नई दिल्ली : नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर सुर्खियों में है। यह मामला भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित कानूनी मामलों में से एक बन चुका है, जिसमें कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुख्य आरोपी हैं। आरोप है कि इन्होंने नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़ी संपत्तियों का अनुचित लाभ उठाया और वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया।
नेशनल हेराल्ड अख़बार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम की आवाज़ के रूप में की थी। यह अख़बार *एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा प्रकाशित किया जाता था। वर्ष 2008 में यह वित्तीय तंगी के कारण बंद हो गया।
2012 में भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने शिकायत दर्ज कराई कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए AJL और उसकी करोड़ों की संपत्तियाँ हड़प लीं।
स्वामी के अनुसार: – कांग्रेस पार्टी ने AJL को ₹90 करोड़ का बिना ब्याज वाला ऋण दिया, जो कभी चुकाया नहीं गया।
- इसके बाद YIL ने AJL के 99% शेयर ले लिए।
- इस सौदे के जरिए YIL को AJL की ₹2000 करोड़ से अधिक मूल्य की अचल संपत्तियों का स्वामित्व मिला।
कई वर्षों की जांच के बाद, अप्रैल 2025 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की चार्जशीट दाखिल की।
चार्जशीट में कहा गया है कि AJL की संपत्तियों के अधिग्रहण में गैरकानूनी लेनदेन और धन शोधन के तत्व पाए गए हैं। अब तक ED ₹751.9 करोड़ की संपत्तियाँ अटैच कर चुकी है।
कांग्रेस पार्टी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि लेनदेन पूरी तरह वैधानिक था और इसका उद्देश्य केवल अख़बार को पुनर्जीवित करना था। पार्टी ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए भाजपा पर सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने हालिया घटनाओं के जवाब में देशभर के 57 शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का ऐलान किया है।
वर्तमान में यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है और आरोपी पक्ष ट्रायल का सामना कर रहा है। देश की राजनीति में इसका असर गहरा दिखाई दे रहा है, और आने वाले समय में यह मामला और भी राजनीतिक तूफान खड़ा कर सकता है।