• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Monday, June 2, 2025
No Result
View All Result
  • Login
  • Home
    • Home – Layout 1
    • Home – Layout 2
    • Home – Layout 3
    • Home – Layout 4
    • Home – Layout 5
    • Home – Layout 6
  • Article
  • Haryana
  • Punjab
  • Chandigarh
  • Uttarakhand
  • Education
  • Sports
  • Health
  • World
  • Agriculture
  • Home
    • Home – Layout 1
    • Home – Layout 2
    • Home – Layout 3
    • Home – Layout 4
    • Home – Layout 5
    • Home – Layout 6
  • Article
  • Haryana
  • Punjab
  • Chandigarh
  • Uttarakhand
  • Education
  • Sports
  • Health
  • World
  • Agriculture
No Result
View All Result
TheIndiaPost
No Result
View All Result
Home Agriculture

चाइनीज लहसुन को ना, भारतीय लहसुन को हां: स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा और स्वास्थ्य की सुरक्षा

admin by admin
January 9, 2025
in Agriculture
0
चाइनीज लहसुन को ना, भारतीय लहसुन को हां: स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा और स्वास्थ्य की सुरक्षा
0
SHARES
908
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

प्रोफ़ेसर (डॉ) एसके सिंह : चाइनीज गार्लिक (लहसुन) को भारत में 2014 में प्रतिबंधित किया गया था। इसका मुख्य कारण भारतीय कृषि और किसानों की सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, और जैव सुरक्षा था। यह प्रतिबंध भारतीय गार्लिक उद्योग को बचाने और स्थानीय किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।लेकिन दुर्भाग्यवश आज भी छोटे छोटे बाजारों में चाइनीज लहसुन बिकते देखा जा रहा है। अभी हाल में ही कुरेंटाइन विभाग के अधिकारियों से वार्ता के क्रम में पता चला कि भारत नेपाल के बॉर्डर पर भारी मात्रा में कस्टम विभाग के लोगों ने भारी मात्रा में चाइनीज लहसुन की खेप को पकड़ा है। जब तक आम लोगों को इसके खतरे से अवगत नहीं कराया जाएगा तब तक इस तरह के गैर कानूनी चाइनीज लहसुन की खेप को आने से रोक पाना बहुत मुश्किल है।

चाइनीज गार्लिक (चीनी लहसुन) को 2014 से भारत में प्रतिबंधित करने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जो आर्थिक, स्वास्थ्य, और कृषि-संबंधी मुद्दों से जुड़े हैं। इन कारणों को समझने के लिए हमें विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देना होगा।

READ ALSO

गेंदे के फूल: सुंदरता के साथ कृषि और स्वास्थ्य में भी उपयोगी

Sunflowers Shine Beyond Beauty: A Growing Force in Agriculture and Sustainability

1. स्वास्थ्य संबंधी कारण

चाइनीज(गार्लिक) लहसुन में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग होता है। इन रसायनों से मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे……

कैंसर और अन्य दीर्घकालिक बीमारियाँ: चीन में लहसुन की खेती के दौरान जहरीले रसायनों का उपयोग व्यापक है, जो खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते हैं।

पोषक तत्वों की कमी: चाइनीज गार्लिक में पोषक तत्व, जैसे सल्फर और अन्य यौगिक, भारतीय लहसुन की तुलना में कम होते हैं, जिससे इसका स्वास्थ्य लाभ सीमित हो जाता है।

माइक्रोबियल संक्रमण का खतरा: कई बार चाइनीज गार्लिक को लंबी अवधि तक सुरक्षित रखने के लिए हानिकारक प्रिजर्वेटिव्स का उपयोग किया जाता है, जो संक्रमण और खाद्य विषाक्तता का कारण बन सकते हैं।

2. कृषि-संबंधी कारण

भारतीय लहसुन की खेती को नुकसान: चाइनीज गार्लिक का आयात भारतीय किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया था। इसका कारण था इसका सस्ता मूल्य और बड़ी मात्रा में उपलब्धता, जो भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को असंतुलित कर रही थी।

