डाॅ. हेमन्त कुमार चन्द्रचूड़ : दिव्यांग वर्ग समाज के एक अभिन्न अंग हैं। इनके सर्वांगीण विकास किए बगैर चण्डीगढ़ को एक स्मार्ट सिटी बनाने की परिकल्पना अधूरी मानी जाएगी। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा है ‘‘समाज के पिछड़े एवं असहाय लोगों के विकास किए बगैर तुम्हारा उत्थान कदापि सम्भव नहीं । जैसे नाव का मस्तूल कितना भी ऊँचा क्यों न हो। परन्तु, यदि उसके पंेदी में छिद्र हो तो वह अकड़ कर नहीं चल सकती।’’
क्षति अथवा अक्षमता से व्यक्ति की वह कमजोरी जो उसे समाज में अपनी भूमिकका निर्वाह करने से अवरूद्ध करती हो, दिव्यांगता (निःशक्तता) कहलाती है।
मेरे विचार से मेरे सपनों के चण्डीगढ़ में दिव्यांगों के समोचित भागीदारी सुनिश्चित करने एवं इन्हें सशक्त बनाने हेतु अपनाए जाने वाले उपायों को निम्नलिखित बिंदुओं के तहत अंतर्निहीत किया जा सकता है-
- चण्डीगढ़ के सभी अस्पतालों/स्वास्थ्य केन्द्रों में जेनेटिक काउंसलिंग की व्यवस्था हो। जहाँ विभिन्न जांचों के द्वारा सहजतापूर्वक पता लगाया जा सके कि गर्भवती माताओं के अजन्में बच्चे में कोई विकार/असमान्यता है अथवा नहीं। विकार पाये जाने की स्थिति में उसका उचित निदान किए जाएं। गर्भावस्था में माता को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, उनके स्वास्थ्य की देखभाल , बच्चे के जन्म के बाद की सावधानियाँ सम्बधी दिशा-निर्देश एवं परामर्श सुलभ हों, ताकि निःशक्तता दर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सके।
- चण्डीगढ़ में दिव्यांगों के शिक्षण-प्रशिक्षण संबंधी कार्य कर रहे सभी सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं में बाल्यकालीन दिव्यांगताओं की प्रारंभिक पहचान एवं रोकथाम (Early Identification & Intervention) की समोचित व्यवस्था हो, खाशकर जन्म से लेकर तीन वर्ष तक के बच्चों के लिए। इसके लिए विशेष बजट अथवा आर्थिक सहायता सुनिश्चित किए जाएँ।
- चण्डीगढ़ में दिव्यांगों को विशेष शिक्षा उपलब्ध कराने वाली सभी संस्थानों में तीन से छह वर्ष के विकासात्मक विलंबित (Developmental delay) बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था समावेशी शिक्षा (Early Childhood Inclusive Education) कार्यक्रम की व्यवस्था हो ताकि इन्हंे प्रशिक्षित कर सामान्य विद्यालयों में सहजतापूर्वक समावेशित किया जा सके। इस कार्यक्रम के लिए विशेष बजट का प्रावधान किये जाएं। साथ ही इस कार्यक्रम को सामान्य विद्यालयों में भी लागू की जाए।
- चण्डीगढ़ के सभी सरकारी/गैर-सरकारी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों में दिव्यांगों के अनुकूल एवं बाधामुक्त वातावरण सृजित किए जाएँ। यानी यहाँ दिव्यांगों के अनुकूलित शौचालय, रैंप, व्हील चेयर, अनुकूलित शैक्षाणिक सामाग्रियां इत्यादि की पर्याप्त व्यवस्था हो ताकि व्यक्ति की दृष्टिवाधिता, श्रवणवाधिता अथवा शारारिक अक्षमता शिक्षा हासिल करने में बाधक साबित न हो सके।
- सार्वजनिक स्थानों जैसे बैंक, डाकघर, माॅल सिनेमा हाॅल, स्वास्थ्य केन्द्र इत्यादि की भवन भी दिव्यांगों के अनुकूल एवं बाधामुक्त हों।
- चण्डीगढ़ की सभी विद्यालयों में समावेशी शिक्षा कार्यक्रम को पूर्णतः कार्यान्वित किए जाएं। प्रत्येक विद्यालय में भारतीय पुनर्वास परिषद से निबंधित कम से कम एक अथवा दो स्पेशल एजुकेटर की नियुक्क्ति अनिवार्य रूप से किए जाएँ।
- नियुक्त स्पेशल एजुकेटरों को भी चरणवद्ध रूप से दो, तीन अथवा छह महीने का विशेष प्रशिक्षण दिए जाएं ताकि निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियमए 1995 आदि के तहत आने वाले सभी दिव्यांगों को ये शिक्षा दे पाने में सक्षम हो सकें। इसके लिए दिव्यांगों के लिए कार्य कर रहे विभिन्न विशेषज्ञों की राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित कर एक माॅड्यूल तैयार किया जा सकता है।
