अनूप , हिसार : नागफनी का परिचय (Introduction of Nagfani) आपने देखा होगा कि बहुत सारे लोग घरों की सुंदरता के लिए अपने घरों के आगे फूल-पौधे लगाते हैं। दरअसल फूल और पौधों की खूबसूरती के कारण घरों का लुक भी आकर्षक हो जाता है। आपने यह भी देखा होगा कि कुछ घरों के आगे गमलों में कांटेदार पौधे भी लगे होते हैं। इसी कांटेदार पौधे का नागफनी है। नागफनी का पौधा (Nagfani Plant) कांटेदार होने के बाद भी देखने में काफी खूबसूरत होता है। उम्मीद है कि आपको केवल इतना ही पता होगा। शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि नागफनी का उपयोग केवल सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि अन्य कामों के लिए भी किया जाता है। आप यह भी नहीं जानते होंगे कि नागफनी का प्रयोग एक औषधि के रूप में भी होता है।
What is Nagfani?
Nagfani Called in Different Languages
Benefits and Uses of Nagfani Plant
Nagfani Plant Benefits in Cure Eye Problems
Nagfani Tree Benefits in Fighting with Cough
Nagfani Flower Benefits in Fighting with Constipation
Nagfani Plant Uses in Cure Anemia
Nagfani Tree Uses in Cure Leucorrhoea
Nagfani Flower Uses in Enlargement of Prostate Gland Problem
Nagfani Tree Benefits in Cure Pain & Inflammation
Nagfani Plant Benefits in Wounds Healing and Skin Problems
Nagfani Plant Uses in Fighting with Jaundice
Beneficial Parts of Nagfani Plant
Where is Nagfani Found or Grown?
जी हां, यह सच है। पुराने समय में नागफनी के काँटे से ही कान में छेद कर दिया जाता था। चूंकि इसके कांटे में एंटीसैप्टिक के गुण होते हैं, इस कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस (पीव) पड़ती थी। इस कारण इसे वज्रकंटका के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा भी नागफनी (nagphani) के फायदे और भी हैं। आइये जानते हैं नागफनी के औषधीय प्रयोगों के बारे में।
नागफनी क्या है? (What is Nagfani?)
नागफनी (nagfani tree) एक कैक्टस है जो सूखे तथा बंजर स्थानों पर उगता है। इसका तना पत्ते के सामान लेकिन गूदेदार होता है। इसकी पत्तियां काँटों के रूप में बदल जाती हैं। यह 2-4 मीटर तक ऊँचा, सीधा, अनेक शाखाओं वाला, मांसल, कांटों से युक्त और कई वर्ष तक जीवित रहने वाला है। पानी की कमी वाले स्थानों में पैदा होने के कारण इसके पत्ते कांटों के आकार में होते हैं। नागफनी के पौधे (Nagfani Plant) को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है। इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं।
नागफनी के फल गोलाकार अथवा नाशपाती के आकार के होते हैं। यह आधे पके होने की अवस्था में बहुधा मांसल और पूरे पके होने पर गहरे लाल रंग के हो होते हैं। नागफनी के पौधे में फूल (nagfani flower) और फल अप्रैल-सितम्बर से नवम्बर-दिसम्बर तक होता है।
अनेक भाषाओं में नागफनी के नाम (Nagfani Called in Different Languages)
नागफनी (nagfani tree) का वानस्पतिक नाम ओपुन्शिया इलेटीओर (Opuntia elatior Mill.), Syn-Opuntia dillenii Haw. तथा Cactus elatior (Mill.) Willd है। यह कॅक्टेसी (Cactaceae) कुल का पौधा है। अंग्रेजी भाषा तथा विविध भारतीय भाषाओं में इसके नाम निम्नानुसार हैंः-
Nagfani in –
Hindi – नागफनी, नागफणी, हट्ठथोरिया, नागफन
English – Prickly pear (प्रिक्ली पियर), स्लिपर थार्न (Slipper thorn)
