मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् : जैसे ही गुरु ग्रह ने मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश किया , प्रधान मंत्री ने कृषि कानून वापस लेने की घोषणा कर दी। परंतु अभी गुरु , शनि की राशि में ही 12 अप्रैल तक विराजमान रहेंगे। यदि हम यह समझें कि किसान आंदोलन समाप्त हो गया है और कोरोना चला गया है, तो ये हमारी बड़ी भूल होगी।
कोरोना और कृषक 2021 में अधिक सक्रिय रहे और कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया क्योंकि आकाशीय कौंसिल में दो बड़े ग्रहों, गुरु और शनि की युगलबंदी चल रही थी । अभी ये दोनों 12 अप्रैल तक सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से कोहराम मचाते रहेंगे। यदि आप क्रियात्मक रुप से देखें तो विश्व के कितने ही देशों में कोराना ने सांप की तरह एक बार फिर फन उठा लिया है।
भारत में बेशक तीसरी लहर से हम बचे रहे परंतु डेंगू के डंक से नहीं बच पाए। किसान आंदोलन में हाथी निकल गया पर न्यूनतम मूल्य की पूंछ रह गई जिसका जिक्र अप्रैल 2022 तक चलता रहेगा जब तक गुरु अपनी ही राशि मीन में नहीं आ जाते। मजे की बात तो यह है कि नए संवत 2079,जो 2 अप्रैल ,2022 को आरंभ होने जा रहा है, उसमें भी पंचागानुसार राजा शनि होंगे और मंत्री गुरुरहेगेयानीइनकी युगलबंदीचुनावों में नए समीकरण बना कर सरकारें बनाएंगी।
मेदनीय ज्योतिष अर्थात लोक भविष्य में ग्रहणोंके प्रभावों को बहुत महत्व दिया जाता है। अभी 19 नवंबर को चंद्र ग्रहण, 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बीच बहुत कम अवधि होने के कारण, और गुरु के राशि परिवर्तन केफलस्वरुपबहुत अधिक स्मॉग ,ठंड, धुंध,वर्षा, जल प्रलय, भूकंप, समुद्री तूफानों, प्राकृतिक आपदाओं कीपुनरावृतिसे इंकार नहीं किया जा सकता औरसरकारों कोआपदा प्रबंधन की दिशा में मुस्तैद रहना चाहिए।