अजित कोठारी : आज जब भारत अपना 75 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो दूसरी ओर अफगानिस्तान तालिबानी आतंकवादियों के सामने समर्पण कर रहा है, महज चंद घण्टों में अफगानिस्तान की एक चुनी हुई और वैध सरकार की जगह ISIS, अल कायदा, या जेश ए मोहम्मद जैसे आंतकवादी संघठन जैसे तालिबानी लोगों का क़ब्ज़ा होगा, यह अफगानिस्तान के लोगों के लिए एक शर्मनाक दिन है कि उनकी 2 लाख सैनिकों की सेना एक आंतकवादी संघठन जिसमें मुश्किल से 60000 लोग है, के सामने समर्पण कर रही है
एक कायर, डरपोक और बुजदिल सेना का शर्मनाक surrender, तालिबानी आंतकवादी तो नियमित सैनिक भी नहीं है, ना उनके पास एक नियमित सेना की तरह अत्याधुनिक हथियार है
वे अलग अलग पृष्टभूमि से आए हुए आंतकवादी गिरोह के लोग है जिनमे कोई सैन्य रणनीति भी नहीं है
वे लोग भी यदि एक प्रशिक्षित, अत्याधुनिक हथियारों से लैस नियमित सेना पर नियन्त्रण कर लेते हैं तो मुझे 1971 में उसी बुजदिल सेना की याद आ जाती है जिन्होंने भारत के सामने अपने नब्बे हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया था
एक देश के लिए इससे शर्मनाक घटना क्या हो सकती है कि उनकी सेना बिना लड़े कुछ ही दिनों में पूरा देश surrender कर देती है
उनके मुकाबले देखा जाए तो भारत की सेना वास्तव में एक बहुत ही बहादुर और प्रोफेसनल force है, जिन्होंने समय समय पर यह बता दिया है कि वो दुश्मनों के लिए एक काल के समान है.
1971 में एक पोस्ट को बचाने के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन पोस्ट को खाली नहीं किया
बॉर्डर फिल्म में जो घटना बताई गई है वो लोंगोवाल पोस्ट की है
1999 में करगिल और 2020 में चीन के दांत खट्टे करने वाली भारतीय सेना दुनिया की सबसे अधिक बहादुर सेनाओं में से एक है
वैसे भी अफगानिस्तान सेना जैसी कायर और बुजदिल सेना के होते वंहा के लोगों की नियति में परतंत्र होना तय था और अब कुछ ही घंटों में अफगानिस्तान पर एक व्यर्थ के होवा बने तालिबान का शासन होगा
कायर और डरपोक तालिबानी भी है लेकिन उनसे भी ज्यादा बुजदिल तो अफगानिस्तान की सेना निकली, जिन्होंने थाली में परोसकर अपना देश एक आंतकवादी संघठन को सौंप दिया
हमारी देश की सेना तो पिछले तीन दशको से आंतकवादियो का बहादुरी से मुकाबला कर रही है और एक इंच जमीन पर क़ब्ज़ा नहीं करने दिया
आज मेरा मस्तिष्क गर्व से ऊंचा हो गया है कि हमारे सैनिक एक इंच जमीन के लिए अपने जान की बाजी लगा देते हैं
अफगानिस्तान की सेना ने अपने आपको दुनिया में शर्मसार किया है
शायद अफ़गानिस्तान के लोगों की तालिबान के नियन्त्रण में रहने और उनके शरीयत कानून को मानना ही नियति बन चुकी है
हमारे देश की सेना होती तो दुश्मन को एक किलोमीटर आगे नहीं बढ़ने देती, पूरे देश में क़ब्ज़ा करना तो दूर की बात है
हमे अपनी सेना पर गर्व है कि उन्होंने कभी भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तरह बुजदिली नहीं दिखाई
अब तो यह भी भ्रम टुट गया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लोग लडाकु होते हैं
वे लडाकु नहीं बल्कि घात से हमला करने वाली एक निहायत ही बुजदिल कौम है, जो आमने सामने की लड़ाई में कुछ समय के लिए भी नहीं टिक पाती है