Urdu – नागफनि (Nagaphani)
Oriya – नागोफेनिया (Nagophenia), नागोफेनी (Nagopheni)
Kannada – छप्पातिगल्ली (Chapatigalli), दब्बुगल्ली (Dabbugalli)
Gujarati – चोर्हठालो (Chorhathalo)
Bengali – नागफन(Nagphana), फे निमामा (Phe nimama)
Nepali – सिऊंदी भेद (Siundi bhed)
Punjabi – छित्तरथोहर (Chittarthohar)
Tamil – मुल्लुक्काल्लि (Mullukkalli), नागदलि (Nagadali)
Telugu – नागदलि (Nagadali), नागजेमुदु (Nagajemudu)
Malayalam – नागमुल्लु(Nagmullu), नागतलि (Nagtali)
नागफनी के औषधीय लाभ
नागफनी (nagfani tree) स्वाद में कड़वी, पचने पर मधुर और प्रकृति में बहुत गर्म होती है। नागफनी कफ को निकालती है, हृदय के लिए लाभकारी होती है, खून को साफ करती है, दर्द तथा जलन में आराम देती है और खून का बहना रोकती है। नागफनी खाँसी, पेट के रोगों और जोड़ों की सूजन तथा दर्द में लाभ पहुँचाती है। इसके फूल (nagfani flower) कसैले होते हैं। इसका तना तासीर में ठंडा और स्वाद में कसैला होता है। तना हल्का विरेचक (Purgative), भूख बढ़ाने वाला और बुखार तथा विष को नष्ट करने वाला होता है। विभिन्न रोगों में इसके प्रयोग की विधि यहाँ दी जा रही है।
आंखों के लिए लाभकारी है नागफनी का प्रयोग (Nagfani Plant Benefits in Cure Eye Problems)
नागफनी के तने के गूदे को पीसकर आँखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आँखों के अनेक रोग ठीक होते हैं।
आँखों में लाली की समस्या हो तो नागफनी (nagfani tree) के तने से कांटे साफ कर दें और फिर बीच में से फाड़ लें। इसके गूदे वाले भाग को कपड़े में लपेट कर आँखों पर रखने से लाभ होता है।
नागफनी के सेवन से दमा-खाँसी का इलाज (Nagfani Tree Benefits in Fighting with Cough)
खाँसी और दम फूलने यानी दमा जैसे रोगों में नागफनी का प्रयोग काफी लाभदायक है। 10 मिली नागफनी के फल के रस में दोगुना मधु तथा 350 मिग्रा टंकण मिला कर सेवन करें। इससे खाँसी और दम फूलने की परेशानी में लाभ होता है।
नागफनी के फल की छाल के 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से खाँसी, दम फूलना और काली खाँसी में लाभ होता है।
नागफनी के उपयोग से कब्ज की परेशानी में फायदा (Nagfani Flower Benefits in Fighting with Constipation)
नागफनी में पेट को साफ करने का भी गुण होता है। 1-2 ग्राम नागफनी के फल के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज समाप्त होती है और मल खुल कर आता है।
नागफनी के फल की बजाय यदि 1-2 ग्राम फूलों (nagfani flower) के चूर्ण का सेवन किया जाए तो पेचिश की शिकायत में लाभ होता है।
खून की कमी दूर करे नागफनी का सेवन (Nagfani Plant Uses in Cure Anemia)
शरीर में खून की कमी होने से शरीर का रंग पीला दिखने लगता है और कमजोरी भी आती है। इसमें नागफनी का प्रयोग करें। नागफनी के पके हुए फलों का प्रयोग करने से खून की कमी से शरीर के पीला पड़ने की बीमारी में लाभ होता है।
ल्यूकोरिया ठीक करे नागफनी का प्रयोग (Nagfani Tree Uses in Cure Leucorrhoea in Hindi)
सफेद प्रदर यानी योनीमार्ग से सफेद पानी का जाना महिलाओं की एक आम बीमारी है। इससे महिलाओं के स्वास्थ्य पर काफी खराब असर पड़ता है और वह कमजोर तथा पीली पड़ जाती है। नागफनी के फल के 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से सफेद प्रदर यानी ल्यूकोरिया रोग में लाभ होता है।