स्थानीय फसल पर प्रभाव: भारतीय लहसुन उत्पादकों को चाइनीज गार्लिक के आयात के कारण अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा था। इससे किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

बीज और रोग का खतरा: चाइनीज गार्लिक के साथ आयातित बीज और सामग्री भारतीय कृषि में नई बीमारियों और कीटों को बढ़ावा दे सकती थी, जिससे फसलों की उत्पादकता प्रभावित होती।

3. आर्थिक कारण

डंपिंग पॉलिसी: चीन अपने उत्पादों को सस्ते दामों पर वैश्विक बाजार में बेचने के लिए डंपिंग रणनीति अपनाता है। यह भारतीय बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा का कारण बनता है।

व्यापार घाटा: चाइनीज गार्लिक का आयात भारत-चीन व्यापार संतुलन को और बिगाड़ रहा था, जो पहले से ही भारतीय पक्ष के लिए घाटे में था।

स्थानीय उद्योगों का संरक्षण: भारतीय सरकार ने चाइनीज गार्लिक को प्रतिबंधित करके घरेलू लहसुन उत्पादकों को समर्थन देने की दिशा में कदम उठाया।

4. राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वदेशी उत्पादों का संरक्षण

चीन से आयातित कृषि उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं था; यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा था। आत्मनिर्भर भारत (मेक इन इंडिया) अभियान के तहत स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से चाइनीज गार्लिक पर प्रतिबंध लगाया गया।

5. प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरणीय प्रभाव

चाइनीज गार्लिक की खेती और प्रसंस्करण में पर्यावरणीय क्षति का भी योगदान होता है। यह प्रक्रिया अत्यधिक जल और रसायनों का उपयोग करती है, जिससे भूमि और जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। भारत में ऐसे उत्पादों का उपयोग पर्यावरणीय स्थिरता को नुकसान पहुँचा सकता है।

6. सांस्कृतिक और गुणवत्ता मानक

भारतीय लहसुन अपने स्वाद, गुणवत्ता, और पोषक तत्वों के कारण विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। चाइनीज गार्लिक की गुणवत्ता भारतीय मानकों पर खरी नहीं उतरती, जिससे इसका उपयोग भारतीय व्यंजनों और औषधीय उपयोगों में सीमित हो जाता है।

7. नीतिगत पहल और प्रतिबंध

भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा, किसान कल्याण, और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए चाइनीज गार्लिक पर प्रतिबंध लगाया। इसके तहत…..

आयात शर्तें कड़ी की गईं: गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए सख्त निरीक्षण लागू किए गए।

स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा: भारतीय कृषि को सुदृढ़ करने और लहसुन के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएँ शुरू की गईं।

चाइनीज गार्लिक बनाम इंडियन गार्लिक: एक तुलनात्मक अध्ययन

चाइनीज और भारतीय गार्लिक (लहसुन) में कई भौतिक, पोषण, और व्यावसायिक अंतर हैं। दोनों की खेती, गुणवत्ता, और उपभोक्ता प्राथमिकताओं में भिन्नताएं हैं। यहां दोनों के बीच एक विस्तृत तुलना दी गई है यथा….

1. आकार और बनावट

चाइनीज गार्लिक: आकार में बड़ा और एक समान होता है।इसका बाहरी आवरण (छिलका) पतला और चमकीला होता है। गार्लिक बल्ब में लौंग (cloves) की संख्या कम होती है, लेकिन वे आकार में बड़ी होती हैं।

इंडियन गार्लिक: आकार में अपेक्षाकृत छोटा और असमान होता है। छिलका मोटा और रंग में हल्का भूरा या गुलाबी होता है। बल्ब में लौंग की संख्या अधिक होती है, लेकिन वे छोटी और तंग होती हैं।

2. स्वाद और सुगंध

चाइनीज गार्लिक: स्वाद में हल्का और कम तीखा होता है। इसकी सुगंध भी भारतीय गार्लिक की तुलना में कम होती है।

