इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति ने ‘हिन्दू त्योहारों के समय हिन्दूविरोधी प्रचार?’यह ऑनलाइन ‘विशेष संवाद’ आयोजित किया था । इसमें सम्मिलित इतिहास और संस्कृति अध्ययनकर्ता अधिवक्ता सतीश देशपांडे ने कहा कि,कांग्रेस के शासनकाल में वामपंथी विचारधारा के लोगों को राजाश्रय मिलने के कारण उन्होंने विविध विश्वविद्यालय स्थापित कर हिन्दूविरोधी विचारधारा का समाज में रोपण किया है । उसी का परिणाम है कि,आज बिंदी अथवा कुमकुम न लगाए हुए विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं । उसका अभ्यासपूर्ण विरोध करना चाहिए । इस समय कर्नाटक की पत्रकार श्रीलक्ष्मी राजकुमार ने कहा कि,हिंदुओं की पहचान मिटाने के लिए प्रारंभ किया हुआ यह ‘सांस्कृतिक जिहाद’ है । आज खाडी देशों में वहां की महिला पत्रकार हिजाब धारणकर समाचार देती हैं । तब भारत में मस्तक पर कुमकुम लगाना प्रतिगामिता कैसे हो सकती है?हमारी धार्मिक क्रियाओं के पीछे का विज्ञान हिन्दुओं तक पहुंचना चाहिए । इस समय ‘सनातन संस्था’ के धर्मप्रचारक श्री.अभय वर्तक ने कहा कि,केवल ‘मलाबार’वाले ही नहीं,अपितु इससे पूर्व तनिष्क,फैब इंडिया,मिंत्रा,जावेद हबीब,मान्यवर ब्रांड आदि ने भी हिन्दूविरोधी आपत्तिजनक विज्ञापन दिए हैं । एक भी विज्ञापन मुसलमान अथवा अन्य पंथियों के विरोध में नहीं है;क्योंकि वे धर्म के लिए संगठित हैं । इसलिए उनके विरोध में विज्ञापन करने का कोई साहस नहीं करता । हिन्दुओं को स्वयं का धर्म संजोने के लिए ऐसे उत्पादनों का बहिष्कार करने सहित कानूनी लडाई लडनी चाहिए । इसके विरुद्ध कठोर कानून बनाने की मांग करनी चाहिए ।