के के शर्मा : पाकिस्तान द्वारा पाले जा रहे आतंकियों के खिलाफ भारतीय सैनिकों द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक को दो साल पूरे हो गए हैं। नियंत्रण रेखा के उस पार जाकर भारतीय सैनिक आतंकियों पर कहर बनकर टूट पड़े थे। पूरा देश आज उन जवानों के पराक्रम को याद कर गर्व का अनुभव कर रहा है।28 से 30 सितंबर तक देश के 51 शहरों में पराक्रम पर्व का आयोजन किया जाएगा। सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई बिना राजनीतिक स्वीकृति के नहीं की जाती, क्योंकि कई प्रकार के जोखिम साथ जुड़े होने के कारण इसके लिये सरकार को सूचित कर उसकी अनुमति लेना अनिवार्य होता है।
उड़ी में पाकिस्तान की बर्बरता का बदला लेने भारतीय सैनिकों ने की थी सर्जिकल स्ट्राइक—-कश्मीर में सीमा रेखा से लगे उड़ी जिले में 18 सितंबर, 2016 को सुबह 5.30 बजे चार आतंकियों ने भारतीय सेना के कैंप पर हमला किया। इस हमले में 18 सैनिक शहीद हुए। यह हमला भारतीय सेना पर दो दशकों में हुए सबसे घातक हमलों में से एक था। सेना ने कुछ घंटों की मुठभेड़ में चारों आतंकियों को मार गिराया लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाया जाना बाकी था। इसका बदला लेते हुए 28 सितंबर की रात को भारतीय सेना के जांबाजों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सात आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। देश के सैन्य इतिहास में यह घटना अपने आप में अविस्मरणीय मानी गई, क्योंकि पहली बार किसी सरकार ने इस तरह से पाकिस्तान की बर्बरता का बदला लेने की हिम्मत दिखाई थी।
ऐसे हुई सर्जिकल स्ट्राइक–
-सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए उरी हमले में नुकसान झेलने वाले यूनिटों के सैनिकों के इस्तेमाल का निर्णय किया.घटक टुकड़ी का गठन किया गया और उसमें उन दो यूनिट के सैनिकों को शामिल किया गया, जिन्होंने अपने जवान गंवाए थे.उनको मिशन में शामिल करने का मकसद उरी हमलों के दोषियों के खात्मे की शुरुआत भी था.
– सीमा पार आतंकियों के कैंप में बढ़ी सक्रियता पर एक सप्ताह पहले खुफिया एजेंसियों की नजर थी। यह सूचना सेना से साझा की गई।
ऑपरेशन देर रात 12.30 बजे शुरू हुआ। सेना के स्पेशल कमांडोज को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए चुना गया।
– एमआइ-17 हेलीकाप्टरों के जरिए एलओसी पर 150 कमांडो को उतारा गया। वे गुलाम कश्मीर में तीन किमी अंदर घुसे।
– भींबर, लिपा, केल और हॉटस्प्रिंग सेक्टरों में ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इनकी लोकेशन एलओसी से 500 मीटर से दो किमी के बीच थी।
– ऑपरेशन में आतंकियों के सात कैंप तबाह किए गए। 38 आतंकी और दो पाकिस्तानी जवान ढेर। सभी भारतीय कमांडोज सुरक्षित वापस लौटे। सुबह 4.30 बजे ऑपरेशन खत्म।
– पूरे ऑपरेशन की निगरानी तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और डीजीएमओ रणवीर सिंह ने की।
जरूरी था यह कदम–सेना को खुफिया एजेंसियों से सूचना मिली थी कि घुसपैठ करने की फिराक में आतंकी एलओसी के पास इकट्ठा हुए हैं। ये जम्मू-कश्मीर व मेट्रो शहरों को निशाना बना सकते हैं। ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक ही इनके खात्मे का एकमात्र विकल्प था।
