डॉ0 जटाशंकर तिवारी : यह तीन वर्ष पूर्व की post है। इसमें जो विचार व्यक्त किये गए थे, वे आज के लिए भी उतने ही सत्य हैं। हिंदुत्व के आधारवाली भाजपा पार्टी पर पूरा विश्वास था कि भाजपा इस कार्य को पूरा करने का कार्य कर लेगी। पर, दुख है कि भाजपा ही इसमें सहयोग नहीं कर रही है।भाजपा का सारा हिंदुत्व दिखावटी और सतही लग रहा है। भाजपा ने पिछले नौ वर्षों के शासन में रहने के बाद भी देश और हिंदुओं के विरोधी किसी कानून को अब तक हटाया नहीं है। एक ढंग से भाजपा हिंदुओं को धोखा दे रही है। अगर, इस 2023 के अंत तक इन कानूनों को ठीक नहीं किया गया तो भाजपा के खिलाफ विद्रोह हो सकता है। कोई नई सनातनी पार्टी खड़ी हो जायेगी या भाजपा को ही उखाड़ फेंका जा सकता है। देश के उत्थान के लिए बहुत अच्छा कार्य करनेवाली भाजपा देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का कार्य भी कर रही है। भाजपा ही बतावे की वह क्या कर रही है और ऐसा क्यों कर रही है? मा0 मोदी जी पर टिका हुआ विश्वास लड़खड़ाता हुआ दिखाई पड़ रहा है।भाजपा सँभल जाय तो देश हित में होगा।
आदरणीय मनोज श्रीवास्तव जी द्वारा posted ‘भारत कैसे होगा सनातन राष्ट्र’ के आलेख को पढ़ा।
आपने बहुत अच्छा विश्लेषण किया है और यह कठिनाई भी बताई है कि हम इस देश को हिंदू या सनातन राष्ट्र क्यों नहीं बना पा रहे हैं? आप द्वारा लिखे हुए लेख के कुछ बिंदुओं के आधार पर मैं अपने विचार भी व्यक्त कर रहा हूँ।
1. भारत में लगभग चार लाख हिंदुत्ववादी संगठन हैँ। पर उनको कैसे एक ‘महासंगठन’ के बैनर के नीचे लाया जाए, एक बड़ा प्रश्न है। आपने ‘भारतीय केसरिया वाहिनी’ के नेतृत्व में हिन्दू संगठनों को एक साथ लाने का प्रयास प्रारंभ कर दिया है। यह अच्छी बात है। मैंने भी कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के एक और उत्तराखंड के एक, बड़े ब्राह्मण ग्रुपों को ऐसा हिंदुत्ववादी महासंगठन बनाने के लिए लिखा था।पर, दोनों जगहों से एक जैसा उत्तर मिला था कि हम जातियों में ऐसा बँट गए हैं कि कोई भी प्रयास सफल नहीं होगा।इधर बीच में, आपके ‘भारतीय केसरिया वाहिनी’ के पोस्ट देखे और देखा कि आप हिन्दू संगठनों को एक साथ जोड़ने का प्रयास भी कर रहे हैं। मुझे कुछ उम्मीद हुई कि संभवतः यह कार्य आप लोग कर सकते हैं, यद्यपि कि सभी संगठनों को संतुष्ट रखते हुए एक साथ रख पाना एक दुरूह कार्य है। ब्राह्मणों के ग्रुप काफी संख्या में है। निसंदेह इनमें धर्म के बारे में अच्छा ज्ञान रखने वाले विद्वान भी हैं और उनके अलग-अलग ग्रुप भी हैं। ये ग्रुप आपस में ही संगठित नहीं हो पा रहे हैं। सभी एक दूसरे से अपने को अधिक बड़ा, महान एवं योग्य समझते हैं। ‘आरक्षण’ संबंधी भूत ने पिछड़े तथा दलित वर्ग को वैसे ही एक ढंग से काटकर अलग सा कर कर दिया है। साधारणतया जब हिंदू धर्म की बात उठती है तो उसे सीधे ब्राह्मणवादी या मनुवादी कहकर दूरी बना ली जाती है।इसलिए, आपका ‘सनातन’ शब्द ‘हिंदू’ शब्द से अधिक उपयोगी होगा,यद्यपि कि पूरा देश जानता है कि ‘हिंदुत्ववाद’ जीवन जीने का एक तरीका है और इसका धर्म ‘सनातन धर्म’ ही है। पर, हिंदू धर्म या हिंदू संगठन बोलते ही तमाम अन्य संप्रदाय के लोग जैसे मुस्लिम, ईसाई इत्यादि के साथ-साथ काफी हिंदू ही विरोध में खड़े हो जाते हैं। कारण सबके अपने-अपने हैं। ऐसे में इन संगठनों को एक साथ जोड़ने के लिए हमें अन्य तरीकों के बारे में सोचना पड़ेगा। उदाहरण के लिए स्वतंत्रता के बाद हिंदुओं को कमजोर करने के लिए संविधान बनाते वक्त और संविधान बन जाने के बाद भी उनमें अलग-अलग सुधारों के नाम पर किन-किन बिंदुओं या कानूनों द्वारा द्वारा हिंदुओं के खिलाफ साजिशें रची गई और आज 70 वर्षों के बाद भी चल रही हैं, को जानना जरूरी है। यदि इन बिंदुओं की लिस्ट बना ली जाए और उनका प्रचार कर हिंदू संगठनों को एक मंच ‘सनातन महा संगठन’ बनाने के लिए कहा जाय तो अधिक सुविधाजनक एवं स्वीकार्य होगा। कोई अन्य उचित नाम भी दिया जा सकता है। :भारतीय केसरिया वाहिनी’ इस संगठन के प्रबंधन और सम्बर्धन के साथ साथ इसकी माँगों को सरकार के सामने रखने तथा पूरे महासंगठन को साथ में लेकर संघर्ष करने का नेतृत्व संभाले। इन विन्दुओं को सामने रखकर सभी हिन्दू संगठनों को एक साथ जुड़ने के लिए कहा जाए तो ‘सनातन महा संगठन’ बनाने में अधिक कठिनाई नहीं होगी। ‘आरक्षण महारोग’ की दवा ‘समान नागरिक संहिता’ कानून को पास करवाकर की जा सकती है।