सफेद दाग, यानी विटिलाइगो (vitiligo) को लेकर तरह-तरह के भ्रम हैं। लोग इसे लाइलाज बीमारी मानते हैं, जबकि डॉ सूर्यभूषण पाण्डेय के मुताबिक यह एक कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है और इसका इलाज बहुत हद तक मुमकिन है।
इस बीमारी में बॉडी के किसी खास हिस्से का पिगमेंटेशन यानि ओरिजनल कलर खत्म होने लगता है और वहां पर व्हाइट पैचेस उभर आते है। विटिलिगो यानि सफेद दाग किसी को भी कभी भी हो सकते हैं।
कई लोग इसे छूत की बीमारी मानते है लेकिन ये सिर्फ एक कॉस्मेटिक बीमारी हैं लेकिन इसका इलाज सम्भव है।
विटिलिगो का कारण क्या है?
विटिलिगो का कारण पता लगाना मुश्किल होता हैं क्यूंकि विटिलिगो एक ऑटोइम्यून बीमारी है। ये रोग तब होता हैं जब आपका इम्यून सिस्टम में कुछ खराबी आने से आपके शरीर के कुछ हिस्से इससे प्रभावित हो जाते हैं। विटिलिगो के रोग में इम्यून सिस्टम त्वचा में मेलेनोसाइट्स को खत्म कर देता हैं जिसके कारण सफ़ेद पैच आ जाते हैं। व्यक्ति में एक से अधिक जीन भी इस विकार को उत्पन्न कर देते हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार विटिलिगो का कारण शरीर में मेलानोसाइट्स का स्वयं नष्ट हो जाना या अधिक सनबर्न होना हो सकता है।
विटिलिगो के लक्षण क्या हैं? शरीर की त्वचा पर सफेद पैच विटिलिगो का मुख्य लक्षण है। शरीर की त्वचा पर यह पैच उन भागों पर अधिक दिखाई देता है जहां सूरज किरणे पड़ती हैं जैसे हाथ, पैर, चेहरा और होंठ। अन्य लक्ष्ण बगल के आसपास, मुंह के आसपास, आंखें, नथुने, नाभि, गुप्तांग, गुदा क्षेत्र आदि के आस-पास सफ़ेद पैच होना। सिर के बालों का समयपूर्व भूरा होना। मुंह के अंदर रंग की कमी
ये हैं वजहें
- फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर पैरंट्स सफेद दाग से पीड़ित रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है। हालांकि ऐसे मामले 2 से 4 फीसदी ही होते हैं।
- एलोपेशिया एरियाटा यानी वह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं।
- सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क से। मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आसपास की स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।
- केमिकल ल्यूकोडर्मा यानी खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल इस्तेमाल करने से।
- ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा। कीमोथेरपी से भी इसकी आशंका रहती है।
- थाइरॉयड संबंधी बीमारी होने पर।
तांबे के बर्तन में पीएं पानी
तांबा तत्व, त्वचा में मेलेनिन के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक है। इसके लिए तांबे के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह खाली पेट पिएं। बरसों पुराना यह तरीका मेलेनिन निर्माण में सहायक है।
भाई राजीव दीक्षित जी के द्वारा बताए गए निरोगी मन्त्र को कटरता से पालन कर
- खाना खाने के 90 मिनट बाद पानी पिये व जरूर पियें
- फ्रीज या बर्फ (ठंडा) का पानी न पिये
- पानी को हमेशा घुट घुट कर पिये ( गर्म दूध की तरह)
- सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये गुनगुना पानी पिये
5.खाना खाने से 48 मिनट पहले पानी पिये - सुबह में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो जूस पिये
- दोपहर में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो मठ्ठा पिये
- रात्रि में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो दूध पिये
- उरद की दाल के साथ दही न खाए (उरद की दाल का दही बडा )
10.हमेशा दक्षिण या पूर्व में सर करके सोये - खाना हमेशा जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाये
- अलमुनियम के बर्तन का बना खाना न खाए(प्रेशर कुकर का )
13.कभी भी मूत्र मल जम्हाई प्यास छिक नींद इस तरह के 13 वेग को न रोकें - दूध को खड़े हो कर पानी व अन्य तरल पेय को बैठ कर पिये
- मैदा चीनी रिफाइंड तेल और सफेद नमक का प्रयोग न करे ( इसकी जगह पर गुड , काला या सेंधा नमक का प्रयोग करे)
वन्देमातरम स्वस्थ भारत समृद्ध भारत निर्माण में भाई राजीव दीक्षित जी के ज्ञान से ज्ञानित व प्रोत्साहित होकर व आदरणीय आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर सूर्य भूषण पाण्डेय के मार्गदर्शन में एक पहल