आज जब पूरा विश्व खेती में रसायनों के इस्तेमाल के दुष्प्रभाव देख चुका है, तो एक बार फिर से जैविक खेती की ओर लोगों की रुचि बढ़ी है। खेती में रसायनों के इस्तेमाल ने न केवल लोगों की सेहत पर बुरा असर डाला है, बल्कि इससे भूमिगत जल दूषित हुआ है और मिट्टी की गुणवत्ता व उर्वरता भी कम होती जा रही है। जैविक खेती इस समस्या का ठोस समाधान प्रस्तुत कर सकती है।
11 अक्टूबर को भारत रत्न, राष्ट्र ऋषि, नानाजी देशमुख जी की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में इस बार ग्लोबल ऑर्गेनिक एक्स्पो उनकी जैविक खेती की परिकल्पना व विचारों को साकार करने हेतु कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अथिथि डॉ . नंदिता पाठक विशिष्ट अथिथि के रूप में डॉ . पीं दास जी एवं डॉ . भरत पाठक जी रहे । जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करते हुए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण व सतत कृषि को बढ़ावा देना है। यह संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। डॉ भरत पाठक जी ने अपने उद्भोधन में कहा की
नानाजी देशमुख जी राजनीति से सन्यास लेने के बाद नाना जी देशमुख ने गोंडा बलरामपुर संसदीय क्षेत्र में किसानों के कल्याण के उद्देश्य से जैविक खेती की परिकल्पना को जीवंत करने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी एवं उनके पत्नी प्रभा देवी के नाम पर जयप्रभा ग्राम की स्थापना की। इस इलाके में पानी की बहुत कमी थी, जिसके कारण किसानों की स्थिति खराब थी। नाना जी ने ‘हर हाथ को काम और हर खेत को पानी’ देने का बीड़ा उठाकर गांव व किसानों के उत्थान के लिए अथक प्रयास करते हुए 27 हजार से अधिक ट्यूबवेल लगवाए तथा कई परियोजनाओं को संचालित करवाया, ताकि किसानों का जीवन खुशहाल हो सके।

आज पूरा विश्व नाना जी के इन विचारों का महत्व जान चुका है और समझ चुका है कि जैविक खेती करने पर भूमि, जल और वायु का प्रदूषण बहुत कम होता है। जैविक खेती में किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों, कीटनाशकों और कैमिकल फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल न होने के कारण भोजन ज्यादा पौष्टिक और जहर मुक्त होता है। जैविक खेती से पैदा की गई फसल का स्वाद भी आम तौर से रसायनों का इस्तेमाल कर पैदा की गई फसल से बेहतर होता है और इसमें कई प्रकार के विटामिन भी पाए जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त फसल से बेहतर पशु चारा मिलता है, जिससे पशु ज्यादा व गुणवत्तायुक्त उत्पादकता देते हैं। जैविक खेती से मिट्टी को ज्यादा पोषण मिलता है और उसकी उर्वरता में भी सुधार होता है।
जैविक खेती में पानी का इस्तेमाल बहुत कम होने के कारण यह किसानों के लिए ज्यादा लाभदायक है और पानी के घटते स्तर का समाधान कर सकती है। इसमें महंगे कीटनाशकों व रसायनों का इस्तेमाल न होने के कारण किसानों को खेती में कम लागत आती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है। जैविक खेती पर्यावरण के अनुकूल है। जैविक खेती में मशीनों का कम इस्तेमाल होने के कारण ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं और किसानों व मजदूरों के आर्थिक हालातों में सुधार लाया जा सकता है। मुख्य अथिथि डॉ नंदिता पाठक ने नानाजी देशमुख जी का जीवन शैली पर प्रकाश डाला और कहा की नानाजी 40 वर्ष पूर्व से जैविक खेती की बात करते आए हैं और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों के खेती पर भी जैविक खेती को बढ़ावा दिया । जैविक खेती करने वाले किसानों के सफल प्रयोगों को जन जन तक पहुँचाया ।नाना जी के इन विचारों को अब पूरा विश्व स्वीकार कर चुका है और जैविक खेती का महत्व समझ कर इस दिशा में प्रयासरत है।
नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, पूसा में दिनांक 26 मई से 28 मई 2022 तक तृतीय ग्लोबल ऑर्गनिक एक्सपो का आयोजन श्रद्धेय नानाजी देशमुख जी को समर्पित करते हुए श्रद्धेय नानाजी देशमुख की 105 वीं जयंती ग्लोबल ऑर्गनिक एक्सपो सचिवालय, ईस्ट ऑफ़ कैलाश, नई दिल्ली में २०२२ में मनाएगा ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. नंदिता पाठक, समाज सेवी व स्वच्छ भारत अभियान की ब्रांड एम्बेसडर, विशिष्ट अतिथि डॉ. भरत पाठक, राष्ट्रीय संयोजक नमामि गंगे गंगा विचार मंच जलशक्ति मंत्रालय व सम्मानीय अतिथि डॉ. पी. दास, रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर जनरल, आई. सी. ए. आर. की गरिमामयी उपस्थिति रही साथ में ही आयोजक शैशप्रो संस्था के अध्यक्ष श्री वेद प्रकाश महावर रिटायर्ड प्रेसिडेंट ओ. एन. जी. सी., सचिव श्री अनिल कुमार त्यागी इवेंट मैनेजमेंट संस्था आइकॉनक्स के डायरेक्टर श्री अभिमन्यु सिंह, ग्लोबल प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री मनोज मिश्रा, ए. टी. सीजन्स के डायरेक्टर श्री अमरेश तिवारी नियट्रिलिस्ट कंपनी के डायरेक्टर श्री प्रदीप द्विवेदी व बड़ी संख्या में अतिथि गण उपस्थित हुए।
कार्यक्रम में श्रद्धेय नानाजी देशमुख को पुष्प अर्पित व दीप जलाकर आरती कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई और ग्लोबल आर्गेनिक एक्सपो 2022 में पहला वक्तव्य श्रद्धेय नानाजी देशमुख के जीवन, उनके विचार और ग्रामीण विकास, जल संवर्धन व जैविक खेती में किये गये महान कार्यो पर करने का संकल्प लिया गया।
अपने उद्बोधन में डॉ. नंदिता पाठक ने नानाजी के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह नानाजी इटली में लगने वाले विशाल कृषि सम्मेलन में अपने यहाँ के प्रतिनिधि मण्डल भेजते थे और विदेशों की कृषि उन्नन्ति तकनीकियों को सीखने का अवसर देते थे, नानाजी का समूचा जीवन दूसरों की उन्नति के लिए न्योछावर रहा। डॉ. भरत पाठक ने भावपूर्ण पुष्पांजलि देते हुए नानाजी के जीवन वृत्तांत को बताया वहीँ डॉ. पी. दास ने चित्रकूट में नानाजी के साथ के अनुभव साझा किए ।