प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित54वें भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मेलन का आगाज आज यहां टैगोर थियेटर में हुआ । केन्द्र पिछले सात दशकों से भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रचार एवं प्रसार में निरंतर कार्यरत है । देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन केन्द्र की सांस्कृतिक नियमित गतिविधियों में से एक है और इसी कड़ी में केन्द्र अपने वार्षिक बहुआयामी एवं प्रसिद्ध अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मेलन के 54वें संस्करण में देश के जाने माने कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करेंगें । हर रोज सांय 6 :30बजे से इस कार्यक्रम का स्टेज से सीधा प्रसारण भी किया जाएगा । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में चंडीगढ़ प्रशासन की सचिव श्रीमती प्रेरणा पुरी ने शिरकत की । इस अवसर पर केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव सजल कौसर,भी उपस्थित थे ।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्य अतिथि श्रीमती प्रेरणा पुरी ने सम्मेलन का उद्घाटन किया । पारम्परिक द्वीप प्रज्वलन की रस्म के पश्चात रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव सजल कौसर द्वारा मुख्या अतिथि को शाल , मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
इसके उपरांत कला एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए चार हस्तियों को सम्मानित किया गया जिसमें हिमाचल जानेमाने संगीतज्ञ एवं गुरू पद्मश्री श्री सोमनाथ बट्टू एवं जानी मानी कत्थक गुरु श्रीमती मंजुश्री चटर्जी को पीकेके लाइफटाइम एचीवमैंट अवार्ड तहत चंडीगढ़ के दो पत्रकार श्री नीरज कुमार एवं युवा एवं प्रतिभाशाली पत्रकार सुश्री एकता को क्रमशः पीकेके अवार्ड ऑफ एक्सीलैंस इन जर्नलिज्म एवं यंग जर्नलिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया । इस सम्मान समारोह के बाद केन्द्र द्वारा हर साल प्रकाशित की जाने वाले समरणिका का अनावरण मुख्य अतिथि द्वारा किया गया ।

समारोह के पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत प्रख्यात शहनाई वादक श्री लोकेश आनंद के हृदयस्पर्शी शहनाई प्रस्तुति के साथ शांत और भावपूर्ण शुरुआत हुई। उन्होंने विलम्बित लय में एक ताल में राग यमन प्रस्तुत किया, तत्पश्चात द्रुत तीन ताल में मधुर एवं भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की। उन्होंने पूर्वी में मनमोहक धुन के साथ कार्यक्रम का समापन किया। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उनकी मधुर प्रस्तुति से दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। तबले पर शानदार कलाकार श्री विनोद लेले ने उनका बेहतरीन साथ दिया।
इस भावपूर्ण प्रस्तुति के पश्चात पंडित राजेंद्र गंगानी ने मुख्य मंच संभाला और शानदार कथक नृत्य की प्रस्तुति पेश की। उन्होंने शिव स्तुति से शुरुआत की, उसके बाद जयपुर घराने के पारंपरिक कथक के तकनीकी भाग में तीन ताल में आमद, तोड़े, टुकड़े, परन, गत, लड़ी, चलें आदि प्रस्तुत किए। इसके बाद उन्होंने सूक्ष्म भावों की सुंदरता, सुंदर चाल और शानदार फुटवर्क के साथ पद प्रस्तुति पेश की जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ‘छड़ो-छड़ो न बिहारी’ बोल के साथ एक शानदार ठुमरी पेश की। अपने खूबसूरत भाव एवं सधे हुए नृत्य के लिए प्रसिद्द राजेंद्र गंगानी ने उत्कृष्ट प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। संगतकारों की बेहतरीन टीम में तबले पर श्री फतेह सिंह गंगानी, गायन और हारमोनियम पर श्री समीउल्लाह खान, सारंगी पर उस्ताद कमाल अहमद और सितार पर श्री विजय शर्मा ने संगत करके कार्यक्रम को चार चाँद लगा दिए । अंत में कलाकारों को स्मृति चिह्न और उत्तरीया देकर सम्मानित किया गया। कल प्रख्यात गायिका डॉ. निवेदिता सिंह और मोहन ब्रदर्स (सितार सरोद जुगलबंदी) प्रस्तुति देंगे।