नीम की दातुन से एक नहीं बल्कि अनेकों लाभ हैं। प्रथम तो दाँतों की सफाई होती है, दूसरा लाभ पायरिया जैसे रोगों में नीम का दातुन उत्तम औषधि हैं। नीम के दातुन का तीसरा अति प्रभावकारी लाभ यह हैं कि दातुन करते समय जो दातुन का रस पेट में चला जाता हैं तो आंत में होने वाली कीड़िया (कृमि) मर जाते हैं। उन कीडियों के कारण पेट में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न होते है जैसे – गैस की समस्या, अपच आदि। नीम की दातुन से हमारे मुँह में अधिक मात्रा में लार बनती है जो पेट के एसिड़ को खत्म करता है और पाचन तंत्र को दुरुस्त करता हैI अमेरिका और यूरोप के लोग भी अब भारत से नीम के दातुन मगांकर नीम का दातुन करने लगे हैं और हम मूर्खो की तरह जानवरों की हड्डियों के चूरे और केमिकल से बने कोलकेट, पेप्सोडेन्ट आदि उपयोग करने लगे हैं।
विज्ञापनों मे दिखाया जाता है कि कोलगेट से बनते है दांत मजबूत। अगर ये बात सच है तो भारत मे लाखों करोड़ों दांत के मरीज क्यों बनने लगे ? 1970 से पहले भारत के लगभग हर घरों मे नीम बबूल के दातुन ही इस्तेमाल करते थे और उस जमाने कोई भी इंसान दांत का मरीज नही था। टूथ पेस्ट की तुलना मे दातुन बहुत सस्ता और फायदेमंद है और दांत सही सलामत रहते है तो दवाओं का खर्चा भी नही। कोलगेट जैसी अनगिनत बेकार की विदेशी चीजें खरीदने से हमारे ही देश का पैसा अमेरिका इंग्लैंड जैसे देश मे चला जाता है फिर हम ही आलोचना करने लगते है कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है देश मे गरीबी के खिलाफ कोई भी सरकार नेता कुछ नही करते पर सच तो यही है कि बिनजरुरी विदेशी चीजें हम ही खरीद कर देश का हजारों करोड़ का नुकसान करते है और वो पैसा विदेशों मे चला जाता है।
हमारे पूर्वज पागल नही थे कि दातुन करके अपने दांत सुरक्षित रखते थे पर आज के आधुनिक जमाने मे हम अंधे बने है। इसलिए हमें सच्चाई दिखाई नही देती। कई लोगों के सवाल होते है कि दातुन बहुत कम जगहों पर मिलते है उनके लिए एकमात्र जवाब कि भारत मे जितनी टूथ पेस्ट की फैक्टरी है उससे हजारों गुना नीम बबूल के पेड़ है। अकेली कोलगेट कंपनी भारत से मुनाफा कमाकर अरबों रुपए अमेरिका लेकर जाती है ऐसी हजारों विदेशी कंपनियाँ भारत को चालाकी से लूट रही है पर मीडिया वाले कभी ये सच नही बोलते।
। श्री राजीव दीक्षित जी को सुनीये और सच को समझने का प्रयास करे ।