नई दिल्ली, 7 जून – भारत में बीते एक दशक में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक मौन लेकिन ऐतिहासिक परिवर्तन आया है। सरकार की लक्षित योजनाओं और डिजिटल तकनीक के समन्वय से स्वास्थ्य सेवा अब सुलभ, किफायती और पारदर्शी बन चुकी है—विशेष रूप से मध्यम वर्ग के लिए, जो पहले स्वास्थ्य खर्चों से जूझता रहा है।
आज वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त अस्पताल में भर्ती, कम दामों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं, और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए समय पर इलाज जैसे लाभ उपलब्ध हैं, जिससे लोग न केवल अपने स्वास्थ्य खर्चों पर नियंत्रण पा रहे हैं बल्कि नौकरशाही बाधाओं से भी मुक्त हो रहे हैं।
आयुष्मान भारत: दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना
आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) ने 3 मई 2025 तक 40.84 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए हैं और 8.59 करोड़ से अधिक मरीजों को 1.19 लाख करोड़ रुपये के इलाज की सुविधा दी है, वह भी बिना किसी आर्थिक बोझ के।
देशभर के 31,916 सूचीबद्ध अस्पतालों के माध्यम से यह योजना आज 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सक्रिय है। 29 अक्टूबर 2024 को इसका दायरा बढ़ाते हुए इसे 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों के लिए मुफ्त बनाया गया, चाहे उनकी आय कुछ भी हो। यह विस्तार मध्यम वर्ग के बुजुर्गों के लिए एक बड़ा राहतकारी कदम साबित हुआ है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना: दवाओं में 80% तक की बचत
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) ने देशभर में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की है। 20 मई 2025 तक, जन औषधि केंद्रों की संख्या 80 से बढ़कर 16,469 हो चुकी है। यहाँ उपलब्ध दवाएं बाजार में मिलने वाले ब्रांडेड विकल्पों की तुलना में 50% से 80% तक सस्ती होती हैं।
यह योजना हर दिन 10 से 12 लाख लोगों को सेवा देती है और पिछले 11 वर्षों में इससे लगभग ₹38,000 करोड़ की बचत हुई है। मधुमेह, हृदय रोग, और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से जूझ रहे मध्यम वर्गीय परिवारों को इससे बड़ी राहत मिली है। वर्तमान में, योजना के तहत 2,110 दवाएं और 315 सर्जिकल उत्पाद उपलब्ध हैं।
डिजिटल आधार पर तेज़ और पारदर्शी स्वास्थ्य सेवाएं
इन योजनाओं की सफलता में डिजिटल आधारभूत ढांचे की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। ऑनलाइन नामांकन, ई-कार्ड, अस्पतालों की लाइव ट्रैकिंग और लाभार्थी फीडबैक जैसी सुविधाओं ने प्रक्रिया को पारदर्शी, सरल और त्वरित बना दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बदलाव को “स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर और समावेशी मॉडल की जीत” बताया। उन्होंने कहा, “हमने स्वास्थ्य सेवा को अधिकार बनाने का प्रयास किया है, विशेषाधिकार नहीं। आज देश का मध्यम वर्ग भी बिना डर के इलाज करवा सकता है।”