साथियों,
इधर देश के मध्यप्रदेश समेत चार राज्यों के आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व होने जा रहे हैं जिससे इनका महत्व बढ़ गया है और माना जा रहा है कि इन चुनावों के दौरान बने मतदाताओं के मूढ का असर लोकसभा चुनावों तक बरकरार रहकर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैंं। यहीं कारण हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुये दोनों मुख्य राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस इन विधानसभा चुनावों को फतह करने कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं और सारे राजनैतिक कूटनैतिक दाँव लगा रहे हैं। हमने इससे पहले अपने कई सम्पादकीय में कह चुका हूँ कि आजकल की राजनीति वसूलों सिद्धांतों विचारधारा एवं समाजसेवा के आधार पर न होकर सत्ता हथियाने के लिये मूल उदेश्यों को बलाये ताख रखकर होने लगी है और राजनीति धर्म सम्प्रदाय वर्ग जाति में विभक्त होती जा रही है। राजनीति इस समय गिरगिट की तरह रंग बदलने लगी है और धर्म के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने लगी है। कल मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनावों में रणभेरी बजाने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भावी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार राहुल गांधी पहुंच गये हैं।
उनके वहाँ पहुचंने से ज्यादा चर्चा उनके आगमन पर उनके स्वागत में लगाये के पोस्टरों को लेकर हो रही है और इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनलों पर डिबेट हो रहे हैं। जो पोस्टर उनके उज्जैन नगरी आगमन पर लगाये गये हैं उनमें उन्हें भगवान देवाधिदेव भोलेनाथ की पवित्र शिवलिंग पर जलाभिषेक करते एक शिवभक्त के रूप में दर्शाया गया है।हालांकि वहाँ कांग्रेसी नेता कमलनाथ का आरोप है कि उनके पोस्टरों को नगर निगम से उखड़वा दिया गया है। कांग्रेस के नये राजनैतिक अवतार से भाजपा में खलबली मच गयी है क्योंकि राहुल गांधी की शिवभक्ति कहीं उनके हिदुत्व पर डाका डालकर कमजोर न कर दें।वहां पर चुनाव मैदान में उतरे जेडीयू समाजवादी सभी कांग्रेस की इस राजनैतिक प्रस्तुति का प्रबल विरोध कर इसकी आलोचना कर रहे हैं।वैसे अगर देखा जाय तो कांग्रेस की डोर लम्बे समय तक इंदिरा गांधी जी के हाथों थी तब भी वह धार्मिक स्थलों एवं शंकराचार्य के पास जाया करती थी लेकिन कभी उनकी इन यात्राओं के पोस्टर नहीं छपते थे।
मध्यप्रदेश से शुरू हुये कांग्रेस के राजनैतिक स्वरूप से साबित होता है कि आगामी लोकसभा चुनावों में हिन्दुत्व चेहरे और बढ़ती महंगाई वादाखिलाफी के सहारे कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करके सत्ता तक पहुंचने की कोशिश करेगी।वैसे राजनीति में धर्म नही बल्कि धर्मनीति का उपयोग होना चाहिए क्योंकि जब राजनीति अपने धर्म पथ अग्रसर होती है तो जातिपाँति धर्म सम्प्रदाय नही बल्कि बल्कि मानववाद फलता फूलता है और अधर्म कमजोर हो जाता है।धर्म की डगर पर चलकर राजनीति करके प्रजा की रक्षा सुरक्षा एवं व्यवस्था चलाने की राह ही भगवान राम ने रामराज्य की स्थापना करके और भगवान शिव ने धर्मनीति पर चलने की सीख देकर दी है क्योंकि कहा गया है कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। आजकल राजनीतिक पैतरेबाजी समझ में नहीं आ रही है और आगामी लोकसभा चुनाव जीतने के लिये लोग नये नये प्रयोग होने शुरू हो गये है।इन नये प्रयोग आगामी विधानसभा या लोकसभा चुनावों पर कितना किसको फायदा पहुंचा पायेगें यह तो आना वाला भविष्य ही तय करेगा लेकिन मतदाता को धर्म नहीं पहले दो वक्त का भोजन कपड़ा और मकान के साथ विकास एवं सुरक्षा तथा देश की एकता अखंडता चाहिए।मतदाता इस समय डीजल पेट्रोल रसोईगैस आदि दैनिक उपयोग की बढ़ती कीमतों एवं एकतरफा लागू किये एससी एसटी कानून जैसे काले कानून से आक्रोशित एवं आंदोलित है। धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।।
सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निंग / अदाब / शुभकामनाएं।। ऊँ भूर्भुवः स्वः ——-/ ऊँ नमः शिवाय।।।