ईरान ने अपनी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हुए अमेरिकी हवाई हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की है। फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में स्थित तीन प्रमुख परमाणु साइट्स पर हुए इन हमलों को ईरान ने “क्रूर सैन्य आक्रमण” करार दिया है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है। इस घटना के बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र और इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान शांतिपूर्ण परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए क्रूर सैन्य आक्रमण की कड़ी निंदा करता है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के मूल सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है। अमेरिका की इस हरकत के खतरनाक परिणामों की जिम्मेदारी उसी पर होगी।”
बयान में ईरान ने यह भी दावा किया कि यह हमला इजरायल की आपराधिक मिलीभगत से किया गया है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में तनाव को बढ़ाना है। ईरान ने कहा कि यह हमले न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(4) का उल्लंघन हैं, बल्कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 को भी तोड़ते हैं।
ईरान ने यह स्पष्ट किया कि जिन परमाणु साइट्स को निशाना बनाया गया, वे पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए IAEA के निरीक्षण में काम कर रही थीं।
बयान में आगे कहा गया, “ईरान अमेरिका की इस सैन्य आक्रामकता और इससे जुड़े अपराधों का पूरा विरोध करता है और अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा की रक्षा का पूरा अधिकार रखता है।”
इस मुद्दे पर ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है और IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से भी इस पर विचार करने को कहा है। मंत्रालय ने IAEA के महानिदेशक पर पक्षपात का आरोप भी लगाया।
बयान के अंत में कहा गया, “अब यह साफ हो गया है कि एक ऐसा देश जो खुद को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य मानता है, वह किसी भी कानून, नियम या नैतिकता का पालन नहीं करता और नरसंहार व कब्जे वाले शासन के हितों के लिए खुलेआम अंतरराष्ट्रीय अपराध कर रहा है।”