लुधियाना, 27 अप्रैल 2025: भारतीय शिक्षण मंडल, पंजाब प्रांत द्वारा अपने 56वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में राज्यभर में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का समापन आज लुधियाना में सम्पन्न हुआ। पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर, लुधियाना के सेमिनार कक्ष में “विकसित भारत के निर्माण में शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा अभिभावकों का योगदान” विषय पर आधारित कार्यक्रम सुनियोजित ढंग से आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर (डा.) राजीव आहुजा उपस्थित रहे। मंचासीन अतिथियों में पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर, लुधियाना के डायरेक्टर डा. अमन अमृत चीमा; भारतीय शिक्षण मंडल, पंजाब प्रांत की प्रकाशन प्रमुख प्रो. पंकजमाला; सह मंत्री श्री अशोक ठाकुर और विभाग प्रचारक श्री कन्हैया प्रताप (आरएसएस) शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मंडल के लुधियाना जिला संयोजक डा. गोपाल कृष्ण ने की।
कार्यक्रम का संचालन डा. पूनम सपरा (महिला मंडल सह प्रमुख, पंजाब प्रांत) ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा जारी शोक पत्र वाचन और पहलगांव हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट के मौन के साथ हुई। इसके बाद श्रीमती निधि शर्मा द्वारा संगठन गीत प्रस्तुत किया गया। मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर औपचारिक शुभारंभ किया गया, तत्पश्चात डा. श्याम सुंदर द्वारा ध्येय श्लोक और डा. अमनदीप कौर द्वारा ध्येय वाक्य का पाठ किया गया। सभी अतिथियों को ग्रंथ भेंट कर सम्मानित भी किया गया।
भारतीय शिक्षण मंडल पंजाब प्रांत के सह मंत्री श्री अशोक ठाकुर ने प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए संगठन के उद्देश्य और इतिहास पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता डा. राजीव आहुजा ने भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में मूल्य आधारित शिक्षा के माध्यम से समाज में योगदान देने की भावना विकसित करनी चाहिए ताकि भारत पुनः विश्व गुरु बन सके।
विशिष्ट अतिथि डा. अमन अमृत चीमा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन वर्तमान शिक्षा प्रणाली को मूल्य आधारित बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। प्रो. पंकजमाला ने भी नई शिक्षा नीति के संदर्भ में कार्यक्रम को सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम बताया। श्री कन्हैया प्रताप ने भारतीयता को सुदृढ़ करने हेतु भारतीय परंपराओं के निर्वहन की महत्ता पर जोर दिया।
कार्यक्रम के अंत में डा. गोपाल कृष्ण ने सभी वक्ताओं, शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। समापन भारतीय शिक्षण मंडल की परंपरा अनुसार प्रार्थना और कल्याण मंत्र के उच्चारण के साथ हुआ। तत्पश्चात सभी अतिथियों के लिए जलपान की व्यवस्था की गई।