नई दिल्ली/दुबई – 12 मार्च 2025 – भारत 2024 में दुबई का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक बन गया है। भारत ने 2024 में दुबई में 3.018 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) किया, जो 2023 के 589 मिलियन डॉलर की तुलना में काफी अधिक है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई। अमेरिका, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के साथ, भारत अमीरात में एफडीआई के लिए शीर्ष सोर्स देशों में शामिल रहा।
दुबई एफडीआई मॉनिटर रिपोर्ट के आंकड़े
दुबई के अर्थव्यवस्था और पर्यटन विभाग द्वारा जारी दुबई एफडीआई मॉनिटर रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में दुबई में कुल अनुमानित एफडीआई में भारत की हिस्सेदारी 21.5 प्रतिशत रही। इसके बाद अमेरिका (13.7 प्रतिशत), फ्रांस (11 प्रतिशत), यूनाइटेड किंगडम (10 प्रतिशत) और स्विट्जरलैंड (6.9 प्रतिशत) का स्थान रहा।
2024 में ग्रीनफील्ड एफडीआई परियोजनाओं का प्रदर्शन 2023 के 73.5 प्रतिशत के बराबर था। पुनर्निवेश एफडीआई परियोजनाओं में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो 2023 में 1.2 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 3.3 प्रतिशत हो गई। दुबई में भारतीय एफडीआई परियोजनाओं की संख्या 2023 के 249 से बढ़कर 275 हो गई, जिससे भारत परियोजना काउंट रैंकिंग में तीसरे स्थान से दूसरे स्थान पर आ गया।
भारत के निवेश क्षेत्रों में प्रमुख योगदान
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का निवेश मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में केंद्रित था:
- बिजनेस सेवाएं – 26.9%
- सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाएं – 23.6%
- उपभोक्ता उत्पाद – 9.8%
- खाद्य और पेय पदार्थ – 8.4%
- रियल एस्टेट – 6.9%
दुबई में एफडीआई का रिकॉर्ड स्तर
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में दुबई ने कुल 14.24 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया, जो 2023 में 10.69 अरब डॉलर था। यह 33.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है और 2020 के बाद से दुबई के लिए एक वर्ष में दर्ज किया गया सबसे अधिक एफडीआई है। 2024 में दुबई ने रिकॉर्ड तोड़ 1,117 ग्रीनफील्ड एफडीआई परियोजनाओं को आकर्षित किया, जो इसके इतिहास में सबसे अधिक है।
दुबई क्राउन प्रिंस का बयान
दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा, “लगातार चौथे साल ग्रीनफील्ड एफडीआई को आकर्षित करने के लिए दुनिया के नंबर 1 गंतव्य के रूप में शहर की रैंकिंग न केवल निरंतर, तेज विकास के लिए नए वैश्विक मानक स्थापित करने की इसकी क्षमता का प्रमाण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले बदलावों के जवाब में अपने निवेश प्रस्ताव को लगातार विकसित करने की क्षमता को भी दिखाता है।”
भारत के इस मजबूत निवेश ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत किया है, जिससे व्यापार और विकास के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।