नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के SC/ST/OBC प्राध्यापकों और शोध छात्रों के संगठन सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) ने भीमा-कोरेगाँव की घटना पर “भीमा-कोरेगाँव का सच” विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी में सेमिनार का आयोजन किया.
सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रो. विद्युत चक्रबर्ती जी राजनीति विज्ञान विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय और ज्ञानेन्द्र बरतरिया जी सलाहकार प्रसार भारती रहे. प्रो. विद्युत चक्रबर्ती जी ने कहा कि भीमा-कोरेगांव का युद्ध इस्ट इंडिया कंपनी और पेशवाओं के बीच संघर्ष हुआ था. लेकिन दुर्भाग्य से तथाकथित अम्बेडकरवादियों ने इस युद्ध को महार और मराठाओं के बीच संघर्ष होना बताया, जो बाबा साहब अम्बेडकर के विचारों और दर्शन के खिलाफ है. क्योंकि बाबा साहब ने राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय पहचान के साथ कभी समझौता नहीं किया. उन्होंने 01 जनवरी 2018 को हुए भीमा-कौरेगांव की घटना को देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया जो बाबासाहब के बनाए संविधान के विरुद्ध है.
ज्ञानेन्द्र बरतरिया जी ने कहा कि भीमा-कोरेगाँव की घटना एक सुनियोजित षड्यंत्र था. इस घटना में कई राष्ट्रविरोधी संगठनों का हाथ है. ये राष्ट्रविरोधी ताकतें राष्ट्र और समाज को जाति, क्षेत्र और मजहब के आधार पर बांटना चाहते हैं. जिससे अलगाव पैदा हो. इस घटना में कई राष्ट्रविरोधी व्यक्ति और संगठन जुड़े हुए थे.
कार्यक्रम में दोनों वक्ताओं ने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकना हम सबका दायित्व है ताकि देश में एकता, अखंडता, सामाजिक समरसता का वातावरण बना रहे. ऐसी घटनाओं की भविष्य में पुनरावृत्ति ना हो, इसके लिए हमें सजग रहना पड़ेगा और समाज को भी जागरूक करते रहना होगा. कार्यक्रम की शुरुआत में बाबा साहब के चित्र पर वक्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम की विधिवत प्रस्तावना सीएसडी के चेयरमैन डॉ. राजकुमार फलवारिया जी ने रखी. कार्यक्रम में शिक्षकों और शोध छात्रों ने भागीदारी की. सेमिनार में शामिल होने वाले सभी शिक्षकों और शोध छात्रों का धन्यवाद कार्यक्रम के अंत मे सीएसडी के महामंत्री महेन्द्र कुमार मीणा जी ने किया.