ललित मोहन, रुद्रपुर; उत्तरखंड राज्य के निर्माण के बाद रुद्रपुर शहर में उद्योग जगत की स्थापना ने यहाँ भू माफियाओं को भी सक्रिय कर दिया. ज़मीन के दामों में भारी वृद्धि हो गई. जगह-जगह हरे भरे खतों को उजाड़ कर वैध अवैध कालोनियां काटी जाने लगीं. इतना ही नहीं दलाल सरकारी ज़मीन को अपना बता कर भोले-भाले लोगों को बेचकर लापता हो गए. आज हाल यह हो चला है कि रुद्रपुर शहर जो कि कभी हरियाली और खेती-किसानी के लिए प्रसिद्द था, अब मकानों के जंगल में बदल चुका है. खेती की ज़मीन तेज़ी से बिल्डरों के कब्ज़े में आती जा रही है. पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की ज़मीन तो कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में ही उद्योगों के नाम जारी कर दी गई थी. बाकी आसपास के क्षेत्र जैसे नैनीताल रोड व काशीपुर रोड के आसपास की ज़मीन कालोनियों में बदल गई. भू माफियाओं ने ज़मीन के दाम मनमाने ढंग से निर्धारित कर दिए तथा रुद्रपुर में फ्रीहोल्ड ज़मीन के खत्म होने की अफवाह फैला दी. जिसमें उलझाने के लिए लोग मानो तैयार बैठे थे . फलस्वरूप कई लोग अपनी मेहनत के पैसे का विनियोग अवैध कालोनियों में कर बैठे. जिनके ऊपर अब सालों बाद कार्यवाही होने की बात चल पड़ी है. जो ठग थे वह तो फरार हो गए, जिन्होंने भू माफियाओं की झूठी बातों में उलझ कर अपना धन खर्च किया वह मुसीबत में फँस चुके हैं. अब भू माफियाओं की नज़र बिलासपुर रोड पर बचे हुए एकमात्र डिबडिबा फ़ार्म पर गड़ी हुई है. जहाँ पर अभी तक कृषी ही की जा रही है.
रुद्रपुर में सरकार ने आवास विकास योजना के तहत आवंटित प्लाटों पर लोगों ने विशाल भवन तैयार कर व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दीं. क्योंकि बैंकिंग एक व्यासायिक गतिविधि है, इसलिए नियमानुसार बैंक व्यासायिक भूमि पर ही खोले जा सकते हैं. नैनीताल रोड पर एक सिरे से एक्सिस बैंक, कोर्पोरेशन बैंक, यस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, कोटक महिंद्रा बैंक,एच डी एफ सी बैंक, ,आई सी आई सी आई बैंक की शाखाएं भी मुख्य सड़क के किनारे बने मकानों में चलाई जा रही है. इन्हीं के साथ आंध्रा बैंक,सिंडिकेट बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र , बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बरौदा की शाखाएं भी मुख्य सड़क से हट कर पूर्वे दिशा में बने आवासीय भवनों में चलाई जा रही हैं. बैंकों के अलावा कई अन्य शोरूम भी इस इलाके में खुल गए हैं. हैरानी इस बात की है कि आवास विकास जो कि नाम से ही आवासीय इलाका प्रतीत होता है, उसमें इतने व्यवसायिक केन्द्रों को चलाने की अनुमति आखिर किस नियम में बदलाव के तहत दे दी गई? अगर आवासीय भवन के व्यवसायीकरण की अनुमति भवन स्वामी द्वारा प्राप्त की गई है, तो उसे इस अनुमति को देने का आधार क्या है? अगर नहीं दी गई है तो इस अवैध कार्य पर प्रशासन के नज़र क्यों नहीं जा रही है? रुद्रपुर नगरपालिका परिषद इन व्यावसायिक गतिविधियों पर कर किस आधार पर प्राप्त कर रहा है?
अगर प्रदेश सरकार को इस अवैध कार्य की जानकारी है तो वह किसलिए चुप बैठा है? क्या यहाँ भी कोई बड़ा प्रभावशाली राजा इस सारे अवैध विकास का मसीहा बन के इसकी रक्षा कर रहा है?
Es Desh Mein Bina Rajnaitik Sarnkshan ke kuch bhee nahi chalta, Yeh baat aap ko abhee tak samajh kyon nahi aaee?–dr.amritgaur