फिलहाल, इस बिंदु पर अभी अधिक जोर न दिया जाय। तीन-चार महीने पहले ‘पिछड़ा वर्ग आयोग’ द्वारा बताया तरीका भी काफी सुधारात्मक होगा। इस पर बाद में विचार कर लिया जा सकता है। अभी तो हमें उन बिंदुओं को इकट्ठा करना होगा जिन पर संविधान द्वारा हिंदुओं के खिलाफ कानून थोपे गए हैं। उदाहरण के लिए इस वक्त जो बिंदु याद आ रहे हैं उन्हें नीचे लिख रहा हूँ । बहुत से अन्य बिंदु आपके सहयोगी बता देंगे। उन्हें भी जोड़ लीजिएगा और प्रचार हेतु व्हाट्सएप और फेसबुक पर भी देते चलियेगा ।इनकी संख्या काफी हो जाए तो सरकार के पास इन्हें सुधारने के लिए ‘सनातन महा संगठन’ द्वारा कहा जाए और सनातन हिंदू राष्ट्र बनाने की बात की जाए। निम्न बिंदुओं से list प्रारंभ की जा सकती है।
1. शिक्षा के क्षेत्र में हिंदू धर्म के साहित्य को पढ़ाने के लिए विद्यालयों को स्वतंत्रता दी जाय।
2. हिंदू मंदिरों के कोष पर एक ढंग से सरकार का अधिकार है, जबकि मस्जिदों एवं चर्चों पर नहीं है। इस विषमता को दूर किया जाय।
3. बीस प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिमों को अल्पसंख्यक नाम देकर हम सभी द्वारा दिए गए टैक्सों एवं धन को उन्हें अतिरिक्त सुविधा के रूप में देने का प्रयास समाप्त किया जाय।उनके अल्पसंख्यक का दर्जा भी समाप्त हो।
4. अधिक बच्चे पैदा कर मुस्लिम जो हमारे संसाधनों तथा ‘वोटिंग पावर’ को समाप्त करते हुए देश को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं उसको रोकने हेतु ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ तुरंत बनाया जाय और उसमे मुस्लिमों को केवल एक बच्चा पैदा करने की ही छूट दी जाय।
5. ‘समान नागरिक संहिता’ द्वारा पूरे देश को एक नियम में बांधकर मुसलमानों की अनावश्यक धार्मिक स्वतंत्रता तथा हिंदुओं के आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त किया जाय।
6. विभिन्न धर्मों के बीच शादियाँ अमान्य हों तथा कानून विरुद्ध मानी जाँय।
7. बिना माता-पिता की स्वीकृति के विभिन्न जातियों के बीच भी शादियाँ अमान्य एवं कानून विरोधी मानी जायें।।
8. ‘कोर्ट मैरिज’ के समय दोनों तरफ के माता-पिता की स्वीकृति एवं उपस्थिति अनिवार्य हो।
9. धर्मांतरण निषिद्ध हो।
10.पुनः वापस धर्मांतरण हिंदुओं को लिए मान्य हो क्योंकि इतिहास ने उनके ऊपर बहुत अत्याचार करके उनका धर्म परिवर्तन कराया था।
11. अल्पसंख्यकों के धर्म ग्रंथ में अन्य धर्म वालों को ‘काफिर’ कहकर उनकी हत्या करते जाने संबंधी आयतें हैं। इस तरह इस देश में 100 करोड़ हिन्दू काफिर रहते हैं। मुस्लिमों को यही बातें मदरसों में तथा मस्जिदों में बताई और पढ़ाई जाती हैं। हिंदुओं का यह ‘सनातन महागठबंधन’ ऐसी उल्टी-सीधी आयतों को उनके धर्मग्रंथ से हटाने के लिए कहे। यदि वे नहीं मानते हैं तो सरकार उनके धर्मग्रंथ को अमान्य एवं कानून बिरुद्ध माने तथा उनके सभी धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जाय।
12. इन सब के अलावा अन्य कानूनों को भी सामने लाया जाय जो हिंदुत्व या सनातन धर्म के लिये कंटक बने हुए हैं।
उपरोक्त तथा इस प्रकार के बिंदु ऐसी बातें हैं जिनके आधार पर ‘हिंदू’ या ‘सनातन धर्म’ को संगठित किया जा सकता है। मोदी जी तो राष्ट्र के मुखिया हैं उनके सामने जब भी कोई बात आएगी वह पूरे देश को एक साथ देखते हैं।यह उनका उत्तरदायित्व भी है। पर,यदि ‘सनातन महा संगठन’ बनाकर अपनी माँग रखी जाय तो उन पर किसी धर्म, जाति, संप्रदाय पर पक्षपात करने का आरोप भी नहीं लगेगा तथा आपका कार्य भी हो सकेगा।