आज जो भी देश महाशक्ति हैं वो अपनी कंपनियों की वजह से ही महाशक्ति हैं – कंपनियाँ रेवेन्यू जेनरेट करके सरकारों को टैक्स देती हैं… कंपनियाँ नौकरियाँ देती हैं… उन कंपनियों में काम करने वाले लोग.. सरकार को टैक्स देते हैं… उस टैक्स से सरकार धनी होती है और विकास योजनाएँ चलाती हैं… साथ ही मुफ्तवाली योजनाओं की फ़ंडिंग करती है
– दुनिया की प्रसिद्ध मैगज़ीन Fortune एक List निकालती है… Fortune 500 । इसमें दुनिया की 500 धनी कंपनियों का नाम होता है । इस लिस्ट के अध्ययन से ये पता चलता है जिसकी जितनी कंपनियाँ इस लिस्ट में है वो उतनी ही बड़ी महाशक्ति भी है ।
– जैसे Fortune 500 की इस लिस्ट में नंबर वन चीन है जिसकी 124 कंपनियाँ Fortune 500 में शामिल हैं… नंबर टू अमेरिका की 121 कंपनियाँ हैं लिस्ट में नंबर थ्री जापान की 68 कंपनियाँ हैं ।
– याद रखिए… 100 साल तो इस देश पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने ही राज किया था जो ब्रिटेन की ही एक कंपनी थी । ईस्ट इंडिया कंपनी ने ही भारत को लूट लूट कर ब्रिटेन को धनवान बनाया था ।
– दुर्भाग्य की बात ये है कि Fortune 500 की लिस्ट में भारत की गिनी चुनी दो चार कंपनियाँ ही हैं और ये कंपनियाँ भी अपने देश के अंदर नौकरियाँ जेनरेट करने और टैक्स देने के बाद भी गालियाँ खा रही हैं । ऐसे में जब देश की कंपनियों का मनोबल ही कमजोर कर दिया जाएगा तो कंपनियाँ देश की तरक्की में क्या योगदान देंगी ।
– अब आप जरा विचार कीजिए… हमारे देश की GDP 2.7 लाख करोड़ हैं लेकिन इससे ज्यादा बड़ा मार्केट तो अमेरिका की एपल और माइक्रोसॉफ्ट कंपनियों का अकेले ही है । यानी जितना पैसा हम करोड़ों भारतीय मिलकर जेनरेट करते हैं उससे ज्यादा ये दो अमेरिकी कंपनियाँ ही कर देती हैं ।
– अब जैसे देश में IT सेक्टर लाखों नौकरियाँ जेनरेट करता है तो क्या ये न्यायोचित है कि नारायण मूर्ति को ही गालियाँ दी जाएं । लेकिन भारत के लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं । इसीलिए ये देश 800 साल गुलाम रहा । हम अक्सर देखते हैं कि लोग जिस कंपनी में काम करते हैं उसी कंपनी को गालियाँ भी देते हैं ।
-अंबानी के जियो की वजह से डेटा और इंटरनेट इतना सस्ता हो गया है कि मोबाइल पर ही तरह तरह के बिज़नेस हो रहे हैं । बच्चे लॉकडाउन में पढाई कर पा रहे हैं और तमाम सारे काम आज ऑनलाइन हो रहे हैं । लेकिन ये कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि उसी सस्ते डेटा का इस्तेमाल करके कई लोग Twitter पर Trend करवाते हैं… boycott Ambani.
– वास्तव में ये भारतीयों की एक मूल समस्या ईर्ष्या की समस्या की वजह से हो रहा है । भारत के ज्यादातर लोग पड़ोसी की तरक्की बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं वो अरबपतियों को इसलिए गालियाँ देते हैं क्योंकि खुद अरबपति नहीं हैं ।
– रिलायंस इंडस्ट्री 67,000 करोड़ रुपया सिर्फ GST के रूप में देश को देती है क्या वो पाप कर रही है ? ऐसे ही पैसों से देश में मुफ्त की योजनाएँ चल रही हैं और अगर ये कंपनियाँ बंद हो जाएँगी तो मुफ्तखोरी भी बंद हो जाएगी ।
– हमें इन कंपनियों की तरक्की से सीखना चाहिए ना कि उन्हें गालियाँ देनी चाहिए । जैसे इंडिया गेट कंपनी चावल की एक बड़ी वर्ल्ड कंपनी है । ये कंपनी पाकिस्तान से आए दो हिंदू शरणार्थी भाइयों ने शुरू की थी । तो हमें इन कंपनियों के मालिकों की मेहनत का सम्मान करना चाहिये ना कि उन्हें गालियाँ देनी चाहिए ।
– इसी तरह MDH वाले धर्मपाल गुलाटी जी.. पाकिस्तान से शरणार्थी बनकर आए थे… साइकिल पर मसाले बेचते थे । आज उनकी कंपनी दुनिया में मसाले एक्सपोर्ट करती है । लोगों को नौकरियाँ देती हैं । रेवेन्यू जेनरेट करके सरकार का ख़ज़ाना भरती है ।
– इसी तरह अक्सर अदानी को भी गालियाँ दी जाती हैं अदानी की सोलर कंपनी…दुनिया की सबसे बड़ी सोलर कंपनियों में शुमार है ।
ये कंपनी भी देश को प़ॉल्युशन फ्री बना रही है… देश में नौकरियाँ देती है… टैक्स जेनरेट करती है तो क्या ये इसकी गलती है ?
एक साजिश के तहत चीन भारत की बडी कंपनियों को बंद कराने की कोशिश कर रहा है, जो उसे टक्कर दे रही हैं, उसमें चीन का साथ भारत में बैठे उसके ऐजेंट – वामपंथी, कांग्रेस और अब मुस्लिम और दलित संगठन भी दे रहें हैं ၊
पिछले दिनों कर्नाटक में एप्पल कंपनी के प्लांट में कुछ लोगों ने तोडफोड की व कंपनी के कर्मचारियों से मारपीट की , क्योंकि यह कंपनी चीन को छोडकर अब भारत में एप्पल फोन बनाने की तैयारी में है – इस हिंसा में वामपंथी, कांग्रेसी हाथ के सबूत पुलिस के हाथ लगे हैं, एप्पल कम्पनी भारत में बंद होगी तो बेरागार कौन होंगें??? भारतीय युवा ही , और रिवैन्यू का नुकसान भी भारत का ही होगा , यही चीन चाहता है
पवन त्यागी, राजनैतिक विश्लेषक, उ०प्र०