इस ऑपरेशन की अगुआई करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल आरआर निम्भोरकर ने ऑपरेशन से जुड़ा एक किस्सा सुनाया- निम्भोरकर ने बताया–“मार्ग पर पड़ने वाले गांवों में हमारे ऊपर भौंकने वाले कुत्तों की संभावना थी। मुझे पता था कि वे तेंदुओं से डरते हैं। हमने तेंदुए का मूत्र अपने साथ ले गए थे। एक रणनीति के रूप में गांवों को पार करते समय पैराकमांडोज ने गांवों के बाहर तेंदुए का मूत्र फेंक दिया था। इसी के भय से कुत्ते टीम के निकट तक नहीं आ सके।” उन्होंने आगे बताया कि इसी का फायदा हमारी टीमों को मिला और उन्होंने पाकिस्तानी क्षेत्र के अंदर 15 किलोमीटर के खतरनाक आॅपरेशन को चुपचाप अंजाम दिया।निंबोकर ने बताया कि नौशेरा क्षेत्र में रहने के दौरान उन्होंने इलाके की जैव विविधता का विस्तृत अध्ययन किया था। हमको पता था कि उस इलाके के जंगलों में तेंदुए अक्सर कुत्तों पर हमले कर देते हैं। लिहाजा खुद को बचाने के लिए कुत्ते रात में रिहायशी इलाकों के निकट छुप जाते हैं। इसलिए जब सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनाई गई तो इस बात का भी ख्याल रखा गया कि रास्ते में पड़ने वाले गांवों से गुजरने के दौरान ये कुत्ते आहट पाते ही तेंदुए के खौफ से भौंक सकते हैं और हमला भी कर सकते हैं। ऐसे में उससे बचाव के लिए तेंदुए के मल-मूत्र का सहारा लिया गया। उनको गांवों के निकट फेंक दिया गया। ये रणनीति कारगर रही।”
इस सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान को यह स्पष्ट संकेत मिल गया था कि अपने हितों के रक्षा के लिये भारत के लिये नियंत्रण रेखा पार करना कोई बड़ी बात नहीं।इस सर्जिकल स्ट्राइक में पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों ठिकाने तो नष्ट किये ही गए, साथ ही पाकिस्तानी सेना का यह भ्रम भी टूट गया कि भारत कुछ करने वाला नहीं है।पाकिस्तान को अब पता है कि सीमापार से आतंकियों द्वारा किसी भी तरह का हमला होने पर भारत उसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिये तैयार है।पहले स्थितियों पर नियंत्रण पाकिस्तान का होता था और वह छोटे-बड़े आतंकी हमले करवाता रहता था। जवाब में भारत अपनी नाराज़गी तो ज़ाहिर करता था, लेकिन कभी कूटनीतिक कार्रवाई से आगे नहीं जाता था। इस बार भारत ने पाकिस्तान के अनुमान से कहीं आगे जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।पहले स्थितियों पर नियंत्रण पाकिस्तान का होता था और वह छोटे-बड़े आतंकी हमले करवाता रहता था। जवाब में भारत अपनी नाराज़गी तो ज़ाहिर करता था, लेकिन कभी कूटनीतिक कार्रवाई से आगे नहीं जाता था। इस बार भारत ने पाकिस्तान के अनुमान से कहीं आगे जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।अब 2013 की तुलना में बिलकुल विपरीत स्थिति है। तब पाकिस्तान ने भारत पर नियंत्रण रेखा पार करने का आरोप लगाया था, जिसका भारत ने यह कहते हुए खंडन किया था कि वह ऐसा नहीं करता।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देशभर में विश्वास का एक नया वातावरण बना, और लंबे समय से बनी हमारी सॉफ्ट टारगेट वाली छवि भी टूट गई। सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत का विश्वास बढ़ाया।
खुला हाथ है शेरो का अब तो बंद नही करना तुम,
शांति शांति वार्ता का छंद नही पढ़ना अब तुम ।।
बात बहुत हुई बरसों-तरसों,अब एक लात जरूरी है।।
छोड़ो चर्चा पैलेट गन पर,सर्जिकल स्ट्राइक दो-चार जरूरी है।।
जब तक ख़तम हों ना जाएं ये कीड़े,गोली की बौछार जरूरी है।।
बुजदिल हमला करते छिप-छिप कर हम पर,अब कुनबे मेें भी उनके हाहाकार जरुरी है।।
के के शर्मा, नवल सागर कुंआ, बीकानेर