आज गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में अत्याचार तानाशाही मानसिक प्रताड़ना और द्वेष की भावना रखने वाले प्रशासन के खिलाफ धरना चौदहवें दिन भी जारी रहा। धरने पर मौजूद पीड़ित महिला शिक्षिका डॉ संतोष कौशिक और डॉ राजेश ठाकुर ने बताया कि श्री जगदीप धनखड़, माननीय उपराष्ट्रपति जी ने अभी 2 दिन पहले 20 तारीख को अपने वक्तव्य में इस बात पर चिंता जाहिर की कि हमारे देश के विद्यार्थी देश छोड़कर विदेश के विश्वविद्यालय में पढ़ने जाते हैं। परंतु विचार करने वाली बात यह है कि जब हमारे देश में विश्वविद्यालय में शिक्षकों को इतना दुर्व्यवहार और प्रताड़ना झेलनी पड़ती है और प्रशासन द्वारा उनकी कोई सुनवाई भी नहीं होती, तो ऐसे में अन्य विकसित राष्ट्रों के विश्वविद्यालय के मुकाबले शिक्षा की गुणवत्ता कैसे काबिज हो?
डॉ संतोष कौशिक ने कहा कि कल विश्वविद्यालय में फाउंडेशन डे मनाया गया और उन अध्यापकों को रिसर्च और शोध को सम्मानित किया गया जिन्होंने विश्वविद्यालय की रिसर्च में अपना योगदान दिया। मैं पत्रकारों को बताना चाहती हूं कि पिछले वर्ष मेरे 3 शोध पत्र हैं जिनके इंपैक्ट फैक्टर पांच के ऊपर हैं और मेरे अधीन 5 विद्यार्थियों को पीएचडी करवा चुकी हूं और वर्तमान में 3 शोधार्थी काम कर रहे हैं। डॉ ठाकुर भी अब तक 7 विद्यार्थियों को पीएचडी करवा चुके हैं और अभी उनके अधीन पांच विद्यार्थी पीएचडी कर रहे हैं। हम दोनों अब तक कई रिसर्च प्रोजेक्ट पर भी काम कर चुके हैं। डॉ ठाकुर का शोध का सूचकांक एच इंडेक्स 25 है जो कि विश्वविद्यालय में कुछ गिने चुने शिक्षकों का ही है। उनके नाम दो पेटेंट भी हैं। जिनमें से एक पेटेंट का व्यवसायकरण भी हो चुका है और अंबाला की एक कंपनी उनके द्वारा पेटेंट की गई तकनीक के संयंत्र को बनती है। परंतु पिछले एक डेढ़ साल में विश्वविद्यालय में जो हालात पैदा हो गए हैं ऐसे में अब हम दोनों का शोध कार्य लगभग शून्य पर आ गया है।
एक तरफ तो कुलपति महोदय यह कह रहे हैं कि विश्वविद्यालय की उन्नति में शिक्षकों और रिसर्च का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है और दूसरी तरफ अपनी दलगत राजनीति के तहत विश्वविद्यालय के उन शिक्षकों को जिनका इस रिसर्च में योगदान है उनके लिए ऐसे हालात पैदा कर देते हैं जिससे कि उनके शोध का कार्य शून्य पर आ जाएगा। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि विभाग के विद्यार्थियों को अनुभवी शिक्षकों से वंचित होना पड़ रहा है एवं इन शिक्षकों के साथ जुड़े पीएचडी के विद्यार्थी अब दर-दर भटकेंगे और उन विद्यार्थियों को शायद उनसे छीन भी लिया जाए और वह भी तब जबकि उनके दो-दो वर्ष के लगभग रिसर्च का कार्य 70 – 80% तक हो चुका है। विश्वविद्यालय प्रशासन की इसी विनाशकारी दलगत राजनीति के कारण हमें धरना लगाना पड़ा है। इससे साफ जाहिर है कि कुलपति दोहरे मापदंड के व्यक्ति हैं और उनका व्यक्तित्व बिल्कुल गलत है। वे जन सभा में कुछ और कहते हैं, और अपनी कार्यशैली में उसके विपरीत कार्य करते हैं।
दोनों शिक्षकों का दूसरे विभाग में स्थानांतरण करना विद्यार्थियों एवं शिक्षकों दोनों के लिए ही नुकसानदायक है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि परिवार का मुखिया होने के नाते समस्या का संज्ञान लेने की बजाए वे आय दिन दंडात्मक कार्यवाही एवं शो कॉज नोटिस जैसे नए कागजों के माध्यम से धरनारत शिक्षकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करके उन्हें डराने की कोशिश में लगे हैं। जब वरिष्ठ शिक्षकों को धरने पर बैठना पड़ जाए तो इससे जाहिर हो जाता है कि विश्वविद्यालय के हालात बेहद खराब है। हम जल्दी माननीय राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री जी से मुलाकात करेंगे और उनके संज्ञान में इस विषय को डालेंगे l