इंडियन गार्लिक: स्वाद में तीखा, मसालेदार और अधिक प्रभावी होता है।इसमें एक मजबूत और विशिष्ट सुगंध होती है, जो भारतीय भोजन में उपयुक्त मानी जाती है।

3. पोषण सामग्री

चाइनीज गार्लिक:पोषण सामग्री अपेक्षाकृत कम होती है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट और सल्फर यौगिकों की मात्रा भारतीय गार्लिक से कम पाई जाती है।

इंडियन गार्लिक: पोषण में समृद्ध, एंटीऑक्सिडेंट और सल्फर यौगिकों की उच्च मात्रा। यह आयुर्वेदिक और औषधीय उपयोगों में अधिक प्रचलित है।

4. भंडारण और ताजगी

चाइनीज गार्लिक: लंबी शेल्फ लाइफ होती है क्योंकि इसे अक्सर रसायनों से संरक्षित किया जाता है। आयातित होने के कारण यह कभी-कभी लंबे समय तक स्टोर किया जाता है, जिससे इसकी ताजगी कम हो सकती है।

इंडियन गार्लिक: स्वाभाविक रूप से कम शेल्फ लाइफ, लेकिन बिना रसायनों के ताजा होता है। स्थानीय स्तर पर उत्पादन और वितरण के कारण यह अधिक ताजा रहता है।

5. पर्यावरणीय प्रभाव

चाइनीज गार्लिक: इसके उत्पादन में अधिक मात्रा में रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। लंबे परिवहन के कारण कार्बन फुटप्रिंट अधिक होता है।

इंडियन गार्लिक: जैविक और पारंपरिक खेती के तरीके पर्यावरण के अनुकूल हैं। स्थानीय उत्पादन से परिवहन का प्रभाव कम होता है।

6. मूल्य और उपलब्धता

चाइनीज गार्लिक: यह सस्ता होता है, क्योंकि चीन में बड़े पैमाने पर उत्पादन और सरकार की सब्सिडी इसे किफायती बनाती है।आयात के कारण कभी-कभी यह आसानी से उपलब्ध नहीं होता।

इंडियन गार्लिक: कीमत चाइनीज गार्लिक से अधिक हो सकती है, क्योंकि उत्पादन लागत अधिक है। यह स्थानीय बाजारों में आसानी से उपलब्ध रहता है।

7. उपयोग और अनुकूलता

चाइनीज गार्लिक: हल्के स्वाद के कारण यह उन व्यंजनों में पसंद किया जाता है, जहां लहसुन का स्वाद प्रमुख नहीं होना चाहिए। पश्चिमी और चीनी व्यंजनों में इसका उपयोग आम है।

इंडियन गार्लिक: इसका तीखा स्वाद और सुगंध भारतीय मसालों और व्यंजनों के लिए अधिक उपयुक्त है। इसे भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में भी उपयोग किया जाता है।

8. जैव सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रभाव

चाइनीज गार्लिक: कीटनाशकों और रसायनों की मौजूदगी के कारण स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह जैव सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि इसके साथ नए कीट और रोग भी आ सकते हैं।

इंडियन गार्लिक:रसायन मुक्त और सुरक्षित। आयुर्वेदिक गुणों के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद।

भारत में स्थानीय उत्पादकों और जैव सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए इंडियन गार्लिक का समर्थन करना महत्वपूर्ण है। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाला और सुरक्षित उत्पाद भी प्रदान करेगा।

भारतीय और चाइनीज लहसुन के बीच पोषण मूल्य का तुलनात्मक अध्ययन करते समय, उनकी रासायनिक संरचना, स्वास्थ्य लाभ, और जैविक प्रभावों पर विचार किया जाता है। दोनों प्रकार के लहसुन में समान पोषक तत्व होते हैं, लेकिन उनकी मात्रा और गुणवत्ता में भिन्नताएँ हो सकती हैं।

1.भारतीय लहसुन के पोषण मूल्य:

