हिसार : हरियाणा के राज्यपाल एवं गुरू जम्भेश्वर विज्ञान व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि भारत 21वीं शताब्दी में नया भारत बनने जा रहा है जो फिर से विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि देश के नीति आयोग ने लक्ष्य निर्धारण किया है कि 2022 तक भारत एक ऐसा देश होगा, जो स्वच्छ व स्वस्थ होगा, जिसमें साम्प्रदायिक सौहार्द होगा, सम्पन्न व सुरक्षित होगा और 2047 तक भारत फिर से विश्व गुरू के रूप में स्थापित हो जाएगा।
प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय हिसार के पांचवें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री डा. हर्षवर्धन तथा नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर डा. विजय भटकर पदमभूषण को डॉक्टर ऑफ साईंस की मानद उपाधियां प्रदान कीं। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री हरियाणा प्रो. रामबिलास शर्मा बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता हिसार के विधायक डा. कमल गुप्ता ने की। स्वागत सम्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. अनिल कुमार पुंडीर उपस्थित रहे।
प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने दीक्षांत भाषण में कहा कि यह विश्वविद्यालय महान संत एवं पर्यावरणविद् गुरू जम्भेश्वर जी महाराज के नाम पर स्थापित है। यहां से डिग्री लेना गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने संविधान को देश को समर्पित करते हुए कहा था कि संविधान की सफलता और असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसको लागू करने वाले और अनुपालना करने वाले लोग कैसे हैं। शिक्षण संस्थानों का दायित्व बनता है कि वे नैतिक व जिम्मेदार नागरिक समाज को दें।
उन्होंने डिग्री धारकों को भारत के विकास का उज्ज्वल अंग बनने तथा गुरू जम्भेश्वर जी महाराज के सिद्धांतों पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का यह दीक्षांत समारोह भारतीय संस्कृति के अनुरूप हुआ है। उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी पीएचडी धारकों को भी उपाधियां प्रदान कीं।
भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी बनती है कि हम आगामी पीढ़ी के सुरक्षित जीवन के लिए साफ सुथरी हवा, घने जंगल, उपजाऊ भूमि युक्त पृथ्वी उपलब्ध करवाएं। हमारे पूर्वजों ने हमें सुरक्षित पृथ्वी उपलब्ध करवाई है। उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के साथ सद्भावना स्थापित करनी होगी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण से जुड़े अच्छे 500 से ज्यादा कर्तव्यों की एक सूची तैयार की है। इन अच्छे कर्त्तव्यों का पालन करना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जीवन में जो भी करो, दिल और आत्मा से करो। संवेदनशीलता व करूणा का भाव कभी भी कम नहीं होना चाहिए। उन्होंने डिग्री धारकों से आह्वान किया कि वे आज कोई ऐसा सपना पालकर जाएं, जो देखने मेें मुश्किल लगता हो, लेकिन उसे पूरा करने में जुट जाएं। सफलता निश्चित तौर पर मिलेगी। इसी प्रकार के एक सपने के तहत उन्होंने पोलियो उल्मूलन अभियान को सफलता की सीढियों तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर डा. विजय भटकर ने भी गुरू जम्भेश्वर जी महाराज को याद किया तथा कहा कि गुरू जम्भेश्वर जी के सिद्धांतों को अपनाकर ही हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर भयंकर खतरे उत्पन्न होने लगे हैं। उन्होंने विज्ञान एवं आध्यात्मिकता के समन्वय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को इस दिशा में सार्थक प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने भारतीय सभ्यता को एक महान सभ्यता बताया।
शिक्षा मंत्री हरियाणा प्रो. रामबिलास शर्मा ने नवडिग्रीधारकों से कहा कि उपाधि के साथ जिम्मेदारी भी आती है। उन्होंने कहा कि डिग्रीधारकों ने आज जिन्दगी के पड़ाव में एक अत्यंत महत्वपूर्ण सीढ़ी पार की है। उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने इस ज्ञान से देश की सेवा करें। उन्होंने कहा कि इस देश के संसाधनों का प्रयोग करके तथा इस देश की मिट्टी में पलबढ़ कर उपाधि लेने के बाद हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम विदेशों में न जाकर अपने ही देश के के विकास में योगदान दें।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय निरंतर सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के चलते विश्वविद्यालय को कई प्रकार की स्वायतत्ताएं दी गई हैं। विश्वविद्यालय में विदेशी शिक्षकों को हायर करने की स्वायत्तता मिली है। इस वर्ष विश्वविद्यालय ने 20 से अधिक विदेशी छात्रों का नामांकन किया है। हरियाणा के सभी विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में हमारे विश्वविद्यालय को अधिकतम एच-इंडैक्स 70 प्राप्त है, जो शोध की गुणवता एवं गणनात्मकता का पैमाना है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी इस विश्वविद्यालय को ‘त्रढ्ढ्रहृ’ परियोजना के तहत मान्यता प्रदान की है, जिसके अंतर्गत इस विश्वविद्यालय ने अब तक छह ‘त्रढ्ढ्रहृ’ परियोजनाओं को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है।
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहा है। बालिका शिक्षा को बढावा देने के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों में एकल बालिका के लिए विभिन्न कोर्सों में अतिरिक्त सीट आरक्षित करने एवं छात्राओं को मातृत्व अवकाश की सुविधा प्रदान की योजनाओं को देशभर में सराहा गया है। हाल ही में विश्वविद्यालय को ‘इस्टीट्यूट ऑफ इमिनेन्स‘ के लिए अपनी प्रस्तुति के लिए भी चुना गया है। विश्वविद्यालय का प्लेसमेंट रिकार्ड भी उतना ही प्रभावशाली है, क्योंकि यहां के विद्यार्थियों ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, बहुआयामी फंड समितियों व कॉरपरेट विश्व में भी रोजगार प्राप्त कर अपना नाम कमाया है।
एकेडमिक प्रोसेशन का नेतृत्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. अनिल कुमार पुंडीर ने किया। मंच संचालन प्रो. मनोज दयाल व डा. तरूणा ने किया। परीक्षा नियंत्रक प्रो. यशपाल सिंगला ने बताया कि दीक्षांत समारोह में 136 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 146 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री तथा 1437 विद्यार्थियों को स्नात्तक व स्नात्तकोत्तर की डिग्री प्रदान की गई। समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शहर के गणमान्य व्यक्ति, विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अधिकारी, कर्मचारी एवं डिग्रीधारक उपस्थित थे।