नई दिल्ली: बढ़ती घरेलू मांग अब भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत आधार बनती जा रही है। मॉर्गन स्टेनली की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी व्यापार शुल्क (टैरिफ) के प्रभाव से भारत और जापान सबसे कम प्रभावित देशों में शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मांग की मजबूती के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक व्यापार में उतार-चढ़ाव से अधिक सुरक्षा मिलेगी।
कौन से देश होंगे अधिक प्रभावित?
अमेरिका द्वारा ऑटो और ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ लगाने का सबसे अधिक असर जापान और कोरिया पर पड़ेगा। इन देशों का अमेरिका को ऑटो निर्यात उनके कुल निर्यात का लगभग 7% है, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है।
अमेरिका की व्यापार रणनीति और रेसिप्रोकल टैरिफ का असर
अमेरिकी प्रशासन 2 अप्रैल को व्यापार संबंधों में संतुलन लाने के लिए नई योजनाएं पेश कर सकता है। इसमें ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर, कृषि, तांबा और लकड़ी जैसे क्षेत्रों में क्षेत्रीय शुल्क लगाए जा सकते हैं। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, ये रेसिप्रोकल टैरिफ एशिया की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेंगे, जिससे व्यापार चक्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जापान और कोरिया को होगा बड़ा नुकसान
अमेरिका हर साल यात्री वाहनों, माल परिवहन के लिए वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर लगभग 245 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा उठाता है, जिसमें एशिया का योगदान 115 बिलियन अमेरिकी डॉलर (47%) है। जापान और कोरिया के लिए इस घाटे का बड़ा हिस्सा पारंपरिक ऑटो और ऑटो पार्ट्स से संबंधित है, जबकि चीन के लिए मुख्य रूप से ईवी बैटरियों से आता है।
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, यदि 25% टैरिफ लंबे समय तक जारी रहता है और अमेरिका को ऑटो निर्यात में 15-30% की गिरावट आती है, तो इसका जापान की जीडीपी वृद्धि पर 0.2-0.3 प्रतिशत तक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत की स्थिति मजबूत क्यों?
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तुलना में अधिक मजबूत रहेगी, क्योंकि यहां घरेलू मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख फोकस निर्यात की बजाय आंतरिक बाजार पर है, जिससे इसे वैश्विक व्यापार अस्थिरता से बचाव मिल सकता है।
👉 निष्कर्ष: बढ़ती घरेलू मांग भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम कर रही है। वहीं, जापान और कोरिया जैसे देशों को अमेरिकी टैरिफ के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।