जिस अनुच्छेद 35A (कैपिटल ए) का जिक्र आजकल जम्मू-कश्मीर पर विमर्शों के दौरान हो रहा हैं, वह संविधान की किसी भी किताब में नहीं मिलता।
जिस आर्टिकल की वजह से जम्मू-कश्मीर में लोग भारत का प्रधानमंत्री तो बन सकते हैं, लेकिन जिस राज्य में ये कई सालों से रह रहे हैं वहां के ग्राम प्रधान भी नहीं बन सकते : वह भारतीय संविधान का हिस्सा नहीं ?जिस 35A की वजह से लोग लोकसभा के चुनावों में तो वोट डाल सकते हैं लेकिन जम्मू कश्मीर में पंचायत से लेकर विधान सभा तक किसी भी चुनाव में इन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं : वह 35A भारत के संविधान में कैसे नहीं ? हालांकि संविधान में अनुच्छेद 35a (स्मॉल ए) जरूर है, लेकिन इसका जम्मू-कश्मीर से कोई सीधा संबंध नहीं है।
इसका क्या मतलब ! क्या आर्टिकल 35A (कैपिटल) का वजूद नहीं ? क्या यह कोई संवैधानिक फरेब है ?भारतीय संविधान में आज तक जितने भी संशोधन हुए हैं, सबका जिक्र संविधान की किताबों में होता है। लेकिन 35A कहीं भी नज़र नहीं आता।
अगर कोई पाकिस्तान का लड़का जम्मू कश्मीर की लड़की से शादी कर लेता है तो उस लड़के को सारे अधिकार और भारत की नागरिकता मिल जाती है ।
दरअसल इसे संविधान के मुख्य भाग में नहीं बल्कि परिशिष्ट (अपेंडिक्स) में शामिल किया गया है। यह चालाकी इसलिए की गई ताकि लोगों को इसकी कम से कम जानकारी हो।
भारतीय संविधान की बहुचर्चित धारा 370 जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार देती है। 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद 35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश भी अनुच्छेद 370 की उपधारा (1) के अंतर्गत ही राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था।
भारतीय संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ देना सीधे-सीधे संविधान को संशोधित करना है। यह अधिकार सिर्फ भारतीय संसद को है। इसलिए 1954 का राष्ट्रपति का आदेश पूरी तरह से असंवैधानिक है।
अनुच्छेद 370 पूर्णतः हटाये जाने तक जम्मू कश्मीर को कुछ विशेषाधिकार देता है। लेकिन कुछ लोगों को विशेषाधिकार देने वाला यह अनुच्छेद क्या कुछ अन्य लोगों के मानवाधिकार तक नहीं छीन रहा है?देश की पूर्व राजनैतिक सत्ताओं ने जम्मू-कश्मीर को लेकर जो संवैधानिक भ्रम और फरेब फैलाया है, उन भ्रमों को दूर होना ही चाहिए।
जरूरी है कि नागरिक मूल अधिकारों के हनन का जिम्मेदार 35A न सिर्फ चर्चाओं में रहे बल्कि एक देश एक कानून को स्थापित करने के क्रम में 370 की समाप्ति से पहले उसकी शाखाओं को काटने तक जाए ।
देश की जनता से राजनैतिक सत्ताओं के फरेब 35A को खत्म होने से पहले जानना जरूरी है। हम समझते हैं की समस्त कश्मीर भारत के खिलाफ है। लेकिन ऐसा नहीं है। जम्मू कश्मीर के लद्दाख और जम्मू रीजन के दस जिलों में कोई अलगाववादी भावना नहीं है। आतंकवाद जम्मूरीजन में जरूर रहा है लेकिन अलगाववाद नहीं।
Article 35A की वजह से ही भारत के संविधान के अंतर्गत जो मौलिक अधिकार है वह जम्मू कश्मीर के लोगों पर लागू नहीं होते।- हम भारत के नागरिक होकर भी जम्मू कश्मीर में जाकर बस नहीं सकते , वहां जमीन नहीं खरीद सकते , वहां जाकर कोई व्यवसाय नहीं कर सकते।- जम्मू कश्मीर में ही 70 सालों से रह रहे अस्थायी निवासी भी वहां जमीन नहीं खरीद सकते , उन्हें और उनकी पीढ़ियों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती , उनके बच्चो को उच्च शिक्षा , स्कॉलरशिप नहीं मिल सकती।
-Article 35A महिलाओ में भी लैंगिक भेदभाव करता है यदि कोई जम्मू कश्मीर के बाहर की महिला [Non-PRC = जिसके पास PRC (Permanant Resident certificate) नहीं है] अगर जम्मू कश्मीर के किसी पुरुष से विवाह कर लेती है तो उसे और उसके बच्चो को PRC और सारे अधिकार मिल जाते हैऔर यही अगर जम्मू कश्मीर की महिला भारत के ही किसी अन्य राज्य के पुरुष के साथ विवाह करती है तो उसे तो PRC के अधिकार मिल जायेंगे लेकिन उसके पति और बच्चो को नहीं मिलेंगे अर्थात वह अपनी ही Property अपने बच्चो को ट्रांसफर नहीं कर सकती और नही उसके बच्चे वहां पढ़ लिख या नौकरी कर सकते है।
