आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी, ज्योतिषाचार्य : हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन करने की परंपरा है इस साल होलिका दहन 13 मार्च दिन गुरुवार को किया जाएगा होलिका दहन पर भद्रा काल का साया भी रहने वाली है ज्योतिषचार्य पंडित सुधांशु तिवारी जी की मानें तो होलिका दहन पर पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा इसलिए होलिका दहन के लिए लोगों को बहुत कम समय ही मिलने वाला है आइए आपको होलिका दहन का मुहूर्त और कथा बताते हैं
13 मार्च को होलिका दहन
फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ – 13 मार्च, सुबह 10 बजकर 35 मिनट सेफाल्गुन पूणिमा समापन – 14 मार्च, दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक13 मार्च को दिन और रात को पूर्णिमा तिथि होने की वजह से होलिका दहन इसी दिन किया जाएगा
भद्रा का समय
भद्रा काल – 13 मार्च, सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 11 बजकर 26 मिनट तक.भद्रा की पूंछ – शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट सेभद्रा का मुख – रात 8 बजकर 14 मिनट से रात 10 बजकर 22 मिनट तक13 मार्च को चंद्रमा सिंह राशि में संचार करेंगे, जिसकी वजह से भद्रा का साया मृत्यु लोक में रहेगा. शास्त्रों के अनुसार, जब भद्रा मृत्यु लोक में होती है, तब सबसे ज्यादा हानिकारक मानी जाती है. होलिका दहन पर भद्रा करीब 12 घंटे 51 मिनट तक रहेगी
होलिका दहन 2025 पूजा मुहूर्त
13 मार्च को होलिका दहन वाले दिन दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक राहुकाल का समय रहेगा इसलिए इस अवधि में होली पूजन से बचें. शास्त्रों के अनुसार, राहुकाल में पूजन करना अशुभ माना गया है इसलिए होली पूजन का समय 10 बजकर 35 मिनट से 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगा
होलिका दहन 2025 शुभ मुहूर्त
13 मार्च को होलिका दहन वाले दिन होलिका दहन के लिए 1 घंटा 4 मिनट का समय मिलेगा. दरअसल रात 11 बजकर 26 मिनट तक भद्रा व्याप्त रहने की वजह से होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा.होलिका दहन मुहूर्त – रात 11 बजकर 27 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक.
गर्भवती महिलाएं होलिका दहन से रहें दूर
गर्भवती महिलाओं को भी होलिका दहन की अग्नि नहीं देखनी चाहिए. ऐसा करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. साथ ही यह भी कहा जाता है कि जिनकी केवल एक ही संतान है, उनको होलिका दहन की अग्नि नहीं जलानी चाहिए और होलिका दहन नहीं देखना चाहिए.
भद्रा में क्यों नहीं करते होलिका दहन?
हिंदू धर्म में भद्रा को अशुभ माना जाता है और भद्रा के दौरान किसी भी तरह के शुभ और मंगल कार्य नहीं करने चाहिए. पुराणों के अनुसार, भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है. वह क्रोधी स्वभाव की मानी जाती है. इसलिए भद्रा के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भद्राकाल में होलिका दहन करना अनिष्टा का स्वागत करने के समान है. इसलिए होलिका दहन से पहले भद्रा और शुभ मुहूर्त का खास ध्यान रखना चाहिए.
होलिका दहन की पवित्र अग्नि में डालें ये चीजें
1-होलिका दहन की पवित्र अग्नि में सूखा नारियल डालना शुभ माना जाता है।
2-इसमें गेहूं की बालियां, गोबर के उपले और काले तिल के दाने अर्पित करें, ऐसा करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
3-धन लाभ के लिए होलिका दहन में चंदन की लकड़ी अर्पित करें।
कारोबार में लाभ और रोजगार के लिए होलिका दहन में पीली सरसों चढ़ाएं।
4-होलिका दहन में अक्षत और ताजे फूल भी जरूर अर्पित करें।
होलिका को साबुत मूंग की दाल, हल्दी के टुकड़े, और गाय के सूखे गोबर से बनी माला अर्पित करें।
5-अच्छे स्वास्थ्य के लिए होलिका दहन की पवित्र अग्नि में काले तिल के दाने अर्पित करने चाहिए।
होलिका पूजन मंत्र
होलिका के लिए मंत्र: ओम होलिकायै नम:
भक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र: ओम प्रह्लादाय नम:
भगवान नरसिंह के लिए मंत्र: ओम नृसिंहाय नम:
होलिका दहन की पूजा विधि
सामग्री एकत्र करें: कच्चा सूत, अक्षत (चावल), गुड़, फूल, माला, रोली, गुलाल, हल्दी, जल से भरा लोटा, नारियल, बताशा, गेहूं की बालियां, गन्ना आदि.
