सोनीपत, 25 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीनी माल की होली जलाकर हम चीन के आर्थिक साम्राज्य की कमर तोड़ सकते हैं। जो भी चीनी माल को बेचना बंद करें, हमें उसका सामाजिक तौर पर सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपना बनाओं, अपना बेचो व अपना खरीदों के आधार पर हम देश को आत्मनिर्भर व आत्मसमर्थ बना सकते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,मुरथल द्वारा आयोजित आत्मनिर्भर व आत्मसमर्थ भारत -समय की मांग विषय पर आयोजित वेबीनार को बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने की। श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि हमारा देश प्राचीन काल में आत्मनिर्भर व आत्मसमर्थ था। भारत ज्ञान, विज्ञान, संयम और आत्मनिर्भरता में विश्वगुरू होने के कारण ही प्राचीन काल में सोने की चीड़िया कहलाया। प्राचीन काल में प्रत्येक भारतीय के पास छत थी। किसी की भी भूख से मौत नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि पहले भारत के घर ताला मुक्त थे, लेकिन अब प्रत्येक घर में ताले हो गए हैं। यह सब आपस में विश्वास न होने के कारण हुआ।
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत ने हमेशा असंभव को संभव कर दिखाया है। अब एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। देश का आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें अपना कर्म कर्त्तव्य मानकर करना चाहिए। अब असंभव को संभव बनाने का रास्ता बन रहा है। उन्होंने कहा कि हमें सकारात्मक दष्टि कोण से कार्य करके एक नई ऊर्जा क्रांति के रूप में नए भारत व नए विश्व के उदय का रास्ता खुल रहा है। असंभव को संभव बनने का रास्ता बनता हुआ दिखाई दे रहा है। हमें सर्वप्रथम नकारात्मक अवधारणा से निकलना होगा। एक नई क्रांति को ऊर्जा के रूप में आत्मनिर्भरता के रूप में आत्म सामर्थयशाली के रुप में स्थापित होने से अग हमें कोई रोक रोक नहीं सकता। भारत ने अपनी संस्कृति के विस्तार के लिए हिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। बल्कि ज्ञान और विज्ञान का मार्ग अपनाया।
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में चीन का माल घर घर में घुस गया है। चीन का माल घटिया तथा विश्व के अधिकांश देशों में चीन का माल है। हमें चीन की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने का कार्य करना होगा। चीनी माल के खिलाफ देश में एक बड़ा जनादोंलन चलाने की आवश्यक्ता है। इसका प्रारंभ हमें अपने घर से करना होगा। उन्होंने कहा कि पहले हमें संकल्प लेना होगा कि हम चीन का माल न तो खरीदेगें और न ही बेचेंगे। जो मार्केट में जो दूकानदार चीन का माल खरीदना व बेचना बंद करे,उसका हमें सामाजिक रूप से सम्मान करना चाहिए। हर विश्वविद्यालय में चीनी माल की होली जलानी नहीं चाहिए। चीन के खिलाफ देश की जनता ने धीरे धीरे मुहिम चलानी प्रारंभ कर दी है, यही कारण है कि रक्षा बंधन पर चार हजार करोड़ की चीनी राखियां खरीदी नहीं गई। इस तरह से प्रत्येक भारतीय देश के अंदर रहकर एक सैनिक की भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि ताइवान,तिब्बत व हॉंगकांग को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलना चाहिए। इनको संयुक्त राष्ट्र संगठन में स्थान मिलना चाहिए, लेकिन चीन इनको दबाए बैठा है।
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि देश भक्ति का यह भी एक मूल मंत्र है कि अपना बनाओ, अपना बेचो,अपना खरीदो अपने का प्रयोग करो, अपने का गुण गाओं व अपने की गुणवत्ता बनाओ। वोकल फॉल लोकल। ऐसे में हम आत्मनिर्भर बनेगें। विस्तारवादी ताकतों की कमर तोड़ देगें। रॉ मेटीरियल से फिनिश गुड भारत में ही बनाए। अब नकल मारकर जीने की आवश्यक्ता नहीं है, बल्कि अकल से भारत को निर्माण करने की आवश्यक्ता है। इस तरह से हम प्राचीन काल की तरह भारत को आत्मनिर्भर व आत्मसमर्थ बना सकते हैं।
कोरोना वायरस को चीन द्वारा निर्मित जैविक हथियार बताते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि कोविड 19 एक वायरस नहीं है बल्कि चीन ने एक जैविक हथियार बनाया था जो वर्तमान में संपूर्ण मानवता के लिए संकट पैदा कर दिया है। भारत ने आयुर्वेद के साथ आत्मनिर्भरता के संकल्प को लेकर इस विपदा का मुकाबला किया और बड़ी संख्या में पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर सहित अन्य चिकित्सा सुविधाओं का न केवल अपने लिए निर्माण किया है, बल्कि दूसरे देशों की भी मदद की है। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व भारत द्वारा कोरोना की वैक्सीन निर्माण की अपेक्षा कर रहा है ताकि मानवता को उपभोक्तावाद से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि आत्मसंयम और आत्मनिर्भरता भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है क्योंकि भारत ने कभी विस्तार के लिए हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया है। अखण्ड भारत के निर्माण लिए उन्होंने खोए जन और खोई जमीन को वापिस पाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का जो भूभाग चीन एवं पाकिस्तान के कब्जे में है, उसे भी हम मुक्त कराएंगे, यह संकल्प लेना होगा।
कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि हमारा देश प्राचीन काल में आत्मनिर्भर व आत्मसमर्थ था। हमारे ऋषि महान वैज्ञानिक थे। वे अनेक क्षेत्रों में दक्ष थे। ज्ञान, विज्ञान व चरित्र के रूप में विश्व गुरू था। सोने की चीड़िया था आज भी वह स्वपन साकार हो सकता है। इसके लिए हमें सकारात्मक दष्टि कोण से कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा किअसंभव को संभव बनने का रास्ता बनता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार राष्ट्र की हम सब संतान हैं। पृथ्वी हमारी माता है तथा हम इसकी संतान हैं। हम एक परिवार के रूप में अपनी मां की साधना करने वाले हैं। भारत ने ही कहा पृथ्वी सबकी मां है। हम सब अलग अलग विचार रखने वाले लोग एक परिवार के लोग है। विश्व एक कुटुंब है। इसका ज्ञान और विज्ञान भारत ने ही विश्व को दिया। दुनिया ने आचरण के कारण ही भारत को विश्व गुरू माना।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि आत्मसंयम से आत्मनिर्भर भारत का उदय विश्व देख रहा है। आत्मनिर्भर के ज्ञान का उदय होना चाहिए। हम नई वैज्ञानिकता और विद्वताकी विचारधारा को जन्म दे। सकारात्मकता का आंदोलन सब भेदों से उपर उठकर सबको जोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,मुरथल ने चीनी उपकरण व सामान पर पूर्णतय प्रतिबंध लगा रखा है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और कर्मचारी स्वयं स्वदेशी को लेकर एक मुहिम चला रहे हैं। विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम देश में बना हुआ सामान और प्रयोगशालाओं में यंत्रों का प्रयोग हो, ऐसे दिशा निर्देश हैं।