मुंबई: केपीबी हिंदुजा कॉलेज अपने 75 वर्ष पूरे कर रहा है, और इस ऐतिहासिक अवसर को भव्य समारोह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन, हिंदुजा फाउंडेशन के चेयरमैन श्री अशोक पी. हिंदुजा, वरिष्ठ राजनेता प्रफुल्ल पटेल, मिलिंद देवड़ा, और कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इस अवसर पर कॉलेज की शिक्षा, परोपकार और समाज में योगदान को रेखांकित किया गया।
प्रमुख अतिथियों के विचार
कार्यक्रम में बोलते हुए, राज्यपाल श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि शिक्षा समाज में बदलाव का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने हिंदुजा कॉलेज की उपलब्धियों और उसके सामाजिक योगदान की सराहना की। अशोक पी. हिंदुजा ने शिक्षा और परोपकार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सनातन मूल्यों को हमारी संस्कृति और शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए।
राजनीतिक और सामाजिक नेतृत्व की भागीदारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने कॉलेज के छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है। उन्होंने शिक्षा में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारतीय विश्व मामले परिषद के साथ समझौता
राज्यपाल ने घोषणा की कि भारतीय विश्व मामले परिषद (इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स) कॉलेज के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) करेगा, जिससे छात्रों को वैश्विक मामलों की बेहतर समझ विकसित करने का अवसर मिलेगा। यह समझौता अगले दो महीनों में लागू किया जाएगा।
कॉरपोरेट और शिक्षा का गठजोड़
राज्यपाल ने कॉरपोरेट सेक्टर से शिक्षा में अधिक निवेश करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत की जीडीपी का अतीत में बड़ा हिस्सा शिक्षा की मजबूती के कारण था और हमें इसे पुनः स्थापित करने की दिशा में कार्य करना होगा।
हिंदुजा कॉलेज का भविष्य
इस अवसर पर यह भी चर्चा हुई कि केपीबी हिंदुजा कॉलेज को एक डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। यह संस्थान पिछले 75 वर्षों में उत्कृष्ट शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है और अब इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने का समय आ गया है।
शिक्षा और समाज के लिए संकल्प
कार्यक्रम के अंत में, हिंदुजा फाउंडेशन और उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने संकल्प लिया कि वे शिक्षा और परोपकार को और अधिक बढ़ावा देंगे। छात्रों को सीखने की सतत प्रक्रिया अपनाने की प्रेरणा दी गई और भारत के शैक्षणिक परिदृश्य को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का आह्वान किया गया।
भारत के उज्ज्वल भविष्य और शिक्षा के नए आयामों की ओर यह एक महत्वपूर्ण कदम है।