मध्यप्रदेश में माटी के शिल्प के विकास और उससे संबंधित उद्यमियों की आर्थिक उन्नति के लिये गठित माटी कला बोर्ड की गतिविधियों में निरंतर वृद्धि हो रही है। विगत 5 जून 2008 से गठित बोर्ड ने माटी कला से जुड़े उद्यमियों के लिये अनेक महत्वपूर्ण योजनाएँ संचालित की है। इनमें ‘श्री यादें माटी कला, उद्यमियों को प्रशिक्षण एवं प्रचार-प्रसार की पुरस्कार योजना शामिल है। गत वर्ष से मुख्यमंत्री ब्याज अनुदान और कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालन की योजना भी शुरू की गई है।
श्री यादे माटी कला योजना में गत वर्ष 95 प्रतिशत उपलब्धि अर्जित की गई। चालू साल में इसमें 680 उद्यमि को लाभ पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। माटी कला उद्यमियों के प्रशिक्षण की योजना में भी पिछले साल 2013-14 में शत-प्रतिशत उपलब्धि मिली है। इस साल भी सौ फीसदी लक्ष्य प्राप्त होने की संभावना है। मुख्यमंत्री ब्याज अनुदान योजना में इस वर्ष 620 उद्यमी को लाभ मिलेगा। वहीं माटी कला से जुड़े उद्यमियों के कौशल उन्नयन के लक्ष्य की भी पूर्ति होगी।
प्रचार-प्रसार योजना के अंतर्गत इस साल प्रजापति समाज के तीन उत्कृष्ट शिल्पियों को राज्य-स्तरीय पुरस्कार दिये जायेंगे। राज्य शासन द्वारा गठित समिति उत्कृष्ट कलाकृतियों का चयन करेगी। प्रथम पुरस्कार में एक लाख, द्वितीय में 50 हजार तथा तृतीय में 25 हजार रुपये की राशि शिल्पियों को समारोहपूर्वक दी जायेगी।
बोर्ड द्वारा चालू माली साल में उपयुक्त जिले का चयन कर वहाँ सेरेमिक, मुलेला, टाइल्स, ब्लू पॉटरी आदि के कलस्टर विकसित करवाये जायेंगे। इसके लिये देश के प्रतिष्ठित संस्थान महात्मा गाँधी औद्योगिकीकरण प्रशिक्षण संस्थान, सेवा ग्राम वर्धा, सेन्ट्रल ग्लास एवं सेरेमिक रिसर्च संस्थान, खुर्जा उत्तरप्रदेश तथा केन्द्रीय ग्राम कुम्हारी संस्थान, खानापुर जिला बेलगाम, कर्नाटक का सहयोग लिया जायेगा।
पिछले साल महू में 50 महिला उद्यमियों को टेराकोटा एवं कोर्न वर्क का प्रशिक्षण दिया गया। सरस मेले में भी माटी कला शिल्पियों की भागीदारी हुई। गणतंत्र दिवस पर भोपाल में हुए लोकरंग महोत्सव में माटी कला के दस स्टॉल लगाये गये। जिला एवं तहसील-स्तर पर प्रदर्शन सह-स्व-रोजगार मेले का आयोजन कर विपणन के अवसर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
माटी कला से जुड़े शिल्पियों को प्रोत्साहित करने के लिये कुछ माह पूर्व ही भोपाल के गौहर महल में ‘माटी की महक’ उत्सव मेले का आयोजन किया गया था। मेले में ग्वालियर, भोपाल, मण्डला, होशंगाबाद, हरदा, छतरपुर, इंदौर, झाबुआ, पन्ना, सीहोर, मुरैना, बैतूल, गुना, अलीराजपुर आदि जिलों के माटी कला शिल्पियों के साथ-साथ भारत भवन, राजस्थान एवं गुजरात के शिल्पियों ने भी भाग लिया था। मेले में लगभग साढ़े पाँच लाख रुपये के माटी के उत्पादों का विक्रय हुआ। ग्रामोद्योग मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने माटी शिल्पियों के उत्पादों के प्रदर्शन एवं विक्रय के लिये ‘माटी उत्सव’ का आयोजन प्रतिवर्ष करवाने के निर्देश दिये हैं। इतना ही नहीं माटी कला के प्रशिक्षण केन्द्र के लिये भोपाल जिले में भूमि का चयन भी किया जा रहा है, ताकि माटी शिल्प के उद्यमियों को कौशल उन्नयन एवं आधुनिक तकनीक के प्रशिक्षण के लिये प्रदेश के बाहर न भेजना पड़े।