चण्डीगढ़:24 अक्तुबर 2020 व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र उŸथान का मार्ग प्रशस्त होगा क्योंकि व्यक्तियों से ही समाज बनता है। और समाज से ही राष्ट्र बनता है। यह कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा के प्रांत प्रचारक विजय कुमार का वह आज विजय दशमी की पूर्व संध्या पर पंचनद शोध संस्थान द्ववारा आयोजित ई-गोष्ठी में बोल रहे थें। उन्होने कहा कि व्यक्ति जब अपने अंदर गुणो का विकास करता है। तभी व्यक्तित्व निर्माण होता है। जिस राष्ट्र में व्यक्तित्व निर्माण की क्षमता है। वही राष्ट्र उŸथान की और अग्रसर है।
उन्होने भारत की सनातन परंपरा की और ध्यान आर्कषित करवाते हूए कहा की भारत को विश्व गुरू बनाने मेंत्याग , बलिदान और निर्बल की मदद करने जैसेे गुणो का अहम योगदान है। जिससे हमारा राष्ट्र यह गौरव प्राप्त कर पाया दुनिया में जिस प्रकार का परिदृश्य चल रहा है। उसमें भारत ने अपनी कठोर साधना एवं पूरातन संस्कारों के बल पर राष्ट्र उŸथान का मार्ग प्रशस्त किया है। जबकि पश्चिम के देशों ऐसा नही है उन्होने सामुहिक गुणों के निर्माण को राष्ट्र उŸथान के र्माग में राम बाण बताया और कहा कि हमारी संस्कृतिक चेतना और साधना ही पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है।
इसी संर्दभ में उन्होने बताया कि हमारे वेद,पुराणों में भी राष्ट्र के प्रति सजगता का उल्लेख किया गया है। जब-जब राष्ट्र उŸथान में शून्यता आती है तब राष्ट्र पतन की और चले जाते है। पश्चिम में भौगोलिक कारणों से राष्ट्र बनते है हमारे यहाँ सांस्कृतिक चेतना से राष्ट्र निर्माण होता है। हमे सदैव अपने राष्ट्र के उŸथान की और बढ़ना चाहिए।
इस अवसर पर पंचनद शोध संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ कृष्ण चंद्र आर्य ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हमने जो ग्रहण किया उसी से हम पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर पाए। महाभारत मेे भी कहा गया है कि खुद के सुख में फूले न समाकर दूसरों के दुःख में खड़े रहना ही हमारी संस्कृति है हम अतुलित शौर्य और बुद्वि धारण करके राष्ट्र उŸथान का मार्ग प्रशस्त कर सकते है।
इस मौके पर पंचनद शोध संस्थान के निदेशक प्रो0 बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि एक समय में भारत सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र था आज उसी राष्ट्र को पुनः सशक्त बनाने के लिए हम सबको व्यक्तित्व निर्माण की पाठशाला में प्रवेश लेना होगा हम न केवल स्वंय के गुणो का अवलोकन करें ब्लकि राष्ट्र के प्रति अवलोकन करके ही राष्ट्र उŸथान में सहभागिता कर सकते है। इस ई-गोष्ठी में पंचनद शोध संस्थान के सभी केन्द्रो में अपनी सहभागिता की।