केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज (सोमवार) स्टेनलेस स्टील सेक्टर में भारत के पहले हरित हाइड्रोजन संयंत्र का उद्घाटन किया। यह परियोजना स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिए दुनिया का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और रूफ-टॉपव फ्लोटिंग सोलर के साथ दुनिया का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट होगा।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज (सोमवार) स्टेनलेस स्टील सेक्टर में भारत के पहले हरित हाइड्रोजन संयंत्र का उद्घाटन किया। यह परियोजना स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिए दुनिया का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और रूफ-टॉपव फ्लोटिंग सोलर के साथ दुनिया का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट होगा। इस प्रोजेक्ट में एक अत्याधुनिक हरित हाइड्रोजन सुविधा भी है। इसका लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को लगभग 2,700 मीट्रिक टन प्रति वर्ष और अगले दो दशकों में 54,000 टन सीओ2 उत्सर्जन को कम करना है।
इस अवसर पर ज्योतिरादित्य ने कहा, “एक सरकार के रूप में हम 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कंपनियों, नागरिकों और राज्य सरकारों को “हरित विकास” और “हरित नौकरियों” पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।”
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने आगे कहा कि नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 20,000 करोड़ के परिव्यय के साथ लांच किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना था। मिशन वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 500 करोड़ इस्पात क्षेत्र की पायलट परियोजनाओं पर खर्च करने का प्रावधान है।
देश के पहले दीर्घकालिक ऑफ-टेक ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र के चालू होने के लिए हाइजेन-को और जिंदल स्टेनलेस को बधाई देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ” यह परियोजना न केवल सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है बल्कि जिम्मेदार औद्योगिक प्रथाओं की क्षमता को प्रदर्शित करते हुए मूल्यवान रोजगार के अवसर भी पैदा करती है।”
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्पात क्षेत्र में भारत की प्रगति, एक शुद्ध आयातक से एक शुद्ध निर्यातक के रूप में विकसित होने और कच्चे इस्पात का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बनने के लक्ष्य पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस यात्रा में एक प्रमुख पहल नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) है, जिसे पिछले साल लगभग 20,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके यौगिक तत्वों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना था। यह मिशन वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 500 करोड़ रुपए के बजट के साथ इस्पात क्षेत्र में पायलट परियोजनाओं का भी समर्थन कर रहा है।
उन्होंने कहा, “इस साल के अंतरिम केंद्रीय बजट में इंफ्रास्टरक्चर के विकास के लिए 11 प्रतिशत अतिरिक्त परिव्यय का आवंटन भी सरकार द्वारा विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाता है, जिसमें इंफ्रास्टरक्चर पर खर्च भी शामिल है।”