प्रमुख पोषक तत्व: कैलोरी: 149 किलो कैलोरी (प्रति 100 ग्राम);प्रोटीन: 6.36 ग्राम; कार्बोहाइड्रेट: 33.06 ग्राम; फाइबर: 2.1 ग्राम;कैल्शियम: 181 मिलीग्राम; पोटैशियम: 401 मिलीग्राम;विटामिन सी: 31.2 मिलीग्राम

विशेषताएँ: अधिक तीखा और मजबूत स्वाद।एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा। जैव सक्रिय यौगिक (एलिसिन) अधिक होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

2. चाइनीज लहसुन के पोषण मूल्य

प्रमुख पोषक तत्व: कैलोरी: 138 किलो कैलोरी (प्रति 100 ग्राम); प्रोटीन: 5.79 ग्राम;

कार्बोहाइड्रेट: 30 ग्राम; फाइबर: 1.9 ग्राम; कैल्शियम: 150 मिलीग्राम; पोटैशियम: 320 मिलीग्राम; विटामिन सी: 25.6 मिलीग्राम

विशेषताएँ: हल्का और कम तीखा स्वाद।साइज में बड़े, लेकिन पोषक तत्वों की घनत्व कम।एलिसिन की मात्रा भारतीय लहसुन की तुलना में कम होती है।

सारांश

चाइनीज गार्लिक और इंडियन गार्लिक के बीच स्पष्ट अंतर हैं। चाइनीज गार्लिक सस्ता और बड़ा हो सकता है, लेकिन भारतीय गार्लिक पोषण, स्वाद, और स्वास्थ्य के मामले में अधिक लाभदायक है।

चाइनीज गार्लिक पर प्रतिबंध का निर्णय केवल एक कृषि उत्पाद को नियंत्रित करने का प्रयास नहीं था, बल्कि यह भारतीय किसानों, उपभोक्ताओं, और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक व्यापक रणनीति का हिस्सा था। इसने भारतीय लहसुन उत्पादकों को सशक्त किया, खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा दिया, और उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान किए। भारत सरकार का यह कदम आत्मनिर्भरता, सतत विकास, और स्वदेशी कृषि प्रणाली को समर्थन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।(

(विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848 125, समस्तीपुर, बिहार)

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
  • Click to share on X (Opens in new window) X

Like this:

Like Loading...

Related Posts

गेंदे के फूल: सुंदरता के साथ कृषि और स्वास्थ्य में भी उपयोगी
Agriculture

गेंदे के फूल: सुंदरता के साथ कृषि और स्वास्थ्य में भी उपयोगी

May 19, 2025
Sunflowers Shine Beyond Beauty: A Growing Force in Agriculture and Sustainability
Agriculture

Sunflowers Shine Beyond Beauty: A Growing Force in Agriculture and Sustainability

May 19, 2025
जहाँ रसायन थक जाएँ, वहाँ अग्नियास्त्र चमक दिखाए!
Agriculture

जहाँ रसायन थक जाएँ, वहाँ अग्नियास्त्र चमक दिखाए!

April 25, 2025
Important Instructions for Farmers Applying for Solar Pumps Under COMPONENT-B of PM-KUSUM Scheme in Punjab
Agriculture

Important Instructions for Farmers Applying for Solar Pumps Under COMPONENT-B of PM-KUSUM Scheme in Punjab

March 19, 2025
आम का मुख्य तने से जुड़ा फल क्या संकेतों को दर्शाता है ?
Agriculture

आम का मुख्य तने से जुड़ा फल क्या संकेतों को दर्शाता है ?