नागफनी (nagphani) के सेवन से पुरुषों में होने वाले सुजाक यानी गोनोरिया रोग का भी नाश होता है।
प्रोस्टेट की समस्या दूर करे नागफनी का सेवन (Nagfani Flower Uses in Enlargement of Prostate Gland Problem)
आयु बढ़ने से प्रोस्टेट ग्लैंडों यानी पौरुष ग्रंथि का बढ़ना, पुरुषों में होने वाली एक आम परेशानी है। पेशाब करने में समस्या ही प्रोस्टेट कैंसर के प्रमुख लक्षण है। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण पेशाब करने में परेशानी होती है। रात में बार-बार पेशाब जाना, अचानक से पेशाब निकल आना, पेशाब रोकने में समस्या आदि लक्षण प्रोस्टेट कैंसर में दिखाई पड़ते हैं। नागफनी के फूलों (nagfani flower) के चूर्ण का सेवन करने से प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़ जाने की समस्या दूर होती है।
जलन, सूजन व दर्द दूर करे नागफनी का प्रयोग (Nagfani Tree Benefits in Cure Pain & Inflammation)
नागफनी (nagphani) में एंटीसैप्टिक के साथ-साथ एंटी इनफ्लैमैटरी गुण भी होते हैं। इसलिए वे दर्द, सूजन और जलन आदि में काफी आराम पहुँचाते हैं। नागफनी के पत्तों को अच्छी तरह पीसकर जोड़ों पर लगाने से जोड़ों में हुई सूजन समाप्त होती है और उनमें होने वाली जलन और दर्द में भी आराम मिलता है।
खून की गरमी के कारण होने वाली जलन तथा दर्द में नागफनी के तने को पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
चर्म रोग तथा घाव ठीक करे नागफनी का प्रयोग (Nagfani Plant Benefits in Wounds Healing and Skin Problems)
नागफनी (nagfani tree) में एंटीसैप्टिक गुण होते हैं। इसलिए यह अनेक चर्मरोगों में काम आता है। नागफनी घावों को शीघ्र भर देता है, उनमें संक्रमण नहीं पनपने देता और कीड़ों तथा पस यानी पीव को नष्ट करता है।
नागफनी के तने के गूदे को पीसकर घाव पर लगाने से घाव शीघ्र भर जाता है। कीटाणुओं के संक्रमण के कारण होने वाले घावों को ठीक करने के लिए भी इसको पीसकर घाव पर लगाते हैं।
नागफनी (nagphani) को पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खुजली आदि चर्म रोगों और चोट के कारण हुई सूजन तथा जलन भी ठीक होते हैं।
यदि फोड़े कच्चे हों और पक न रहे हों तो नागफनी के पत्तों को पीसकर गुनगुना गर्म करके फोड़ों पर लेप कर दें। फोड़े शीघ्र पक कर फूट जाएंगे।
पीलिया रोग में फायदेमंद नागफनी का इस्तेमाल (Nagfani Plant Uses in Fighting with Jaundice in Hindi)B
नागफनी (nagphani) के पके फलों का प्रयोग कामला या पीलिया रोग की चिकित्सा में किया जाता है। इसके लिए आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से नागफनी के प्रयोग की जानकारी लें।
नागफनी के उपयोगी हिस्से (Beneficial Parts of Nagfani Plant)
नागफनी के पत्ते यानी कांटे
फूल (nagfani flower)
फल
नागफनी के इस्तेमाल की मात्रा और सेवन विधि (Usages & Dosages of Nagfani Tree)
रस – 10 मिली
चूर्ण – 1-2 ग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार नागफनी का इस्तेमाल करें।
नागफनी कहाँ पाया या उगाया जाता है? (Where is Nagfani Found or Grown?)
नागफनी (nagfani tree) का पौधा सबसे पहले मैक्सिको में उगाया गया था है और अब यह भारत में भी बहुत आसानी से उपलब्ध है। भारत में यह शुष्क भागों, प्रायद्वीपों एवं बगीचों के किनारे पाया जाता है। प्रायः लोग इसे घरों के बाहर या खेतों के किनारों पर बाड़ के रूप में लगाते हैं। यह बाग-बगीचों में भी पाया जाता है