उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यलय के कुलपति प्रो. ओ पी एस नेगी के कहा कि प्रकृति के साथ तालमेल से ही हम स्वस्थ रह सकते हैं और प्रकृति के साथ तालमेलयुक्त पद्धति से की जाने वाली कृषि ही हमें शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान कर सकती है। डॉ नेगी ने कहा उत्तराखंड मुक्त विशवविद्यालय किसनों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए 6 महीने के पाठ्यक्रम बनाएगा वे 10 अगस्त को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग एवं नवयोग सूर्योदय सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में संबोधन कर रहे थे । राष्ट्रीय पादप बोर्ड , आयुष मंत्रालय , भारत सरकार के सी. ई. ओ. डॉ जे. एल. एन. शास्त्री ने बताया पादप बोर्ड ने 5 राज्य जो गंगा के किनारे 1024 गांव पहचाने है 810 हेक्टेयर में 15 जड़ी बूटियों उगाएंगे । और हमारी कोशिश होगी जो किसान गांव पहुंच गए है उनको वापस नहीं जाने देना ।
बेगूसराय बिहार के एक जैविक किसान श्री कुंदन कुमार ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार उसने रासायनिक खेती को त्यागकर जैविक कृषि प्रारंभ और इससे किस प्रकार उसके जीवन की दिशा बदली। श्री कुंदन ने बताया कि जैविक कृषि से उत्पादन में कई गुणा वृद्धि हुई और अभी वे ओषधि पोधो की खॆती कर रहे है।
योग प्रशिक्षक वेल्जियाम, यू के से डा. धीरज प्रताप जोशी ने जोर देकर कहा प्राकृतिक खेती हमारी धरोहर है जिसे सहेजना, संयोजना एवम् प्रचार करना है यह समग्र विचार ही भारतीय संस्कृति का आधार है । डॉ भानु प्रताप जोशी विभागाध्क्ष ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, जबकि कार्यक्रम के सूत्रधार डा. नवदीप जोशी ने विषय की प्रस्तावना रखी। डा. जोशी ने कहा कि शुद्ध भोजन के लिए खेती को रासायनिक खाद, कीटनाशकों एवं खरपतवारनाशकों से मुक्त करना होगा। आत्म निर्भर भारत को बढावा देते हुए हमें किसानों का सहयोग करना एवम् अपने अंदर के किसान को जाग्रत करना होगा । कार्यक्रम का संचालन डॉ विक्रम सिंह ने करते हुए कहा प्राकृतिक भोजन की महत्ता प्राकृतिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण है । वेबनार में ज़ूम एवम् फेसबुक पेज में 1000 से अधिक लोग उपस्थति रहे । जिसमें 20 विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर , किसान , विद्यार्थी रहे ।