बहुत से मित्र गांठों का ईलाज पूछते है | इसके लिए तरह तरह के उपचार बताये जाते हैं लेकिन कई बार समस्या यह आती है की बताई गयी जड़ी बूटियाँ आसानी से नहीं मिल पाती हैं | पहले से तैयार शास्त्रीय योग विश्वसनीय और प्रयोग करने में आसान होते हैं |
गाँठ चाहे ब्रैस्ट में हो या PCOS गर्भाशय में त्वचा पर हो या हड्डियों में हो चर्बी की गांठ हो या अन्य किसी तरह की सब का ईलाज आयुर्वेद में है|
औषधि संयोजन :
1. कॉचनार गुग्गुल
2. वृद्धिबाधिका वटी
3. आरोग्यवर्धिनी वटी
इन औषधियों की दो – दो गोली पीसकर प्रतिदिन प्रातः सायं खाना खाने के बाद हल्के गर्म पानी के साथ लें |
4. शिलासिन्दूर – 2 ग्राम
5. ताम्र भस्म – 1 ग्राम
6. मोतीपिष्टी – 4 ग्राम
7. प्रवाल पिष्टी – 10ग्राम
8. गिलोय सत- 20 ग्राम
ये सभी क्रम 4 से 8 की औषधियों को आपस में घोंटपीस कर ठीक से मिलाकर एक बराबर मात्रा की 60 पुड़ियाँ बना लें | पुडिया बटरपेपर या किसी चिकने कागज में बनाये और एयरटाइट जार में बंद करके सुरक्षित जगह पर रख दें. प्रतिदिन एक पुडिया सुबह नाश्ता करने से आधा घंटा पहले और एक पुडिया रात के समय भोजन करने से आधा घंटा पहले लें | इस औषधि को ताज़े पानी , शहद या गाय के दूध के साथ लिया जा सकता है. इस संयोजन में ताम्र भस्म की मात्रा किसी भी हालत में अपने मन से न बढायें अन्यथा हानि हो सकती है |
9. गोधन अर्क या गौमूत्र अर्क 20 ml
10 . घृतकुमारी स्वरस 20 ml
इन दोनों औषधियों को मिक्स करके या अलग अलग सुबह और शाम खाली पेट पिए|
यदि गर्भाशय या स्तन की गाँठ है तो शतावरी का चूर्ण भी 5 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार लेना चाहिए.
PCOS की गांठों में घृतकुमारी स्वरस के स्थान पर बकायन का जूस भी लिया जा सकता है | यह बहुत अच्छा परिणाम देता है | लेकिन यह आसानी से मिलता नहीं है. और स्वाद अत्यंत कडुआ होता है |
अपनी क्षमतानुसार ज्यादा से ज्यादा कसरत आदि करे जिससे पसीना निकल सके और रोमकूप खुलकर toxins निकल जाएँ. कपालभाती भस्रिका प्राणायाम अवश्य करना चाहिए |
ध्यान दें——कोई भी आयुर्वेदिक दवाई लेने से पहले अपने पास के किसी डॉक्टर को अवश्य ही संपर्क करें गाँठ होना एक गंभीर समस्या है और व्यक्तिगत चिकित्सकीय निर्देशन में ही सही ईलाज हो सकता है| कई बार यह कैंसर का लक्षण भी होती है जिसमे अतिरिक्त दवाओं और पर्याप्त चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता होती है |