संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 दिसंबर को भारी बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें गाजा में युद्धविराम की मांग की गई। भारत समेत 153 देशों ने पक्ष में मतदान किया। संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल सहित दस देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि 23 देशों ने भाग नहीं लिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि 7 अक्टूबर को इज़राइल में आतंकवादी हमला और उस समय बंधक बनाए गए लोगों के लिए चिंता का विषय है। वहाँ एक बड़ा मानवीय संकट है और बड़े पैमाने पर नागरिक जीवन की हानि हो रही है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की।
युक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की आपात बैठक में गाजा में तत्काल युद्ध विराम प्रस्ताव पारित हो गया। भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें चल रहे इज़राइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय युद्धविराम के साथ-साथ सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 दिसंबर को भारी बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें गाजा में युद्धविराम की मांग की गई।
संयुक्त राष्ट्र की समाचार सेवा के अनुसार, प्रस्ताव में महासभा की मांग को भी दोहराया गया कि सभी पक्ष अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून भी शामिल है। यह कानून विशेष रूप से नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में है।
153 देशों ने पक्ष में मतदान किया
तत्काल मानवीय युद्धविराम की मांग करने वाले प्रस्ताव को अल्जीरिया, बहरीन, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और फिलिस्तीन सहित कई देशों द्वारा प्रायोजित किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल सहित दस देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि 23 देशों ने भाग ही नहीं लिया। भारत समेत 153 देशों ने पक्ष में मतदान किया। जिन देशों ने विरुद्ध मतदान किया, उनमें इज़राइल, यूएसए, ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, ग्वाटेमाला, लाइबेरिया, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी और पराग्वे सम्मिलित हैं।
भारत के प्रतिनिधि ने क्या कहा ?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज का कहना है, ”भारत ने महासभा द्वारा अभी अपनाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। जिस स्थिति पर यह अगस्त निकाय विचार-विमर्श कर रहा है, उसके कई आयाम हैं।” उन्होंने कहा कि 7 अक्टूबर को इज़राइल में आतंकवादी हमला और उस समय बंधक बनाए गए लोगों के लिए चिंता का विषय है। वहाँ एक बड़ा मानवीय संकट है और बड़े पैमाने पर नागरिक जीवन की हानि हो रही है, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की। सभी परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का मुद्दा है, और लंबे समय से चले आ रहे फ़िलिस्तीन प्रश्न का एक शांतिपूर्ण और स्थायी दो-राज्य समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है।
जरुरी है अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता
उन्होंने कहा कि इस असाधारण कठिन समय में हमारी चुनौती सही संतुलन बनाए रखना है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 को लागू करते हुए महासचिव द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों की गंभीरता और जटिलता को रेखांकित किया गया है। इसलिए, हम इस तथ्य का स्वागत करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता इस समय क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा आधार खोजने में सक्षम है।
UNGA चीफ ने क्या कहा ?
यूएनजीए (UNGA) चीफ फ्रांसिस ने कहा कि गाजा में नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। फ्रांसिस ने गाजा में तत्काल युद्ध विराम के लिए समर्थन जताया है। संघर्ष विराम का प्रस्ताव मिस्र के राजदूत अब्देल खालेक महमूद ने पेश किया।
अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका युद्ध विराम प्रस्ताव से सहमत नहीं है। अमेरिकी दूत ने युद्ध के लिए सीधे तौर पर हमास को दोषी ठहराया। इजराइल के राजदूत गिलाद अर्दान ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि युद्ध रोकने से केवल हमास को फायदा होगा। बता दें कि इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच 7 अक्टूबर से संघर्ष चल रहा है।