March 15, 2025
एवोकाडो फार्मिंग: उच्च मांग और मुनाफे के साथ लाभदायक कृषि
Agriculture

एवोकाडो फार्मिंग: उच्च मांग और मुनाफे के साथ लाभदायक कृषि

March 14, 2025
  • Trending
  • Comments
  • Latest
Prof. Gurvinder Pal Thami Appointed Medical Superintendent of Govt. Medical College & Hospital, Sector-32, Chandigarh

Prof. Gurvinder Pal Thami Appointed Medical Superintendent of Govt. Medical College & Hospital, Sector-32, Chandigarh

December 12, 2024
“पौधों की बीमारियों के खिलाफ प्रकृति की ढाल को सशक्त बनाना – ट्राइकोडर्मा को बढ़ाने का (बहुगुणन) सबसे आसान तरीका जानें”

“पौधों की बीमारियों के खिलाफ प्रकृति की ढाल को सशक्त बनाना – ट्राइकोडर्मा को बढ़ाने का (बहुगुणन) सबसे आसान तरीका जानें”

December 6, 2024
SAD Delegation Highlights Legal Hurdles in Implementing Seven-Member Committee Directive

SAD Delegation Highlights Legal Hurdles in Implementing Seven-Member Committee Directive

January 9, 2025
वीर बाल दिवस पर शिप्रा बंसल ने बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया

वीर बाल दिवस पर शिप्रा बंसल ने बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया

December 27, 2024
Donald Trump says he will meet with Indian Prime Minister Narendra Modi

Donald Trump says he will meet with Indian Prime Minister Narendra Modi

0
University of Melbourne has opened a centre in Delhi

University of Melbourne has opened a centre in Delhi

0
लेबनान में एक साथ एक हजार से ज्यादा पेजर्स में हुआ धमाका

लेबनान में एक साथ एक हजार से ज्यादा पेजर्स में हुआ धमाका

0
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा

0
भारत के उज्जवल भविष्य की नींव का पत्त्थर है टॉपर-प्रतिभाएं- ओमप्रकाश बेरी

भारत के उज्जवल भविष्य की नींव का पत्त्थर है टॉपर-प्रतिभाएं- ओमप्रकाश बेरी

May 30, 2025
CRAWFED ने सामुदायिक केंद्रों के किराया बढ़ोतरी और निजीकरण के प्रस्ताव का किया विरोध

CRAWFED ने सामुदायिक केंद्रों के किराया बढ़ोतरी और निजीकरण के प्रस्ताव का किया विरोध

May 30, 2025
लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी नारी सुरक्षा की ढाल, रीवा में रोका गया नाबालिग का विवाह

लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी नारी सुरक्षा की ढाल, रीवा में रोका गया नाबालिग का विवाह

May 30, 2025
Devi Ahilya Bai Holkar

रानी नहीं, मां अहिल्या थीं वे: मातृत्व, शौर्य और सुधार की अनूठी मिसाल

May 30, 2025

Recent News

भारत के उज्जवल भविष्य की नींव का पत्त्थर है टॉपर-प्रतिभाएं- ओमप्रकाश बेरी

भारत के उज्जवल भविष्य की नींव का पत्त्थर है टॉपर-प्रतिभाएं- ओमप्रकाश बेरी

May 30, 2025
CRAWFED ने सामुदायिक केंद्रों के किराया बढ़ोतरी और निजीकरण के प्रस्ताव का किया विरोध

CRAWFED ने सामुदायिक केंद्रों के किराया बढ़ोतरी और निजीकरण के प्रस्ताव का किया विरोध

May 30, 2025
लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी नारी सुरक्षा की ढाल, रीवा में रोका गया नाबालिग का विवाह

लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी नारी सुरक्षा की ढाल, रीवा में रोका गया नाबालिग का विवाह

May 30, 2025
Devi Ahilya Bai Holkar

रानी नहीं, मां अहिल्या थीं वे: मातृत्व, शौर्य और सुधार की अनूठी मिसाल

May 30, 2025
TheIndiaPost

© 2006 TheIndiaPost - Bharat Ki Awaz TheIndiaPost.

Navigate Site

  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

Follow Us

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • Headline
  • Haryana
  • Health
  • Education
  • Article
  • Punjab
  • Chandigarh
  • Agriculture

© 2006 TheIndiaPost - Bharat Ki Awaz TheIndiaPost.

%d