दो लोगों का सहारा लेकर चलते देख जनसामान्य सहानभूति में भावुक हो जाती थी !
नाथूराम राम गोड्से, गांधी के रास्ते मे सबसे आगे खड़े थे ! गांधी को देखते ही वह बीच रास्ते मे आकर झुके…. लोग समझे कि वह झुककर प्रणाम कर रहे हैं…. मगर वह उस वक्त अपनी बेरेटा पिस्तौल निकाल रहे थे ! मनु इत्तेफाक से गांधी के आगे थीं ! गोड्से ने बाए हाथ से मनु को एक तरफ हटाया…. उनका विचार था कि किसी निर्दोष को खरोच तक न आये ! अगले ही पल उनकी पिस्तौल ने तीन गोलियां उगलीं और तीनों गोलियां गांधी के सीने में समा गईं !
गांधी लड़खड़ाये और निःशब्द उनके प्राण पखेरू उड़ गए ! बाद में षड्यंत्रपूर्वक यह फैलाया गया कि मरते समय उन्होंने ‘हे राम’ कहा था ! ऐसा नाथूराम गोडसे को हिंदुनिष्ठों की निगाह में खलनायक बनाने के लिए कहा गया !.. गोड्से ने भागने की कोई चेष्टा नहीं की… वहां मौजूद एक माली ने नाथूराम गोडसे पर खुरपी से हमला किया…. मगर चोट खाने के बाबजूद गोडसे ने कोई प्रतिक्रिया नही की… बल्कि वहीं मौजूद एक सेना अधिकारी के सामने खुद को गिरफ्तार करा दिया ! अपनी बेरेटा पिस्तौल सेनाधिकारी को दे दी… कुछ लोग पिस्तौल को उलट-पलट कर देखने लगे… तो गोडसे ने कहा कि पिस्तौल में गोलियां है और कैच खुला है… सावधानी से..!!!
दिल्ली में पंजाब के लाखों शरणार्थियों ने यह खबर सुनी और कहा कि गोड्से ने बचा हुआ भारत फिर से टूटने से बचा लिया !
शाम 7 बजे आल इंडिया रेडियों पर देश के नाम संदेश में प्रधानमंत्री ने खबर दी…
” देश की रोशनी अस्त हो गई है… आज शाम पांच बजकर 20 मिनट पर नई दिल्ली में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई है ! हत्यारा एक हिन्दू बताया जाता है” !
उसी रात और अगले कई दिन तक पूना और बम्बई राज्य में सैकड़ों चित्तपावन ब्राह्मण ब्राह्मणों के घरों में आग लगा दी गई और अनेक ब्राह्मण हिंदुओं की हत्या कर दी गई क्योकि नाथूराम गोडसे चित्तपावन ब्राह्मण हिन्दू थे ! टाइम्स ऑफ इंडिया ने मृत संख्या शायद 50 बताई थी !
फांसी से पूर्व नाथूराम गोडसे ने फांसी पूर्व पत्र लिखा…
” मेरे पास अपने परिवार को देने के लिए सिर्फ मेरी अस्थियों की राख है ! इस राख को पीढ़ी दर पीढ़ी संभालकर रखा जाये ! जब कभी हिन्दू शासन के अंतर्गत भारत पुनः एक होगा और सिंधु नदी भारत में पुनः बहेगी ,तब मेरी अस्थियों को उस पवित्र सिंधु नदीं में प्रवाहित कर दिया जाये “
गांधी की हत्या के अपराध में एक छोटे से ट्रायल के बाद गोडसे और नारायण आप्टे को 15 नवम्बर 1949 को अंबाला सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई !!
गोपाल गोडसे…मदन लाल पाहवा और विष्णु करकरे को आजीवन कारावास दिया गया ! साल भर जेल में रखने के बाद भी अभियोजन पक्ष…. वीर दामोदर सावरकर पर कोई अपराध सिद्ध न हो सका तो उन्हें छोड़ दिया गया !
भारत माता की जय…