By Dr. KK Aggarwal : स्लीप एपनिया अर्थात सोते समय सांस लेने में रुकावट आना। यह एक ऐसे बीमारी है जिसमे व्यक्ति की सांस नींद में ही रुक जाती है और उन्हें पता भी नहीं चलता है। नींद में सांस रुकने की यह तकलीफ कुछ सेकंड्स से लेकर 1 मिनट तक हो सकती है। स्लीप एपनिया से ग्रस्त लोग अधिकतर जोर से खराटे लेते है लेकिन हर कोई खराटे लेना वाला व्यक्ति स्लीप एपिनिया बीमारी से ग्रस्त नहीं रहता है। इस बीमारी में सांस लेने वाली नली के ऊपरी मार्ग में रुकावट होने की वजह से वायु का प्रवाह सही से नहीं होता है। यदि रोगी के सांस लेने में रुकावट देर तक रहती है तो खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है।
स्लीप एपनिया के कारण
स्लीप एपिनिया के अनेक कारण है।
1. शरीर में अधिक मोटापा होना।
2. टॉन्सिल के आकार का बढ़ा होना।
3. किडनी से सम्बन्धित समस्या
4. बच्चे का समय से पहले जन्म होना।
5. मस्तिष्क में संक्रमण।
6. स्ट्रोक।
7. तंत्र व तंत्रिका को प्रभावित करने वाली बीमारियों जैसे न्यूरोमस्कुलर रोग।
स्लीप एपनिया के लक्षण
रोगी में निम्नलिखित लक्षणों से स्लीप एपिनिया की समस्या को समझा जा सकता है।
1. सांस लेने में रुकावट आना।
2. खराटे लेना
3. थकान लगना
4. दिन के समय अधिक नींद आना
5. पेशाब के लिए रात में अक्सर जागना
6. ध्यान रखना, सतर्कता और एकाग्रता में कमी होना
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स्लीप एपनिया का इलाज
विभिन्न प्रकार के उपाय को अपनाकर स्लीप एपनिया का इलाज किया जा सकता है
1. सीपीएपी मशीन का प्रयोग करने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती यह स्लीप एपनिया के इलाज के लिए आवश्यक होती है।
2. स्लीप एपनिया से ग्रस्त रोगी के लिए सोते समय टंग रिटेनिंग और माउथपिस का प्रयोग करने की सलाह देते है। यह सांस लेने वाली नली के उपरी वायु मार्ग में आने वाली रुकावट को कम करने व खोलने में मदद करता है।
3. डॉक्टर की सलाह पर मुंह और जीभ की थेरेपी मांसपेशियों को मजबूत करती है। यह थैरेपी स्लीप एपनिया के इलाज के लिए कारगर साबित होती है।
स्लीप एपनिया के प्रकार।
स्लीप एपनिया के सिर्फ दो ही प्रकार होते है
1. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया: यह स्लीप एपनिया का पहला और सामान्य प्रकार है। इस समस्या में व्यक्ति के सोते समय वायु मार्ग में रुकावट के दौरान सांस लेने में परेशानी होती है। जिसके कारण अधिकतम लोग जोर से खराटे लेते है।
2. सेंट्रल स्लीप एपनिया:- इस रोग से ग्रस्त रोगी का मस्तिष्क सांस को नियंत्रित करने वाली मासपेशियों में संकेत भेजने में विफल हो जाता है जिसकी वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है।
3. ऑब्सट्रक्टिव और सेंट्रल स्लीप एपनिया का एक साथ होना: यदि किसी रोगी में स्लीप एपनिया की यह दोनों समस्याएं एक साथ हो जाती है तो उसे मिक्स स्लीप एपनिया कहा जाता है।
स्लीप एपनिया को कम करने व बचाव के उपाय
1. मोटापा कम करना: स्लीप एपनिया को कम करने व बचाव के लिए शरीर का स्वस्थ होना जरूरी है वजन बढ़ने के साथ साथ स्लीप एपनिया के बढ़ने की भी संभावना बढ़ जाती है क्यूंकि अधिकत वजन व मोटापा से गले के संकुचन में परेशानी होती है।
2. शारीरिक गतिविधि: प्रत्येक दिन 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से स्लीप एपनिया के लक्षणों को दूर किया जा सकता है।
3. धूम्रपान और शराब का सेवन ना करे: धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए इनकी वजह से सांस लेने की मांसपेशियों और गले के पिछला हिस्सा शिथिल हो जाता है।
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