पोर्ट ऑफ स्पेन, 4 जुलाई 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, जिसमें उन्हें ऐतिहासिक स्वागत मिला। उनके भाषण के दौरान संसद भवन तालियों की गूंज से कई बार गूंज उठा। सांसदों ने 28 बार तालियां बजाईं, जिससे पीएम मोदी को 23 बार अपना भाषण बीच में रोकना पड़ा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा, “मैं इस प्रतिष्ठित रेड हाउस में आपसे बात करने वाला पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनकर गौरव का अनुभव कर रहा हूं। यह ऐतिहासिक लाल इमारत त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के स्वतंत्रता और सम्मान के संघर्ष की साक्षी रही है।”
भारत के वीमेन-लेड डेवलपमेंट मॉडल की चर्चा
अपने भाषण में पीएम मोदी ने भारत में महिलाओं के नेतृत्व में हो रहे विकास का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हम भारत में वीमेन लेड डेवलपमेंट का एक नया मॉडल विकसित कर रहे हैं, जिसे हमने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।”
उन्होंने बताया कि भारत में महिलाएं अंतरिक्ष से लेकर खेल, स्टार्टअप से लेकर विज्ञान, शिक्षा से लेकर उद्यमिता, विमानन से लेकर सशस्त्र बलों तक हर क्षेत्र में देश को नई दिशा दे रही हैं। पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत की राष्ट्रपति एक साधारण पृष्ठभूमि से आई महिला हैं, और दो वर्ष पहले संसद ने महिलाओं के लिए 33% आरक्षण वाला ऐतिहासिक विधेयक पारित किया।
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित
अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उन्हें राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू द्वारा त्रिनिदाद और टोबैगो के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार “ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो” से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा, “मैं यह सम्मान 1.4 अरब भारतीयों की ओर से विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं।”
भारत-त्रिनिदाद संबंधों में नए युग की शुरुआत
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विकास नीति को “दुनिया के प्रति जिम्मेदारी की भावना” से प्रेरित बताया और कहा कि इसी सोच के साथ भारत त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा व्यापार बढ़ता रहेगा। हम भारतीय व्यवसायों को त्रिनिदाद में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेंगे। हमारी विकास साझेदारी का विस्तार होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन भारत और त्रिनिदाद के बीच साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक विरासत और विकासात्मक सहयोग की भावना को बल मिलेगा।