होलिका स्थापना: एक स्वच्छ स्थान पर होलिका और प्रह्लाद की प्रतीकात्मक मूर्तियाँ स्थापित करें.
पूजन करें: होलिका का पूजन रोली, अक्षत, फूल, माला आदि से करें.
कच्चा सूत लपेटें: होलिका के चारों ओर कच्चा सूत को तीन या सात परिक्रमाओं में लपेटें.
अर्पण करें: नारियल, गेहूं की बालियां, गन्ना आदि को होलिका में अर्पित करें.
प्रार्थना करें: होलिका दहन से पूर्व प्रार्थना करें कि आपके जीवन से सभी नकारात्मकता और बाधाएँ समाप्त हों.
दहन करें: शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन करें और परिक्रमा करते हुए लोकगीत गाएं.
होलिका दहन पौराणिक कथा
हिंदू पुराणों के अनुसार, हिरण्यकशिपु नाम का एक राजा, कई असुरों की तरह, अमर होने की कामना करता था. इस इच्छा को पूरा करने के लिए, उन्होंने ब्रह्मा जी से वरदान पाने के लिए कठोर तपस्या की. प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिरण्यकशिपु को वरदान स्वरूप उसकी पांच इच्छाओं को पूरा किया: कि वह ब्रह्मा द्वारा बनाए गए किसी भी प्राणी के हाथों नहीं मरेगा, कि वह दिन या रात, किसी भी हथियार से, पृथ्वी पर या आकाश में, अंदर या बाहर नष्ट नहीं होगा, पुरुषों या जानवरों, देवों या असुरों द्वारा नहीं मरेगा, वह अप्रतिम हो, कि उसके पास कभी न खत्म होने वाली शक्ति हो, और वह सारी सृष्टि का एकमात्र शासक हो.
वरदान प्राप्ति के बाद हिरण्यकशिपु ने अजेय महसूस किया. जिस किसी ने भी उसके वर्चस्व पर आपत्ति जताई, उसने उन सभी को दंडित किया और मार डाला. हिरण्यकशिपु का एक पुत्र था प्रह्लाद. प्रह्लाद ने अपने पिता को एक देवता के रूप में पूजने से इनकार कर दिया. उसने विष्णु में विश्वास करना और उनकी पूजा करना जारी रखा.
प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति आस्था ने हिरण्यकशिपु को क्रोधित कर दिया, और उसने प्रह्लाद को मारने के लिए कई प्रयास किए, जिनमें से सभी असफल रहे. इन्हीं प्रयासों में, एक बार, राजा हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपने भाई का साथ दिया. विष्णु पुराण के अनुसार, होलिका को ब्रह्माजी से वरदान में ऐसा वस्त्र मिला था जो कभी आग से जल नहीं सकता था. बस होलिका उसी वस्त्र को ओढ़कर प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में आकर बैठ गई. जैसे ही प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का जाप किया, होलिका का अग्निरोधक वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर आ गया और वह बच गया, जबकि होलिका भस्म हो गई थी.
होलिका दहन के राख के उपाय
1- घर में सुख और शांति की कामना करते है, तो होलिका दहन की राख लेकर उसकी एक पोटली बनाएं। इसके बाद कोई शुभ मुहूर्त देखकर उसे घर के चारों कोनों में छिड़क देवें। यह बेहद कारगर उपाय बताया जाता है, जो परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम को बढ़ावा भी देता है।
2- घर में आने वाली अनजानी बाधाओं यानी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए, होलिका दहन की राख लेकर उसमें थोड़ा सा नमक और राई मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण को घर के किसी गुप्त स्थान पर रख देवें। होलिका दहन वाले दिन किया गया यह उपाय सभी समस्याओं का अंत करेगा।
3- अगर घर का कोई सदस्य बीमार रहता है, तो होलिका दहन की राख को घर ले आएं। इसके बाद इस राख को अगली पूर्णिमा तक बीमार सदस्य के माथे पर टीके के रूप में प्रतिदिन लगावें। आपका यह छोटा सा उपाय बीमार सदस्य को ठीक करने में मददगार साबित हो सकता है।
4- अगर लंबे समय से धंधा नहीं चल रहा है, तो आप होलिका दहन की राख की पोटली बना लें। इसके बाद इसे दुकान के मुख्य द्वार पर लटका देवें।
5- नजर दोष से बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति के सर से 7 बार होलिका दहन की राख को उतार को चौराहे पर फेंक देवें। ध्यान रहें कोई देख न पाएं।
6- अगर आप नवग्रहों के दुष्प्रभाव से परेशान चल रहे है, तो होलिका दहन की राख आपके लिए कारगर रहेगी। आप ऐसा करें प्रतिदिन इस राख में से थोड़ी-थोड़ी नहाने के पानी में इस्तेमाल करें। ऐसा करने पर आपके जीवन में चल रही मानसिक, आर्थिक और शारीरिक परेशानियों का अंत होने लगेगा।