2 अक्टूबर — मातृ भक्त – श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन पर कोटि- कोटि नमन

राम गोपाल, जालंधर : भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री का जन्म 02 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय के एक सामान्य परिवार में हुआ था. सामान्य परिवार में ही उनकी परवरिश हुई और जब वे देश के प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुँचे, तब भी वह सामान्य ही बने रहे.
   शास्त्री जी एक प्रमुख राजनीतिक नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया था. उन्हें हरित क्रान्ति में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए भी जाना जाता है. विनम्रता सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व में एक विचित्र प्रकार का आकर्षण पैदा करती थी.
              श्री लाल बहादुर शास्त्री छोटे से परिवार में माँ के अलावा उसका इकलौता पुत्र था. जिसे वह प्यार से नन्हें कहती थी. एक बार नन्हें की माँ बीमार पड़ गई. नन्हें सब प्रकार से माँ की सेवा में जुट गया. एक रात माँ ने पुकारा, ' बेटा ! मुझे प्यास लगी है.' नन्हें तुरन्त पानी का गिलास ले कर पहुँचा, लेकिन तब तक माँ की आँख लग चुकी थी.
       बालक नन्हें ने माँ को जगाना ठीक नहीं समझा. और वह पानी का गिलास लिए चुपचाप माँ के जागने की प्रतीक्षा करने लगा. बीमार माँ को अच्छी नींद आई और वह रात भर नहीं जागी. प्रातः काल जब माँ जागी, तो उस ने देखा कि उसका पुत्र पानी का गिलास लिए सिरहाने चुपचाप खड़ा है. माँ की आँखों में प्रेम के आँसू भर आये. माँ ने कहा, बेटा! तू रात-भर मेरे लिए क्यों खड़ा रहा ? 
        नन्हें ने कहा, माँ ! तुम मेरे लिए सैंकड़ों बार रात-रात भर जागी हो, फिर मैं यदि तुम्हारे लिए एक रात जाग गया तो क्या हुआ ? ऐसा मातृ-भक्त था बालक नन्हें. यही नन्हें बड़ा हो कर लाल बहादुर शास्त्री के नाम से भारत का लोकप्रिय प्रधानमंत्री बना.
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