नई दिल्ली, 7 जून — विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत ने बीते 11 वर्षों में अत्यधिक गरीबी को कम करने में अभूतपूर्व प्रगति की है। 2011-12 में जहां अत्यधिक गरीबी दर 27.1% थी, वह 2022-23 में घटकर सिर्फ 5.3% रह गई है। इसका अर्थ है कि इस दौरान लगभग 26.9 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 में 34.4 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे, जो अब घटकर 7.5 करोड़ रह गए हैं। यह आकलन अंतरराष्ट्रीय मानक – प्रतिदिन 3.00 डॉलर (2021 की कीमतों पर) – के आधार पर किया गया है।
गरीबी घटाने में राज्यों की भूमिका
उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों ने इस बदलाव में निर्णायक भूमिका निभाई। 2011-12 में इन पांच राज्यों में देश के 65% अत्यधिक गरीब रहते थे, जबकि अब इन राज्यों ने गरीबी में गिरावट के दो-तिहाई हिस्से में योगदान दिया है।
पुराने मानकों के हिसाब से भी शानदार प्रगति
यदि पुराने अंतरराष्ट्रीय मानक – 2.15 डॉलर प्रतिदिन (2017 की कीमतों पर) – से तुलना की जाए, तो 2011 में भारत की अत्यधिक गरीबी दर 16.2% थी, जो 2022 में घटकर 2.3% रह गई। इस आधार पर अत्यधिक गरीबों की संख्या 20.5 करोड़ से घटकर सिर्फ 3.36 करोड़ रह गई है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापक सुधार
ग्रामीण भारत में गरीबी दर 18.4% से घटकर 2.8% हो गई है, जबकि शहरी भारत में यह गिरावट 10.7% से 1.1% तक आई है। साथ ही बहुआयामी गरीबी में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है—2005-06 में 53.8% आबादी इससे प्रभावित थी, जो 2022-23 में घटकर सिर्फ 15.5% रह गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार की योजनाओं को बताया सफलता का आधार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को केंद्र सरकार की गरीब-हितैषी योजनाओं का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “बीते 11 वर्षों में हमने पारदर्शिता, समावेशन और आधारभूत ढांचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाएं चलाईं, जिनका सीधा लाभ गरीबों को मिला।”
उन्होंने विशेष रूप से पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, आयुष्मान भारत, और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसे कार्यक्रमों का उल्लेख किया, जिनके कारण 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिली।
“यह भारत को गरीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है,” प्रधानमंत्री ने कहा।