- विद्यालयों के सभी सामान्य शिक्षकों को भी दिव्यांग बच्चों की शिक्षा/समावेशी शिक्षा हेतु चरणवद्ध प्रशिक्षण दिए जाएं। प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम/माॅड्यूल दिव्यांग बच्चों की प्रायोगिक समस्याओं और समाधान पर आधारित हो।
- दिव्यांग बच्चों/व्यक्तियों के सर्वांगीण विकास एवं शिक्षण-प्रशिक्षण और पुर्नवास कार्र्याें में निखार लाने एवं इन्हें गुणवत्तापूर्ण बनाने संबंधी अधिकतम शोध कार्य किए जाएं एवं उनका कार्यान्वयन किया जाए।
- चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा प्रत्येक वर्ष यहाँ के दिव्यांगों की सर्वे होनी चाहिए ताकि निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 में वर्णित सभी प्रकार के दिव्यांगों की व्यापकता (Incidence & Prevalence) का पता लगाया जा सके और इनकी व्यापकता एवं चुनौतियों के अनुसार कार्य योजना बनाने में सहायक हो।
- दिव्यांगों के प्रति सामाजिक जन-जागरूकता कार्यक्रम, अभिभावक परामर्श एवं प्रशिक्षण, सरकारी और गैर सरकारी सुविधाओं की जानकारी संबंधी कैंप इत्यादि का आयोजन नियमित रूप से किए जाएं।
- गहन रूप से दिव्यांगता ( Severe Disabilities ) वाले बच्चों के लिए गृह आधारित कार्यक्रम (Home Based training Programme) का आयोजन किया जाए ताकि चण्डीगढ़ में कोई भी दिव्यांग बच्चा शिक्षण-प्रशिक्षण एवं पुनर्वास सेवा से वंचित न रह सके।
- चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा दिव्यांगों के लिए दी जाने वाली पंेशन हेतु मासिक आय संबंधी अर्हता (Eligibility) हटा दी जानी चाहिए। वर्तमान में चण्डीगढ़ के दिव्यांगों को पंेशन सुविधा प्राप्त करने हेतु चण्डीगढ़ के निवासी होने के साथ-साथ परिवार की अधिकतम मासिक आय तीन हजार रूपये रखे गये हैं जो कि आवास किराये के लिए भी पर्याप्त नहीं है और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जबकि सातवीं वेतन आयोग की बात की जा रही हो, उपयुक्त मासिक आय का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता। वर्तमान मंे तीन हजार से ऊपर आय वाले निःशक्त पेंशन से बंचित रह जा रहे हैं। जबकि बौद्धिक अक्षमता एवं गहन दिव्यांगता (Severe Disability) वाले बच्चे आज भी जीवन पर्यत्न अंशतः अथवा पूर्णतः अपने अभिभावक पर आश्रित होते हैं। इन्हें 500 रूपये की मासिक पेंशन उपलब्ध कर इन्हें कुछ हद तक आर्थिक मदद पहुँचाई जा सकती है। साथ ही, बौद्धिक अक्षमता एवं अन्य गहन दिव्यांगता ( Intellectual disability & Severe Disability ) वाले बच्चे/व्यक्ति के पंेशन मे वृद्धि किए जाने की आवश्यकता है।
- चण्डीगढ़ प्रशासन के द्वारा यहाँ के दिव्यांगों के लिए एक काॅमन दिव्यांगता पुनर्वास सेवा केन्द्र ( Common Disability Rehabilitation Service Centre ) की स्थापना की जाए ताकि यहां के दिव्यांगों को एक छत के नीचे सम्पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाए जा सकंे। उदाहरण स्वरूप निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के तहत आने वाले सभी दिव्यांगों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, रेलवे रियायती पास, बस पाास, छात्रवृत्ति, दिव्यांगता पेंशन, निरामया स्वास्थ्य बीमा, अभिभावकत्व प्रमाण पत्र, कृत्रिम अंग, व्हील चेयर, श्रवण यंत्र, दृष्टिबांधितों के शिक्षा हेतु उपयोगी ब्रेल उपकरण, साॅफ्टवेयर, सहायक सामाग्रियां इत्यादि उपलब्ध हो सके। इसके साथ ही यहां दिव्यांगों को सरकारी/गैर सरकारी रूप से दी जाने वाली सभी योजनाएं, नीतियाँ एवं अधिनियम की जानकारी , दिशा निर्देष एवं परामर्श सुविधा भी उपलब्ध हो। इसके अलावा यहाँ दिव्यांग बच्चे की अभिक्षमता परीक्षण ( Aptitude Test ) का भी प्रावधान हो ताकि बच्चे की अभिरूचि एवं विशेष योग्यता ( Special talent) का पता लगाया जा सके।