अब आप देखिये फारुख अब्दुल्ला ने इंग्लैंड की लड़की से शादी की उसके बाद वह जम्मू कश्मीर की निवासी बन गई उनका बेटा हुआ उमर अब्दुल्ला ब्रिटिश लड़की से शादी कर उससे हुए बेटे को सब अधिकार हैl उमर अब्दुल्ला ने शादी की पंजाब की लड़की से तो उसे भी सारे अधिकार मिल गए और उसके बच्चो को भी lलेकिन उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्लाह ने शादी की राजस्थान के वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष “सचिन पाईलट ” से तो सारा को तो सब अधिकार है लेकिन उसके बच्चों को अपनी मां की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है न ही “सचिन पाईलट ” को।
इसी तरह रेणु नंदा का एक केस है जो कि जम्मू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है उनका विवाह पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति से हो गया दुर्भाग्यवश कुछ सालों बाद उनके पति का देहांत हो गया और वह अपने दो बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर जम्मू वापस लौट आईउनके बच्चे बड़े हो गए उनको उच्च शिक्षा आदि में दाखिला नहीं मिल सकता रेणु नंदा अपनी प्रॉपर्टी अपने बच्चों को ट्रांसफर नहीं कर सकतीl रेणु नंदा जम्मू कश्मीर की स्थायी निवासी है लेकिन उनके बच्चे वहां के निवासी नहीं है क्या इससे बड़ा मानवाधिकार उल्लंघन कोई हो सकता है क्या ?
और इसके विपरीत अगर कोई पाकिस्तान का लड़का जम्मू कश्मीर की लड़की से शादी कर लेता है तो उस लड़के को सारे अधिकार और भारत की नागरिकता मिल जाती है ।
यह Article 35A जो जम्मू कश्मीर के लोगो के मानवाधिकारों का हनन करता है और ये सब किया गया है Article 370 clause (1) sub clause (d) की आड़ में।
Article 35A तो Article 370 (1) (d) की ही एक उपज है New Article के रूप में ।
जबकि इसके आलावा भी Article 370 (1) (d) की आड़ में अनेक constitutional Order
पास किये गए जिससे हमारे संविधान के 130 से ज्यादा article जम्मू कश्मीर
में लागु नहीं होते और exceptions & modifications के नाम पर कई
provisions को amend कर दिया गया ताकि state को हर क्षेत्र में Extreem
powers दी जा सके। अब कुछ उदाहरण देखिये क्या क्या Amend किया गया ??
हमारे देश के संविधान का Article 1 और जम्मू कश्मीर का संविधान भी कहता है की J
& K is the Integral Part Of India और article 3 राज्य की सीमाओं
(Boundary) में amendment का अधिकार भारत सरकार को देता है
उसमे constitutional order के द्वारा amendment किया गया की केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर राज्य की boundary में कोई परिवर्तन नहीं कर सकती।इसी तरह article 13 जो कि fundamental Rights की जान है जो यह कहता है की भारत में कोई भी ऐसा Law , Regulation , Order संविधान में आया और यदि वो
fundamental Rights से किसी भी प्रकार से inconsistent है तो वो शून्य
(Void) माना जायेगालेकिन यहाँ फिर से constitutional order के द्वारा amendment किया गया कि अगर जम्मू कश्मीर के लिए कोई law
-regulation -order आया और वो fundamental rights से inconsistent है तो भी वो Void नहीं होगा अर्थात Valid (मान्य) होगा।Article 238 जो कहता है कि भारत के अन्य राज्यों में विधायिका की अवशिष्ट शक्तियां (Residuary Powers ) केंद्र सरकार में निहित है उसको Amend कर दिया कि
जम्मू कश्मीर राज्य के संदर्भ में यह शक्तियां राज्य में ही निहित होगी l
केंद्र सरकार की राज्य सूची (State List ) जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होंगी। अब
ऐसे तीक्ष्ण सवाल मन में चुभते है कि किसी एक राज्य को Residuary Powers
कैसे दी जा सकती है ??? जबकि यह केंद्र सरकार का अधिकार हैl सभी राज्यों के लिए राज्य सूची है तो फिर जम्मू कश्मीर के लिए क्यों नहीं ???
Article 368 जो कि यह कहता है कि संविधान के किसी भी provision में amendment का
अधिकार सिर्फ देश की संसद को है लेकिन फिर से constitutional order पास
किया गया कि Article 368 के अंतर्गत संविधान में amend किये गए provisions
जम्मू कश्मीर राज्य पे लागू नहीं होंगे।क्या देश की sovereign Body (संप्रभु सत्ता) अपनी power को इस हद तक delegate कर सकती है क्या कि उसके अपने खुद के ही हाथ कट जाये ?
क्या देश की सबसे बड़ी sovereign Body संसद Article 370 के द्वारा इस प्रकार की power का इस्तमाल कर सकती है क्या कि उसकी खुद की power ही क्षीण हो जाये
और उसकी power दूसरे को delegate हो जाये।