डॉ दीप तिवारी : उत्तराखंड व अन्य पहाड़ी राज्यों में एक ऐसी जड़ी बूटी या झाड़ी है, जिसे कुमाऊं में सिंसोण एवं गढ़वाल कंडाली में के नाम से जाना जाता है, और कुछ लोग इसे बिच्छू बूटी भी कह देते हैं, परन्तु इसका वैज्ञानिक नाम Urtica deoica or Nettle Leaf है । यह पहाड़ों में किसी भी जगह अपने आप ही लग जाती है, इसमें बहुत ही ज्यादा औषधिय गुण होते हैं ।
अधिकतर उत्तराखंड निवासी इसके सभी गुणों को नहीं पहचानते वह बस वह यह मात्र जानते हैं कि इसका प्रयोग सब्जी के रूप में करते हैं या फिर जब कभी दर्द होता है तो वहां लगा कर भी हम इसका प्रयोग उस दर्द को दूर करने में करते हैं जबकि यह है पूरे विश्व में एक पुरातन प्राकृतिक दवाई के रूप में जाना जाता है ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं कि पुरातन इजिप्ट में इसका प्रयोग अर्थराइटिस कमर के दर्द में किया जाता था ।
Urtica dioica शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के uro से हुई है जिसका अर्थ होता है बर्न करना जब सिंसोण के पत्ते किसी को लग जाते हैं, तो कुछ समय के लिए झनझनाहट एवं जलन पैदा कर देते हैं । हमारे बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि जब हम बचपन मे कुछ गलत काम कर देते थे तो कई बार हमारे अध्यापक या परिवार जन हमारे शरीर पर सिंसोण लगा देते थे ताकि अगली बार हम गलती ना करें और इसका असर कुछ घंटो तक रहता था ।
सिंसोण/कंडाली मैं अनेकों विटामिन पाए जाते हैं जैसे विटामिन ए विटामिन सी विटामिन की एवं विटामिन बी इसी प्रकार से इसमें कई मिनरल्स हैं जैसे कैल्शियम आयरन मैग्नीशियम फॉसफोरस पोटैशियम एवं सोडियम इसमें 16 Amino Acids Carotenoids (Beta Carotene) का भी प्रमुख स्रोत है। और कई अन्य स्वास्थ्य में लाभदायक तत्व किस में पाए जाते हैं सिंसोण/कंडाली/ बिच्छू बूटी हमारे शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट का काम करती है ।
यह हमारे शरीर में इन्फेक्शन से लड़ने के लिए शक्ति प्रदान करती है । आज विज्ञान भी है सिद्ध कर चुका है अर्थराइटिस में इसके द्वारा बनाई गई दवाई बहुत ही लाभकारी होती है । अभी किए गए शोधों से यह भी पता चला है कि इसके प्रयोग करने से प्रोस्टेट की बीमारी भी दूर होती है । इसका प्रयोग हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रण करने के लिए भी किया जाता है, इसकी मादा से ब्लड शुगर लेवल की मात्रा को भी कम किया जा सकता है ।
इसी गुणों के कारण आज विश्व के अनेक देश इसकी खेती करते हैं, और इससे लाखों रुपए कमा रहे हैं, परंतु हमारे उत्तरांचल में ना ही कभी सरकार ने सोचा कि किस प्रकार से सिंसोण/कंडाली की खेती करता गरीब किसान की कमाई का स्रोत बनाया जा सके । आज आज पूरे संसार में इसकी दवाई बन रही हैं एवं इको फैब्रिक बनाकर इटली में फैशन शो द्वारा धूम मचा रखी है। और इसकी खेती उतराखंड के आर्थिक विकास के लिये वेहतर साधन बन सकती है। इसकी फसल को जानवर भी नहीं खराब कर सकते।
आज विश्व भर में सिंसोण/कंडाली की पत्तियों की चाय, ब्यूटी प्रोडक्ट, पेट सम्बंधित दवाई तथा कंडाली से निर्मित कपडे बहुत प्रचलित हैं। सिंसोण मिलने वाले इतने खनिज पदार्थों के कारण ही इसे प्राकृतिक मल्टीविटामिन भी कहा जाता है। कंडाली/ बिच्छू बूटी की चाय को यूरोप के देशो में Power House of Vitamin and minerals माना जाता है। जो कि Immunity को भी बढ़ाता है। इसे कैफ़ीन फ्री ग्रीन टी के रूप में भी विश्व मे जाना जाता है।
इसका प्रयोग केवल सुखाकर या इसी भोजन बनाकर ही किया जा सकता है गर्भवती महिलाओं एवं जिन्हें लो ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है वह किडनी से संबंधित कोई रोग हो उन्हें इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
#NettleLeaf