- सामान्य विद्यालय एवं विशेष विद्यालय मंे नियुक्त भारतीय पुर्नवास परिषद द्वारा निबंधित स्पेशल एजुकेटरों के वेतनमान में सामान्य शिक्षकों के वेतनमान की तुलना में अतिरिक्त विशेष शिक्षा भत्ता दिए जाने का प्रावधान हो ताकि ये दिव्यांग बच्चों के शिक्षा एवं इनके सर्वांगीण विकास के प्रति अभिप्रेरित और पुनर्वलित हो सकें। वर्तमान में चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा संचालित सामान्य विद्यालयों के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों का वेतनमान 10300-34800 + Grade pay 4200 एवं 10300-34800 + Grade Pay 5000 है। जबकि एकमात्र विशेष विद्यालय बौद्धिक अक्षम बच्चों के लिए राजकीय पुर्नवास संस्थान ( GRIID), चण्डीगढ़ के स्पेशल सजुकेटरों का वेतनमान क्रमशः 5910-20200 + Grade Pay 3000 एवं 10300-34800 + Grade Pay 3600 है। जबकि यहाँ बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों की विशेेष शिक्षा के साथ-साथ शोध-कार्य को प्राथमिकता दिया जाता है।
- चण्डीगढ़ के दिव्यांग बच्चों के लिए क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न खेल क्रियाएं जैसे स्पेशल ओलंपिक, पारा ओलंपिक, किक्रेट प्रतिस्पर्धा इत्यादि, संगीत एवं नृत्य प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन नियमित रूप से किए जाने चाहिए ताकि इनके विशेष योग्यता एवं क्षमता को गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सके।
- चण्डीगढ़ में बहु दिव्यांगों (Multiple Disabilities ) जैसे डेफ-ब्लांइड आदि बच्चे के शिक्षण-प्रशिक्षण एवं पुर्नवास को बढ़ावा देने हेतु सरकारी/गैर सरकारी संस्थानांे को आगे आना चाहिए।
- चण्डीगढ़ के व्यस्क (Adult) दिव्यांग बच्चों को उनके योग्यता एवं शारारिक, बौद्धिक क्षमता के अनुकूल व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए एवं प्रशिक्षणोंपरांत इनके रोजगार हेतु यथोचित क्षेत्र का चयन कर इन्हें अवसर उपलब्ध कराने में सहयोग दी जाए ताकि ये आत्म निर्भर हो , समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें और समाज में अपना पूर्ण योगदान सुनिश्चित कर सकें।
- चण्डीगढ़ प्रशासन मंे दिव्यांगों के विकास हेतु उत्तरदायी सभी विभागों जैसे समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, चिकित्सीय शिक्षा एवं शोध विभाग एवं खेल विभाग इत्यादि के बीच परस्पर समन्वयन ( Co-ordination) स्थापित हों अथवा चण्डीगढ़ प्रशासन के द्वारा दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास हेतु एक अलग विभाग का गठन किया जाए, जिसके माध्यम से दिव्यांगों के लिए चलायी जा रही संपूर्ण योजनाएं एवं गतिविधियों हेतु बजट की उपलब्धता, मोनिटरिंग एवं योजनाओं का मूल्यांकन किया जा सके।
- चण्डीगढ़ प्रशासन द्वारा संचालित बौद्धिक अक्षम बच्चों के लिए राजकीय पुर्नवास संस्थान ( GRIID ), चण्डीगढ़ एक मात्र संस्थान है जहाँ बौद्धिक अक्षमताओं वाले बच्चों की विशेष शिक्षा, चिकित्या, थेरापी की सुविधा उपलब्ध है । वहीं इन बच्चों की शिक्षा हेतु अध्यापक प्रशिक्षण कोर्स जैसे डिप्लोमा, डिग्री एवं स्नातकोत्तर की शिक्षा दी जाती है। इस तरह के समृद्ध संस्थान का उपयोग सामान्य विद्यालय/महाविद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों को यहाँ समावेशी शिक्षा /ं दिव्यांगों की शिक्षा संबंधी प्रायोगिक प्रशिक्षण हेतु किया जा सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के अवसर पर चण्डीगढ़ प्रशासन के द्वारा यहां के प्रतिभावान दिव्यांगों को सम्मानित करने एवं दिव्यांग व्यक्ति के कल्याणार्थ विभिन्न राज्य स्तरीय पुरस्कार देने का प्रावधान होना चाहिए।
- चण्डीगढ़ के दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों का वंचन/ हनन अथवा शोषण होने की स्थिति मे तथा सरकार एवं स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण और संरक्षण के लिए जारी नियमों, आदेशों, कानूनों के लागू न करने संबंधी शिकायत का निपटारा चण्डीगढ़ के राज्य आयुक्त (निःशक्तता) के माध्यम से त्वरित गति से किए जाने का प्रावधान हो।