नई दिल्ली: चमकीले रंगों और आसान देखभाल के कारण गेंदा भारत में सबसे अधिक उगाए जाने वाले वार्षिक पौधों में शामिल है। घरेलू बागवानी में लोकप्रिय और त्योहारों के दौरान बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले ये फूल न केवल सजावटी दृष्टिकोण से पसंद किए जाते हैं, बल्कि इनके कई व्यावहारिक लाभ भी हैं।
भारत में दो प्रमुख प्रकार के गेंदे आमतौर पर उगाए जाते हैं — अफ्रीकी और फ्रेंच गेंदा। अफ्रीकी गेंदा जैसे कि ‘पूसा नारंगी’ और ‘पूसा बहार’ किस्में लंबे पौधे और बड़े फूलों वाली होती हैं, जबकि फ्रेंच गेंदा छोटे और घने पौधे होते हैं। दोनों किस्में भारतीय जलवायु के लिए उपयुक्त हैं और इनकी देखभाल में अधिक मेहनत नहीं लगती, जिससे यह बागवानों की पहली पसंद बने हुए हैं।
कई संस्कृतियों में गेंदे के फूलों का विशेष प्रतीकात्मक महत्व होता है। इन्हें प्रसन्नता, स्मृति और जीवन-मरण के चक्र से जोड़ा जाता है। धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में गेंदे के फूलों की माला और सजावट आमतौर पर देखी जाती है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी गेंदे के फूल उपयोगी साबित हो रहे हैं। इनमें ल्यूटिन नामक यौगिक पाया जाता है, जो आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इसके साथ ही, इनमें जीवाणुरोधी और विषाणुरोधी गुण भी होते हैं, जो इन्हें केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं रखते।
कृषि में गेंदा प्राकृतिक कीट नियंत्रण के लिए एक प्रभावी उपाय बनता जा रहा है। किसान इसका उपयोग “ट्रैप क्रॉप” के रूप में करते हैं, खासकर टमाटर के फल छेदक कीट (Helicoverpa armigera) और वेस्टर्न फ्लावर थ्रिप्स (WFT) के खिलाफ। गेंदा कीटों को मुख्य फसल से दूर आकर्षित करता है, जिससे फसल की हानि कम होती है। इसके अलावा, इसके पौधे की जड़ों से निकलने वाले रसायन मिट्टी में हानिकारक सूत्रकृमियों (nematodes) को दबाने में मदद करते हैं।
गेंदा मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में भी सहायक होता है। यह जैविक पदार्थ की मात्रा बढ़ाता है और फॉस्फोरस तथा नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है। अन्य फसलों के साथ इसे उगाने से मिट्टी में एंजाइम गतिविधि में वृद्धि होती है, जो पोषक तत्वों के चक्रण में सहायक है।
इसके अलावा, गेंदा की मिश्रित खेती लाभकारी मिट्टी जीवाणुओं के विकास में मदद करती है, जो पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं, जिससे समय के साथ भूमि की उत्पादकता बढ़ती है।
गेंदा की खेती सरल है। यह पूर्ण सूर्यप्रकाश और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी में अच्छे से पनपता है। इसे बीज या रोपण द्वारा उगाया जा सकता है। खेती में अक्सर इसे खेत की मेंड़ों पर लगाया जाता है ताकि कीट प्रबंधन किया जा सके। फूल आमतौर पर रोपाई के ढाई महीने बाद पूर्ण खिले अवस्था में तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।
गेंदा न केवल हमारी संस्कृति और त्योहारों का हिस्सा है, बल्कि यह स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।